बाज और कौव्वे की कहानी

        कहानी - नकल करना क्यों बुरा है?


एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बांझ  रहता था ।पहाड़ की तराई में एक बरगद के पेड़ पर एक  कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वो   वह बहुत चालाक था । उसकी कोशिश सदा यही रहती थी की बिना मेहनत के उसे खाने को मिल जाए।


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उस पेड़ के आसपास कुवे में कई सारे खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते तो बांझ ऊंची उड़ान भरता और किसी एक खरगोश को अपने मजबूत पंजो में दाबोचकर लेकर जाता।  ये सारा दृश्य कव्वे ने कई बार देखा था ,एक दिन कव्वे ने सोचा की  ऐसे बैठें बैठें तो ये चतुर खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं। अगर इनका नरम-नरम मांस चखना है तो मुझे भी बांझ की तरह करना होगा। मैं भी उनको एका एक उपर से आकर  लपक लूंगा। 


दूसरे दिन कव्वे ने भी एक खरगोश को दबोच ने की बात सोच कर ऊंची उड़ान भरी फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बांझ की तरह जोर से झपटता मारा अब भला कौवा बांझ का क्या मुकाबला करता !


खरगोश ने उस कव्वे को देख लिया और झट वहां से भाग के एक बड़े पत्थर के पीछे छुप गया। कौवा अपनी तीव्र गति को संभाल ना सका नतीजन उस पत्थर से जा टकराया। उसको बहोत चोट लगी , उसकी गर्दन भी टूट गई और उसने वहीं तड़पतड़प के दम तोड़ दिया। 


    कहानी का सार :-


दोस्तों, कोई भी काम करने से पहले उसके परिणाम के बारे सोच कर ही उसे करना है या नहीं यह तेय करने में ही समझदारी होती हैं। आज का  ये दौर  fb,whatsapp, tik-tok जैसे कई डिजिटल  माध्यमों का दौर है जिनमे लोग अंधाधुंध एक दूसरे की नकल करते हुए पाए जाते है और अपने आपको हसी के पात्र बना लेते है या किसी मुसीबत में डाल लेते है। 

इसीलिए कहा जाता है कि नकल के लिए भी अकल चाहिए। 


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