एक भावनात्मक कहानी | bhavnatmak kahani
एक सुबह, मेरी माँ ने जल्दी जल्दी काम नाश्ता तैयार किया क्योकी अपने ऑफिस समय पर पहुचना चाह्ती थी हालाकि पिछले दिन की कडी मेहनत कि थकान उनकी बॉडी लैंग्वेज मे साफ साफ दिखायी दे रही थी। मेरे पिता ने उन्हे छुट्टी लेकर आराम करने के लिये सुजाव दियालेकिन उन्होंने कहा कि वह ऑफिस जाना चाह्ती हैं।
मम्मी ने मेरे पापा के सामने अंडे और जले हुए टोस्ट की एक प्लेट रख दी।
मैंने तुरंत जले हुए टोस्ट पर ध्यान दिया, और मैं यह देखने के लिए इंतजार कर रहा था कि क्या वह इसके बारे में शिकायत करेंगे? इसके बजाय, मेरे पिता ने उन्हें खाना शुरू कर दिया। मुस्कुराते हुए उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने स्कूल में अपना दिन कैसे बिताया।
मेरी माँ ने जले हुए टोस्ट के लिए मेरे पिताजी से माफ़ी मांगी। मैं तब पापा की प्रतिक्रिया को कभी नहीं भूलूंगा:
उन्होनें कहा "प्रिये, मुझे जले हुए टोस्ट बहुत पसंद हैं!"
बाद में जब मैं रात को सोने गया और मेरे पिताजी मुझे शुभरात्रि कहने आए, तो मैंने उनसे पूछा कि क्या उन्हें सचमुच जला हुआ टोस्ट पसंद आया?
उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा, "तुम्हारी माँ के लिए यह दिन बहुत कठिन रहा है और वह वास्तव में थकी हुई हैं। उन्होंने हमारे लिए यह भोजन तैयार करने के लिए अपने सहनशीलता से आगे जाकर काम किया, उन्हें दोष क्यों दिया जाए? और उन्हें दुःख क्यों पहुँचाया जाए? जले हुए टोस्ट ने कभी किसी को दुःख नहीं पहुचाते ; लेकिन जले हुये बुरे शब्द काफी ज्यादा दिल दुखाते है!""
हमें यह जानना होगा कि दूसरे हमारे लिए जो करते हैं उसकी सराहना कैसे करें, भले ही वह सही न हो, क्योंकि अच्छा करने का इरादा मायने रखता है, और कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है।
credit : kaushal
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