सच्चे प्यार की कहानी हिंदी में | pyar ki kahani

 एक आदमी की एक बहुत ही सुंदर लड़की से शादी हुई। पति पत्नी दोनों ही अपने शादीशुदा जीवन से बहुत खुश थे खासकर पति जिसे अपनी बीवी की सुंदरता पर नाज था और वो कई बार उसकी तारीफ भी किया करता था।


Sache pyar ki kahani


कुछ महीने शादीशुदा जीवन में बिताने के बाद पत्नी को अपनी एक बीमारी के बारे में पता चलता है जो उसके skin से related होती हैं। उसे यहव भी पता चलता है कि इस बीमारी के चलते बहुत ही जल्द उसकी सारी सुंदरता नष्ट होने वाली है और वह एक बहुत ही बदसूरत महिला में परिवर्तित हो जाएगी। हालांकि इस महिला को जितना डर अपनी सुंदरता खोने का ना था उससे कहीं ज्यादा डर यह था कि उसकी ऐसी हालत होने पर उसका पति जो अभी उसे इतना चाहता है वो उससे नफरत करने लगेगा और यह नफरत वह सह नहीं सकेगी।


दिन बीतने लगे हाला की पत्नी अभी भी अपने पति के साथ थी मगर वह अब पहले जैसी नहीं रही थी, उसके चेहरे पर हमेशा चिंता और दुख दिखाई देता। एक दिन पति काम से जब अपने घर लौट रहा था जब अचानक उसका एक्सीडेंट हुआ और उस एक्सीडेंट में उसने अपने दोनों आंखों की रोशनी खो दी। दोनों के जीवन में जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।


दिन बीतने लगे दोनों अपना अपना गम भूल गए और एक दूसरे का सहारा बन गए और उनका प्यार वैसे ही रहा जैसा पहले था। कुछ समय बाद पत्नी की स्किन की बीमारी की वजह से वह बेहद बदसूरत दिखने लगी मगर अब पति उसकी कुरूपता देख नहीं सकता था तो उसको कुछ भी फर्क नहीं पड़ा और वह उसे वैसे ही चाहता रहा जैसे वो शुरू से चाहता था।


 कई साल बीत गए बुढ़ापे में पत्नी का देहांत हो गया पति ने पत्नी का अंतिम संस्कार अच्छी तरीके से पूरा किया और अब उसे अपने शहर को छोड़कर कहीं और जाकर रहने की इच्छा हुई इसलिए उसने अपना घर बार छोड़कर जाने की तैयारी शुरू कर दी उसे ऐसा कर देख उसके आडोशी पड़ोसी उसके पास आए और उसे समझाने लगे कि भाई साहब आप अकेले किसी अनजान जगह पर जाकर रहने वाले हो वह भी तब जब आप के अंधेपन में आपकी पत्नी अब आपके साथ नहीं है, आप कैसे रह पाओगे?


आदमी ने अपने सभी अड़ोसी पड़ोसियों को बताया कि आप सब मेरी चिंता ना करें मैं अंधा नहीं हूं! मुझे सब कुछ दिखाई देता है! मैं इतने साल तक इसीलिए अंधा बना रहा क्योंकि जब मेरी पत्नी जो कि इतनी अच्छी थी और मुझसे इतना प्रेम करती थी उसे अपनी बीमारी के बारे में पता चला तो दुखी रहने लगी थी और उसे अपनी बीमारी से भी ज्यादा इस बात का दुख था कि मैं उसकी कुरूपता को देख कर उसे नफरत ना करने लगूं। मैं चाह कर भी उसे कभी नहीं समझा पाता कि मैं उसकी सुंदरता से नहीं उस से प्रेम करता हूं इसीलिए मुझे इतने वर्षों तक अंधे होने का ढोंग रचना पड़ा ताकि मेरी पत्नी खुश रह सके।

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