खुशबू की कीमत
आइए पढ़ते है ये रोचक कहानी.सालों पहले एक भिकारी भूख से तड़प रहा था. अपनी भूख मिटाने के लिए आते जाते लोगों से खाने के लिए कुछ मांग रहा था तभी उसे किसी व्यक्ति ने रोटी दी अब भिकारी रोटी के साथ सब्जी भी मिल जाए तो अच्छा होगा ऐसा सोचकर आसपास ढूंढने लगता है, तो तभी उसे एक पंडाल दिखता है.
वह पंडाल के पास पहुंचता है. पंडाल के मालिक से थोड़ी सब्जी मांगता है. मगर भिकारी को देखते ही गुस्से से पंडाल का मालिक आग बबूला हो जाता है! उसको धक्के मार मार के भगा देता है, लेकिन दुखी भिकारी किसी तरह मालिक की नजरों से बचते हुए पंडाल में फिर से चला जाता है. उसे वहां पर कई तरह की स्वादिष्ट सब्जियां दिखती है. गरमा गरम सब्जियों से भाप उठ रही थी. वाह! क्या बाफ थी मुंह में पानी आ रहा था. उसके पास सूखी रोटी थी भाप को देखकर भीकारी के मन में ख्याल आया की रोटियां इस भाप के ऊपर रख दी जाए तो सब्जियों की खुशबू उनमें मिल जाएगी, फिर रोटी में भी सब्जी का स्वाद आ जाएगा और फिर सब्जी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. यह सब सोचते हुए भिखारी रोटी के ऊपर सब्जी डालने के बजाए उन्हें सब्जी से निकलने वाली भाप के ऊपर रख देता है!
तभी वहां पर अचानक पंडाल का मालिक आ जाता है और भिखारी को सब्जी चोरी करने के लिए पकड़ लेता है. भिखारी उसे बहुत बार बोलता है मैंने चोरी नहीं करी मैंने सब्जी को हाथ भी नहीं लगाया, मैं सिर्फ सब्जी की खुशबू ले रहा था. पर पंडाल के मालिक ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी. मालिक भिखारी को धमकाते हुए बोला अगर तुमने खुशबू ही ली है तो तुम्हें वह खुशबू की भी कीमत चुकानी पड़ेगी!
डरे हुए आवाज में भिखारी उस मालिक को कहता है मेरे मालिक मेरे पास कुछ भी नहीं है जिससे मैं खुशबू की कीमत चुका सकूं.
तब पंडाल का मालिक उसे पकड़कर राजा के दरबार में लेकर जाता है . राजा पंडाल के मालिक और भिखारी की बातों को गौर से सुनता है. दोनों के बातों को सुनने के बाद राजा कुछ देर सोच कर पंडाल के मालिक से कहता है के तुम्हें अपने सब्जी के खुशबू के बदले में पैसे चाहिए? पंडाल का मालिक कहता है -जी हां हुजूर जरूर चाहिए! फिर राजा पंडाल के मालिक से कहता है ठीक है तुम्हारे सब्जियों की खुशबू की कीमत मैं स्वयं दूंगा.यह सुनते ही पंडाल का मालिक बहुत ही खुश हो जाता है.
फिर राजा उसे बताते हैं देखो मैं तुम्हारी सब्जी की खुशबू की कीमत सिक्कों की खनक से अदा करूंगा. इतना कहते ही राजा अपने कुछ सिक्के निकालते हैं और दोनों हाथों में लेकर खनखनाने लगते हैं और फिर उन सिक्कों को दोबारा अपने जेब में डाल देते हैं. यह सब देखकर पंडाल का मालिक बड़ा हैरान हो जाता है. उसे बहुत जोर का गुस्सा भी आ जाता है और वह बोलता है यह क्या हो रहा है?
राजा उसे जवाब देते हैं तुम्हारी सब्जी की खुशबू इस भिखारी ने ली थी इसी वजह से मैंने तुम्हें सिक्कों की खनक सुना दीअगर इस भिखारी ने सब्जी ली होती तो मैं तुम्हें सिक्के जरूर देता पर उसने खुशबू ली इसलिए मैंने तुम्हें खनखनाहट दी !
राजा का जवाब सुनते ही पंडाल का मालिक आंखें झुकाकर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया. भीकारी भी अब खुशी-खुशी वहांसे चला गया.
सीख: बुद्धि और चतुराई से हर समस्याओं का हल निकाला जा सकता है जैसे इस कहानी में राजा ने अपनी सूझबूझ और बुद्धि से उस पंडाल के मालिक के साथ किया.
