कहानी : बुरे समय के लिए तैयार रहे

कहानी : बुरे समय के लिए तैयार रहे


 एक बार की बात है, मुकेश नाम का एक जवान लड़का था।  उसने अपनी शिक्षा पूरी की और एक बड़ी ट्रांसपोर्ट सर्विस देनेवाली कंपनी में मैनेजर की नौकरी ज्वाइन कर ली।


कहानी : बुरे समय के लिए तैयार रहे


  मुकेश अपनी पहली नौकरी से बहुत खुश था।  अब वह अपने सारे सपने पूरे कर सकता था। उसका बचपन से ही अपनी खुद की एक लक्जरी कार का सपना था और अब ये सपना उसे और ज्यादा सताने लगा था क्योंकि खुद ट्रांसपोर्ट कंपनी का मैनेजर होते हुए भी उसके पास कोई कार नही थी! उसने हाल ही में नौकरी करना शुरू किया था इसलिए उसके पास कार लेने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। फिर भी एकदीन उसने अपने पिता से इस बारे में चर्चा  की और कार को लेकर अपने विचार पिता से कहे।


 उसके पिता ने उसे समझाया, बेटे, मैं जानता हूं कि तुम एक कार लेना चाहते हो लेकिन अभी खरीदना जल्दबाजी होगी।''


 विजय ने उत्तर दिया, “जल्दबाजी?  मैंने सोचा था कि आप मेरे इस फैसले से बहुत खुश होंगे।”


  पिता ने कहा, "मैं तुम्हारे लिए खुश हूं मेरे बेटे।  लेकिन तुमने हाल ही में अपनी नौकरी शुरू की है।  तुम्हे भविष्य में आनेवाले कठिन समय के लिए कुछ पैसे बचाना चाहिए।  इसके अलावा,  कार खरीदने से पहले कुछ समय इंतजार करना चाहिए और कुछ पैसे डाउन पेमेंट के लिए भी बचाना चाहिए, न कि इसे पूरी तरह से ऋण पर खरीदना चाहिए।


 “ओह, पिताजी! आप बहुत ऑर्थोडॉक्स हैं।  जब मुझे अभी कार मिल सकती है तो मैं इंतजार क्यों करूं?  जिंदगी चार दिनों की है और ये सिर्फ  एक बार मिलती हैं।  मैं पैसे बचाने में समय वेस्ट करना और अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहता।  और आप कौन से कठिन समय की बात कर रहे है?  क्या आपको लगता है कि मैं अपनी नौकरी खो सकता हूँ?  क्या आपको मेरी काबिलियत पर शक है?”, मुकेश ने उत्तर दिया।


 “नहीं बेटा।  मुझे तुम्हारी क्षमता पर संदेह नहीं है। मुझे यकीन है तुम जीवन में जरूर सफल होंगे।  लेकिन हमें हमेशा सबसे बुरे के लिए तैयार रहना चाहिए।  इसके अलावा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमेशा इंतजार करो।  कुछ वर्षों तक प्रतीक्षा करो और आपात स्थिति के लिए कुछ पैसे बचाओ और साथ ही अपनी कार के डाउनपेमेंट के लिए भी कुछ पैसे बचाओ।'', पिता ने समझाया।


 “मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप किस बुरे समय  की बात कर रहे हैं? मैंने कमाई शुरू करने के लिए वर्षों तक इंतजार किया ताकि मैं अपनी कार खरीद सकूं।  मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता।  विजय ने जाने से पहले कहा।


 विजय ने कार लोन लेकर आगे बढ़ने का फैसला किया।  उन्होंने ऋण के लिए आवेदन किया और उसे तुरंत मंजूरी दे दी गई।  अब वह अपनी कार का गौरवान्वित मालिक था।  उसे सफलता महसूस हुई।  अब उसका सपना पूरा हो गया। एक दिन जब वह उठा तो उसने एक नये वायरस के बारे में खबर पढ़ी जो पूरी दुनिया में फैलना शुरू हो गया था।  वो संक्रामक था, एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता था।  इस नई बीमारी का कोई इलाज कोई नहीं ढूंढ सका।  हर कोई डरा हुआ था। धीरे-धीरे ये वायरस हर देश में फैलने लगा। सरकार ने यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया। अचानक, यात्रा उद्योग ध्वस्त होने लगा। एक सीन मालिक ने मुकेश को नौकरी से निकाल दिया।  वो टूट गया। उसने कभी इस स्थिति की कल्पना नहीं की थी। उसके पास कोई बचत नहीं थी। इसके अलावा, उसके पास अपने कार ऋण का भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे।  विजय को रात को नींद नहीं आती अंततः उसे अपनी कार छोड़नी पड़ी।  स्थिति इतनी खराब थी कि उसे अपना जीवन चलाने के लिए अपने दोस्तों से पैसे उधार लेने पड़े।  उसे अपने पिता की सलाह याद आई और उसे कुछ भी बचत न करने और बहुत अधिक कर्ज लेने की अपनी गलती का एहसास हुआ।


 कहानी की शिक्षा:


याद रखे आपात्कालीन और कठिन समय के लिए हमेशा बचत करें।

 कभी ज्यादा कर्ज न लें।

 अपने वित्तीय लक्ष्यों की योजना जरूर बनाएं।

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