Story for Kids in Hindi | jaadui Kahani Seth aur garib kisan

Storytime - A Nice Hindi Story


     एक शहर था, जिसमें एक सेठ रहता था. उसके पड़ोस में एक गरीब किसान रहता था. सेठ बहुत धनी था लेकिन कहते हैं ना भगवान जिसको जितना देता है उतना ही कंजूस होता है तो यह सेठ भी बहुत ज्यादा कंजूस था. जबकि वह किसान था तो गरीब मगर दिल का बहुत बड़ा  और उदार था.



Story for kids in Hindi


 एक शाम की बात है, कोई मुसाफिर सेठ के दरवाजे पर आया. वह भूखा और खूब थका हुआ लग रहा था.उसे  देखते ही सेठ ने गुस्से में कहा- चले जाओ यहां से, यहां से कुछ मिलने की आशा मत रखना. जाओ जल्दी से दफा हो जाओ, ना जाने कहां कहा से चले आते है?


 मुसाफिर ने बिनती करते हुए कहा - सेठ जी मैं बहुत थका हुआ हूं, खूब भूखा भी हूं, सर्दी का दिन है मुझे आज रात आप अपने यहां पर  आश्रय  दे दीजिए सुबह होते ही मैं यहां से चला जाऊंगा. दया कीजिए भगवान आपका भला करेगा! सेठ ने उसकी बातें सुनी पर गुस्से में बिलबिलाते हुए कहा -क्या ये  धर्मशाला दिखती है तुम्हें? जाओ यहां से ,चले जाओ नहीं तो नौकर को बुलाकर तुम्हें बाहर  फिकवा दूंगा.


 मुसाफिर अपना और ज्यादा अपमान सहन नहीं कर सका और वहां से चला गया. वहां से निकल कर उस गरीब किसान के घर पहुंचा. किसान ने मुसाफिर को आश्रय दिया ,उसे घर में बिठाकर प्रेम से भोजन भी करवाया और उसके साथ बातें की. इतना ही नहीं एक कमरे में खाट पर गोधडी बिछा दी. मुसाफिर शांतिपूर्वक सो गया.


       दूसरे दिन सुबह होते ही मुसाफिर जागा और जाते-जाते दिव्य स्वरूप धारण कर उसने किसान से कहा- मैं मुसाफिर बन कर तेरी परीक्षा लेने आया था. मैं तेरी सेवा भक्ति से बहुत प्रसन्न हुआ हूं.कोई वरदान मांग लो मुझसे मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूंगा ! किसान के आंखों में खुशी के आंसू आ गए वह भगवान के चरणों में गिर कर कहने लगा - भगवान मेरी कोई इच्छा नहीं है, सेवा भक्ति में मेरी श्रद्धा बनी रहे बस यही आशीर्वाद चाहिए .


भगवान बोले तथास्तु यह कह कर भगवान अदृश्य हो गए! तभी एक अद्भुत घटना घटी, किसान के घर के स्थान पर एक सुंदर हवेली बन गई ,जहां किसान का पुराना बाडा था वह एक सुंदर बागीचा बन गया!


 जब सेठ ने यह चमत्कार देखा, रातो रात बदलाव देखा तो उसको बहुत ईर्ष्या हुई. इस परिवर्तन का कारण जानकर सेठ को बहुत पश्चाताप हुआ. वह तुरंत उस मुसाफिर की खोज में निकल पड़ा . शहर के कुछ दूर पहुंचने के बाद सेठ को एक पेड़ के नीचे वह मुसाफिर दिखा . सेठ दौड़ कर गया और उस मुसाफिर के चरणों में गिर गया और बोला - हे भगवान , हे देव मैं आपको पहचान नहीं सका. मेरी भूल क्षमा करें. आप मेरे घर पधारे और मुझे आशीर्वाद दे . भगवान कंजूस सेठ उद्देश्य समझ गए और वे हंसते हुए बोले - मैं तेरा आमंत्रण स्वीकार नहीं कर सकता, फिर भी मैं तेरी इच्छा अवश्य पूरी करूंगा! मैं तुझे तीन वरदान देता हूं तेरी तीन इच्छाएं पूरी होंगी!  सेठ तो यही चाहता था।


        भगवान ने एक के बदले 3 वरदान दे दिए. सेठ को बहुत ताज्जुब हुआ और बहुत खुशी हुई. सेट घर चला गया, सोचता रहा कि मैं तीन वरदान में क्या क्या मांगू ? और ऐसे विचारों में उसे पूरी रात नींद नहीं आई. सुबह तक कोई निर्णय नहीं ले सका! सुबह होते ही मुर्गा बोला कुकड़ू कु तभी सेठ भगवान से बोला - हे भगवान इस मुर्गे का नाश हो.इसकी आवाज से मैं शांति से विचार भी नहीं कर सकता. सेठ जोर से बोल उठा. तुरंत ही मुर्गा लुढ़क गया कुकड़ू कु बोलना बंद हो गया! और सेठ समझ गया की उसकी पहली इच्छा पूरी हो गई .


सेठ ने सोचा 'पहला वरदान बेकार चला गया अब अन्य दो वरदान मांगने में खूब सावधानी रखनी होगी.'सेठ बिस्तर से उठा और स्नान करके तैयार हो गया और थोड़ा बहुत नाश्ता किया और अपने घर के बगीचे में चला गया. वहां एक बेंच पर बैठकर विचार करने लगा कि अन्य दो वरदानो में क्या मांगा जाए? उसी समय घर पर  कुछ  मेहमान आ गए . नौकर सेट को बुलाने आया तो सेठ ने उसे चिड़कर कर कहा - अरे जा अभी मैं बहुत गहरे विचार में डूबा हूं, मेरी इच्छा इस बेंच पर चिपके रहने की है, मुझे कोई ना बुलाए कोई ना परेशान करें.


 जब नोकर के बुलाने पर भी सेठ घर में नहीं आया तो थोड़ी देर में सेठानी स्वयंम बागीचे में आई और बोली अरे किस विचार में पड़े हैं? मेहमान को जल्दी है. वह कुछ जरूरी काम से आए हैं, अंदर चलिए. सेट बहुत गहरे विचार में डूबा हुआ था. ना उसने कुछ सुना ना कुछ जवाब दिया तब सेठानी ने सेठ का हाथ पकड़ कर जोर से उसे हिलाया और खींचा लेकिन यह क्या ! सेठ जिस बेंच पर बैठा हुआ था उसी से चिपक गया था. सेठ को बहुत आश्चर्य हुआ और वह तुरंत समझ गया. निराश होकर सर पर हाथ मारते हुए बोला - हे भगवान मैंने अपना दूसरा वरदान भी व्यर्थ गंवा दिया. सेठानी बोली वरदान? कैसा वरदान, कैसी बातें कर रहे हो ? सेठानी ने पूछा तब सेठ ने सेठानी को पूरी बात समझाई.


 सेठ की बात सुनकर सेठानी ने सेठ को समझाते हुए कहा- स्वामी यह तुम्हारे लोभ का परिणाम है. अब शौक करने का कोई अर्थ नहीं. अब तो एक ही उपाय है तुम भगवान से अपना तीसरा वरदान मांग कर बेंच से अलग हो जाओ. सेट को  सेठानी की बात उचित लगी .जीवन भर बेंच से चिपके रहने का कोई मतलब नहीं था. तब सेट जोर से बोला - हे भगवान आप दयालु है, मुझे इस बेंच से मुक्त कर दीजिए. ऐसा ही हुआ सेठ बेंच से छूट गया और सेठानी के साथ सेठ घर में गया.


 सेट अब पूरी तरह बदल गया, उदार बन गया.उसे समझ आ गया था की मेहनत से ,उदारता से और अच्छे कार्यों में संपत्ति लगाने से उसके पास धन हमेशा रहेगा और मन की शांति भी.


Kahani ka moral


    इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि ज्यादा लोभ करने से हमें फल नहीं मिलता.


बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी pdf

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