कहानी : नदी का पानी | Inspiring Hindi Kahani

 

हम नमे से कितने लोग दुसरो के बारे में सोचते होंगे ? काफी कम है न ? और इनसे भी कम होगी ऐसे लोगो की तादात जो कुदरत यानि के नदी,पहाड़ या पेड़ो के बारे में सोचते है या उनके लिए कुछ करत्ते है। आज ऐसे ही एक सज्जन की कहानी हम जानेंगे। 

कहानी : नदी का पानी 


कहानी : नदी का पानी | Inspiring Hindi Kahani


मिलये इन सज्जन से ये  नासिक के इंदिरानगर के चंद्र किशोर पाटिल हैं जो गोदावरी नदी के किनारे खड़े हैं। वह यहां सुबह से रात 11 बजे तक खड़े रहते हैं और  सीटी बजाकर  लोगों को नदी में कूड़ा फेंकने से रोकते हैं।


कई लोग उन पर गुस्सा करते है , उनके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं, लेकिन फिर भी वह उन्हें ऐसा न करने के लिए समझाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह लोगो के  प्रतिरोध से कैसे निपटते हैं, तो उन्होंने कहा कि वह बोतलों में नदी का पानी भरते हैं और लोगों से उसमें से एक घूंट पीने के लिए कहते हैं। जब वे इनकार कजटक रते हैं, तो वह उन्हें नदी में गंभीर प्रदूषण के बारे में अवगत कराते  है।


हमें अपनी नदियों की रक्षा और संरक्षण के लिए उनके जैसे और योद्धाओं की बहुत आवश्यकता है। इस सज्जन को बड़ा सलाम! यह सुनिश्चित करने के लिए कि कचरा नदी में न फेंका जाए, पूरे दिन वहां रहने के लिए दृढ़ता से अधिक पर्यावरण से आत्याधिक प्रेम और अपनी आनेवाली पीढ़ियों के प्रति जिम्मेद्दारी का अहसास होना भी आवश्यक है।                 

credit : Hritik Taletiya

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