दूधवाली और साधु की कहानी | Hindi Moral Story
एक गांव था और गांव से थोड़ी दूर एक साधु का आश्रम था। साधु बड़ा ही सरल जीवन जीता था सुबह उठता नहा धोकर भगवान की पूजा कर कर हर दिन मंत्रमाला लेकर भगवान का नाम जपता रहता और 1001 मंत्र होने पर मंत्र जाप बंद करता और अपने बाकी के दिनचर्या के काम करता।
आश्रम गांव से बहुत ज्यादा दूर नहीं था इसलिए गांव के कई घरों के आसपास क्या हरकतें हो रही है वह आश्रम से साफ दिखाई देती। साधु मंत्र जाप खत्म करके आश्रम के बाहर बैठता तब अक्सर देखता था कि गांव में एक दूधवाली लड़की हर दिन कई घरों में दूध पहुंचाती है। वो जब भी लोगों को दूध देती तब बहुत अच्छे से नाप तोल कर देती थी मगर एक आदमी के घर वह बिना नाप तोल के उसके पतिले में ढेर सारा दूध डाल दिया करती।
एक बार जब वही आदमी आश्रम की तरफ आता दिखा तब साधु ने उसे पास में बुलाया और उससे पूछा कि वह दूध वाली लड़की तुम्हें हमेशा बिना नापतोल किए ऐसे ही दूध क्यों दे जाती है? उस आदमी ने हिचकिचाते हुए साधु से कहा वह इसलिए क्योंकि वह मुझसे प्रेम करती है और प्रेम में नापतोल नहीं किया जाता।
उस आदमी की यह बातें सुनकर साधु की जैसे आंख खुल गई उसके मन में सबसे पहले जो विचार आया वह यह था "दूधवाली इस तुच्छ आदमी से प्रेम करती है और फिर भी वह इतनी वफादार है कि उससे हिसाब किताब नहीं रखती और मैं जो इतने महान परमात्मा से प्यार करता हूं और फिर भी यह मंत्र माला लेकर हिसाब रखता हूं, क्या उसका प्रेम मेरे परमात्मा प्रेम से बढ़कर हैं? नहीं नहीं अबसे मुझे अपने मालिक को याद करने के लिए इस माला की कोई जरूरत नहीं है"
फिर क्या था उस दिन के बाद उस साधु ने कभी माला को हाथ नहीं लगाया और ज्यादा से ज्यादा प्रभुभक्ती में लीन रहने लगा।
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