मोटिवेटिंग कहानी : बहाने छोडो | motivational story

 मोटिवेटिंग कहानी  : बहाने छोडो  |  motivational story 


सबसे पहले मैं रवीन्द्र सर के बारे में आप सभी को बताता हूँ। वह आईआईएससी से स्नातक है और अब वह भारत में gate  की तैयारी कराने के लिए सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।




मोटिवेटिंग कहानी  : बहाने छोडो  |  motivational story

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्हें जन्म से ही डिस्लेक्सिया (शब्‍दों के उच्‍चारण करने में या वतर्नी स्‍पष्‍ट करने में होने वाली कठिनाई) था। वह बी और डी जैसे अक्षरों के बीच अंतर नहीं कर पाते थे।(इशान अवस्थी की तरह) और वह 4 से अधिक अक्षरों वाले शब्दों की वर्तनी याद करते समय भ्रमित हो जाता है।


वह 1 से 8वीं तक हर क्लास में फेल होते गए।


लेकिन 8वीं के बाद उन्होंने खुद पर विश्वास करना शुरू कर दिया, अपने आस-पास की आलोचनाओं से मुक्त हो गए और कड़ी मेहनत के कारण वह आज इस मुकाम पर पहुंच गए।


और अब बात करते हैं फोटो में दिख रहे दूसरे शख्स के बारे में। वह रवीन्द्र सर के सबसे अच्छे दोस्त हैं। वह एक ऐसे गांव से हैं जहां किसी ने 10वीं भी पास नहीं की थी। वह एक बहुत ही गरीब परिवार से हैं और उनका पालन-पोषण केवल 1 कमरे वाले घर में हुआ था। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की।


लेकिन फिर उन्होंने अपनी विकलांगता के बावजूद खूब मेहनत की। उन्हें गेट में बहुत अच्छी रैंक मिली और आईआईएससी से मास्टर्स किया। अब वह आईएएस की तैयारी कर रहे हैं।


अब यहां से सीखने वाली बात यह है कि अगर डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति पहले प्रयास में 86 एआईआर रैंक प्राप्त कर सकता है, सिस्को में शामिल हो सकता है, इतना अच्छा शिक्षक बन सकता है तो हम लोग, जिन्हें कोई समस्या नहीं है, ऐसे महान काम क्यों नहीं कर सकते?


जो व्यक्ति अपने पैरों पर चल नहीं सकता वह कभी हार नहीं मानता, इतना कुछ कर सकता है तो हम क्यों नहीं?


तो आइए शिकायत करना बंद करें और कुछ करना शुरू करें।


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