Story telling time - डरपोक खरगोश
जीवनपुर गांव के पास एक घना जंगल था, उसमें खरगोश रहता था. वह बहुत ही डरपोक था. कहीं पर भी कोई भी आवाज सुनाई देती तो तुरंत घबरा जाता था. उसको डर इतना सताता था कि डर की वजह से वह अपने कान खड़े रखता था! इसकी वजह से उसे कभी भी सही से नींद भी नहीं आती थी.
एक दिन खरगोश आम के पेड़ के नीचे बैठा था. अचानक से उसे नींद आ गई और वह सो गया, तभी पेड से आम के गिरने की आवाज सुनाई दी. आवाज थोड़ी सी तेज थी, यह आवाज सुनकर खरगोश डर गया और उठ कर तेज छलांग लगाई और दूर तक भाग गया और चिल्लाने लग गया भागो भागो आसमान गिर रहा है! वो तेजी से भाग रहा था और चिल्ला रहा था भागो भागो आसमान गिर रहा है!
भागते हुए एक हिरण ने उसे देखा और उससे पूछा अरे भाई तुम इस तरह क्यों भाग रहे हो क्या समस्या है? खरगोश ने चिल्लाते हुए कहा- अरे भाई भाग रे, भाग जल्दी! आसमान गिर रहा है! हिरन भी डरपोक किसम का था इसीलिए वह भी डर गया और उसके पीछे पीछे भागने लगा. भागते भागते दोनों जोर जोर से चिल्ला रहे थे भागो भागो आसमान गिर रहा है.
उनको देख देख कर जीराफ,लोमडी, भेड़िये और जंगल में जितने भी डरपोक प्राणी थे वह सब उनके पीछे भाग ने लग गए! वे सब चिल्लाते जा रहे थे भागो भागो आसमान गिर रहा है. उनके चिल्लाने की आवाज एक शेर के कानों में पड़ी, शेर अपनी गुफा में सो रहा था. जानवरों की आवाज सुनकर उसकी नींद टूट गई. वह हड़बड़ाहट से एकदम से उठ गया और गुफा के बाहर निकल आया. उसे बहुत ही गुस्सा आया. उसने दहाड़ ते हुये उन डरपोक जानवरों से पूछा रुको ,इधर आओ क्या बात है?क्यों शोर मचा रहे हो? तब शेर की आवाज सुनकर सभी जानवर वहां पर चुपचाप खड़े हो गए और चिल्लाने लग गए आसमान गिर रहा है!
जानवरों की बात सुनकर शेर हंसने लगा और इतना हंसने लगा कि हंस-हंसकर उसका पेट फूल गया फिर उसने हसी को रोकते हुए पूछा- अच्छा यह बताओ तुम में से किसने आसमान गिरते हुए देखा है? अब एक दूसरे की तरफ सब देखने लग गए, अंत में सभी ने खरगोश की तरफ इशारा कर दिया. खरगोश बोला आसमान का एक टुकड़ा उस आम के पेड़ के नीचे पड़ा हुआ है! शेर बोला - अच्छा चलो वहां चल कर देखते हैं. कौन सा आसमान का टुकड़ा गिरा है?
शेर सभी जानवरों के साथ उस आम के पेड़ के पास पहुंच गया. सब तलाशी करने लग गए लेकिन वहां पर कोई आसमान का टुकड़ा नहीं दिखा. सभी इधर से उधर भाग रहे थे, शेर ने बड़े मजाकिया अंदाज में कहा - खरगोश कहां है तुम्हारे आसमान का टुकड़ा?वो फिर थोड़ा सा और आगे बढ़ा तो वहां पर एक आम पड़ा हुआ मिला. फिर शेर ने आम उठाया और मजाकिया अंदाज में फिर से बोला यही तो नहीं है तुम्हारे आसमान का टुकड़ा? जिसको देखकर तुम सब भयभीत हो गए थे!
खरगोश को अपनी गलती का एहसास हो चुका था. उसका सिर शर्म से झुक गया था और चेहरा भी पानी पानी हो चुका था. वह शेर के सामने थरथर कांपने लगा खरगोश की वजह से सारे जानवरों को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. सारे जानवर अपनी गलती पर पछता रहे थे उन्होंने उस चीज की जांच (verify) भी नहीं किया और सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करने लग गए.
Moral of story
सीख: हमें सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. दोस्तों, आजकल ऐसा ही होता है. व्हाट्सएप पर, फेसबुक पर, इंस्टाग्राम पर लोग मन घड़त बातों को ऐसे शेयर करते हैं जैसे वह सारी सच हो बिना यह जाने कि वह कहां से आई है? किसने लिखी है? वह सच में सच भी है या नहीं? उसका कोई सबूत है या नहीं? सब खरगोश और बाकी डरपोक प्राणियों की तरह बर्ताव करते हैं जो बिल्कुल सही नहीं है.
