पौराणिक कहानी : 100 रुपए | Best Hindi Kahani

 

पौराणिक कहानी : 100 रुपए | Best Hindi Kahani


पौराणिक कहानी : 100 रुपए | Best Hindi Kahani 


एक दिन एक अमीर आदमी भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर गया। क्योंकि इस अमीर आदमी ने बहुत महंगे जूते पहन रखे थे और यह भी सुन रखा था कि उस मंदिर के बाहर जूते चप्पल अक्सर चोरी हो जाया करते हैं इसलिए उसका मन नहीं हुआ कि वह ऐसे ही अपने कीमती जूते वहां छोड़कर जाए।


जूते पहनकर वह मंदिर में नहीं जा सकता था और उन्हें ऐसे ही छोड़कर वह जाना नहीं चाहता था, वह बड़ी दुविधा में पड़ गया। थोड़ी देर सोचने के बाद उसे अमीर आदमी ने मंदिर के पास बैठे एक भिखारी से बात की। आदमी नहीं भिखारी को उसके जूते थोड़ी देर के लिए संभालने के लिए दे दिए। भिखारी भी उसे बात के लिए राजी हो गया।


पूजा में बैठे-बैठे अमीर आदमी के मन में ख्याल आया कि है भगवान आप नहीं कैसी विषम दुनिया बनाई है। मेरे जैसे कई लोगों को आपने पैरों तक के लिए कीमती जूते पहनने लायक बनाया है लेकिन उस बेचारे भिखारी जैसे अनगिनत लोगों को रोटी खाने के लिए तक बिक मांगना पड़ता हैं।


आदमी मन ही मन भगवान से फरियाद करते हुए बोला कि अपने सभी लोगों को एक समान क्यों नहीं  बनाया? अपने सभी को एक जैसी सुविधा क्यों नहीं दी? फिर उसने मन ही मन थाना की वापस जाते समय वह उसे भिखारी को ₹100 देकर जाएगा।


पूजा खत्म होने के बाद जब अमीर आदमी बाहर आया तो ना उसे अपने जुटे दिखे नहीं भिखारी। से लगा भिखारी किसी काम से कहीं गया होगा इसलिए थोड़ी देर उसने वहीं खड़े रहकर अधिकारी का इंतजार किया। काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी जब भिखारी वापस नहीं आया तो अमीर आदमी ने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया।


दुखी मन से अमीर आदमी नंगे पैर ही अपने घर की तरफ चल निकला। रास्ते में आदमी ने देखा कि एक फुटपाथ पर जूते चप्पल बेचने वाला बैठा है। आदमी एक जोड़ी चप्पल खरीदने के लिए उसके पास पहुंचा। वहां पहुंचते ही अमीर आदमी की नजर उसके जूते के जैसे ही जूते पर पड़ी। अमीर आदमी पहचान गया कि उसी के जूते। पूछने पर बेचने वाले ने पहले मना किया लेकिन बार-बार पूछने पर और दबाव देने पर उसने माना कि यह जूते उसे एक भिखारी ₹100 में बेच कर गया है।


अमीर आदमी बिना चप्पल खरीदे मुस्कुराते हुए वहां से अपने घर की तरफ नंगे पैर ही चल पड़ा। उसे भगवान से की गई अपनी फरियाद का जवाब मिल चुका था। उसे समझ में आ गया था कि जब तक लोगों के कर्म एक जैसे नहीं होते तब तक सब एक समान नहीं हो सकते। भगवान ने उस भिखारी के तकदीर में 100 रु लिखे ही थे लेकिन कैसे कर्म करके उन्हें लेना है यह उसेएल भिखारी के हाथ में था! वह चोरी ना भी करता फिर भी उसे ₹100 मिलने वाले थे। शायद उसके ऐसे ही बुरे कर्मों की वजह से भिकारी था।

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