Motivational story : Bhagvan ki murti | कहानी : भगवान की मूर्ति

 प्रेरक कहानी : भगवान की मूर्ति




Motivational story : Bhagvan ki murti | कहानी : भगवान की मूर्ति

दोस्तो आज एक छोटी सी कहानी पढ़ेंगे संघर्ष,परिश्रम और सहनशीलता के बारे में।


एक गांव में एक बड़ा सुंदर मंदिर था। इस मंदिर में एक बार एक नास्तिक आया। नास्तिक आदमी ने मंदिर के सेवक से भगवान की मूर्ति की तरफ इशारा करतें हुए पूछा : ये क्या है? सेवक ने कहा : ये भगवान है।


आदमी ने मंदिर के फर्श की तरफ उंगली दिखाते हुए सेवक से पूछा : तो ये कया है? सेवक ने कहा : ये फर्श है।


Motivational story : Bhagvan ki murti | कहानी : भगवान की मूर्ति


आदमी ने पूछा : फर्श किस चीज से बना है? सेवक बोला : संगेमरमर का।  आदमी ने सेवक से फिर पूछा : यह मूर्ति किस चीज से बनी हुई है? सेवक बोला : यह मूर्ति भी संगेमरमर की बनी हुई है।


नास्तिक आदमी सेवक की तरफ देखकर मुस्कुराया और बोला : जब दोनों एक ही वस्तु से बने हैं तो एक की ही पूजा क्यों? एक को ही सम्मान क्यों?


सेवक बोला : मूर्ति की पूजा इसलिए क्योंकि छीनी हथौड़ी और अन्य कई औजारों की मार सेहनकर के भी वो नही टूटी। उसने इस फर्श के संगमरमर की तुलना में कई  ज्यादा संघर्ष किया, ज्यादा तकलीफे भोगी और उसी का नतीजा है  की मूर्ति के संगमरमर को भगवान की जगह बिठाया गया।


दोस्तों यह कहानी संगमरमर या पत्थर के लिए ही लागू नहीं होती यह हर एक इंसान के लिए भी लागू होती है। जो इंसान पूरी शिद्दत से, सहनशीलता के साथ किसी काम को करते रहता  है और कई मुश्किलों और असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानता तब  एक दिन अपने मंजिल तक जरूर पहुंचता है और उसे वह सब मिलता है जिसकी उसे चाहत होती है।


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