एक साधु की अनोखी कहानी | Sadhubaba ki kahani
एक ट्रेन के सफर की ये कहानी है। इस ट्रेन के एक फर्स्टक्लास डिब्बे में आम लोगो के साथ एक साधु भी सफर कर रहा था।
साधु जहां बैठा था ठीक उनके सामने की सीट पर बैठे दो नौजवान लड़के साधु की तरफ देखकर बार-बार हंस जा रहे थे।
दूसरे लोगों को भी उन लड़कों का ऐसा व्यवहार समझ में आ रहा था और उसका कारण भी। दरअसल साधु ने एक बहुत ही कीमती घड़ी पहनी हुई थी और किसी बड़े व्यापारी की तरह एक अटैची साथ में लिए हुए थे।
कुछ वक्त बाद जब रहा नहीं गया तो दोनों लड़कों ने साधु से पूछ लिया। बाबा आपने तो हमसे भी ज्यादा महंगी घड़ी पहन रखी है और हमसे ज्यादा कीमती अटैची और समान आप अपने पास रखे हुए! फिर आप में और हम में क्या फर्क रह गया?
उसे वक्त साधु उनसे कुछ ना बोला और मंद मंद मुस्कुरा दिया। थोड़ी देर बाद गाड़ी स्टेशन पर रुकी तब साधु ने लड़कों से पूछा? बालको बताओ जरा यह कौन सा स्टेशन है?
लड़कों ने जब स्टेशन का नाम बताया तो साधु ने कहा : आओ नीचे स्टेशन पर मुझे चाय नहीं पिलाओगे? लड़के साधु की बात को मन नहीं कर पाए।
साधु ने अपनी घड़ी उतारी और जहां बैठे थे वहां अटैची और घड़ी रखकर लड़कों के साथ नीचे स्टेशन पर चाय पीने उतर गए!
तीनों जब चाय पी रहे थे तब गाड़ी का सायरन बजने लगा तो दोनों लड़के घबरा गए और साधु से कहने लगे बाबा जल्दी करो नहीं तो गाड़ी छूट जाएगी। साधु एकदम शांत दिख रहा था लड़के और ज्यादा घबराए और साधु से बोलो जल्दी पियो बाबा नहीं तो आपकी घड़ी और अटैची और हमारी ट्रेन छूट जाएगी।
साधु ने कहा : कोई बात नहीं छूट जाने दो। पहले किसी ने दिया था और आगे कोई उठा लेगा! बालों को यही फर्क है साधु में और आम इंसानों में। आम इंसान जिन वस्तुओं को छोड़ने की सोच भी नहीं सकते साधु उन्हें छोड़ते समय एक बार भी नहीं सोचते।
साधु से माफी मांग कर दोनों लड़के तेजी से अपने ट्रेन की तरफ दौड़ पड़े।

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