इमोशनल कहानी : मां मुझे बेवकूफ़ बनाती

 इमोशनल कहानी : मां मुझे बेवकूफ़ बनाती 


दोस्तो हमे अक्सर कई लोगो से शिकायते रहती है और खासकर अपने माता पिता से कुछ ज्यादा ही! आज की ये कहानी एक बेटे की अपनी मां से शिकायत ही समझिए और पढ़िए उसी की जबानी।


इमोशनल कहानी : मां मुझे बेवकूफ़ बनाती


 मैं जब भी घर जाता था तो अपनी मां से सख्ती से कहता था कि मैंने अपना आहार कम(डाइटिंग) कर दिया है। ठीक है, वह जवाब देती थी।


 जब मैं मैच या सिटकॉम देख रहा होता तो खाना मांगता ।  अगर मैं खुद खाना लेने की कोशिश करता तो वह मुझे किचन से बाहर निकाल देती।


 तो मैं ध्यान से कोई शो देख रहा होता, और खाना आ जाता ।  मैं भी शो देखने में व्यस्त होता और खाना शुरू कर देता। लेकिन रोटियाँ ख़त्म नहीं होती.. मैं चार रोटियाँ माँगता और वे हमेशा दोगुनी लाती ।  मैं जो भी माँगता  उससे दोगुना मिलता।


 मां बहुत चालक है। वह मुझे खाना देकर काम में लग जाती । जब मैं पूछता था कि जब मैंने आपको साफ-साफ बता दिया था तो आपने मुझे ज्यादा क्यों खिलाया? तो वह कोई उत्तर नहीं देती।


 ऐसा लगता जैसे मैं किसी दीवार से बात कर रहा हूं।


 वह जानती कि जब मैं कुछ देख रहा होता हूं तो खाना वापस करने में मैं बहुत आलसी हो जाता हूं।  वह जानती है कि अगर खाना है तो मैं वैसे भी खा लूँगा।


 लेकिन। ऐसा हर दिन होता । मैं अपने कमरे से शिकायत करता रहता , और वह कुछ भी जवाब नहीं देती।


 मेरी बहन भी जानती थी कि क्या हो रहा है इसलिए वह हमेशा मुझ पर हंसती रहती है।


 आज रात मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, जब मैं यह सब सोचने लगा।  मैं घर से दूर हूं और मैं अपने आंसू नहीं रोक सका।


 मैं वयस्क हो रहा हूं।  मेरी मां की उम्र बढ़ रही है और मैं जानता हूं कि ये यादें सीमित हैं।  मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता।  कोई भी इसके बारे में बात नहीं करना चाहता।


 लेकिन अपरिहार्य हमेशा बना रहता है।जितना अधिक मैं इसके बारे में सोचता हूं, उतना ही मेरा प्यार उसके लिए बढ़ता जाता है।


दोस्तों ये कहानी आपके दिल को भी जरूर छू गई होगी क्योंकि मां बाप का प्यार होता ही ऐसा है जिसमे गुस्सा,शिकायते या नाराजगी सब होते है लेकिन सब सिर्फ उनके प्यार के अलग अलग स्वरूप ही होते है।

Credit: shubham kp

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