Hindi kahani -Jhootha vyapari

 

पुराने समय की ये कहानी है, राजा महाराजा के समय की। कहानी काफी मजेदार है और पूरी पढ़ने पर आपको एक संदेश भी देती है तो इसे पूरी पढ़िए।


लालची व्यापारी की कहानी


एक गरीब आदमी को अपने राज्य में राह चलते हुए एक कपडे की पोटली मिली। पोटली को खोल के देखने पर उसमे 50 सोने के सिक्के थे साथ में एक चिठ्ठी थी जिसमे लिखा था


अगर ये पोटली किसी कारणवश खो जाती है और जिस भी व्यक्ति को मिले वो इसे लौतादे तो प्रामाणिकता के ईनाम स्वरूप उसे 10 सोने के सिक्के दिए जाएंगे साथ में उस चिठ्ठी पर उस व्यापारी का नाम लिखा था जिसके ये सिक्के और चिठ्ठी थी। 


जिसे ये सिक्को की पोटली मिली थी वो गरीब जरूर था पर प्रामाणिक भी था उसने चिठ्ठी पढ़कर जल्द से जल्द व्यापारी का पता लगा लिया और उसके घर पहोंच गया। व्यापारी अपने सिक्के खो जाने की वजह से काफी दुखी था इसलिए जब उसे पता चला कि ये गरीब आदमी उसके सिक्के लौटाने आया है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ये व्यापारी जितना अमीर था उतना ही लालची और मक्कार भी था। अपने सिक्के पाकर उसकी नियत पलट गई और उसने सोचा कुछ ऐसा करता हूं जिससे इस गरीब को एक भी फूटी कौड़ी ना देनी पड़े! वैसे भी ये गरीब मेरा क्या ही बिगाड़ लेगा?


व्यापारी ने उस आदमी के हाथ से सिक्को की पोटली लेकर तुरंत सिक्के गीन लिए और बोला अच्छा तो तुमने पहले ही 10 सिक्के अपने हिस्से के निकाल लिए! कोई बात नहीं वैसे भी में तुम्हे देने ही वाला था अच्छा हुआ तुमने खुद ही लेे लिए अच्छा तो अब तुम जाओ। बेचारा गरीब ये सुनकर हक्काबक्का रह गया उसने व्यापारी को काफी समझाने की कोशिश की कि उसने पोटली से एक भी सिक्का नहीं निकाला है पर व्यापारी 


कहा माननेवाला था? दोनों में जोरदार बहस हो गई और बात इतनी बढ़ गई कि राजा तक जा पहोची।


राजा ने अपने सिपाहियों को हुक्म दे कर दोनों को अपने दरबार में बुलवाया और दोनों से बारी बारी से झगड़े कि वजह पूछी।


गरीब आदमी ने पूरी सच्चाई के साथ अपनी बात रखी वहीं व्यापारी ने कहा महाराज ये सच है कि मैने चिट्ठी में 10 सिक्के देने की बात लिखी थिगर इस पोटली में पहले 60 सिक्के थे और जब ये मुझे वापिस लौटाई गई तब इसमें केवल 50 ही सिक्के है मतलब यही हुआ ना कि इस व्यक्ति ने पहले ही अपने हिस्से के सिक्के लेे लिए है।


राजा समझदार था उसे व्यापारी की लालच और युक्ति परखने में ज्यादा समय नहीं लगा इसलिए रहने न्याय करने का फैसला लिया वो भी युक्ति से ! राजा ने वो सिक्को की पोटली व्यापारी से लेकर उस गरीब आदमी को दे दी और व्यापारी से कहा कि मुझे यकीन है कि तुम सच बोल रहे हो कि तुम्हारी पोटली में 60 सिक्के होंगे।


किंतु इस आदमी की बात और व्यवहार देख कोई ये नहीं केह सकता कि ये 10 सिक्को के लिए झूट बोल सकता हैं क्योंकि ये चाहता तो सारे 60 सिक्के ही अपने पास रख लेता और तुम्हे लौटाने नहीं आता इन सब बातो का मतलब यही निकलता है कि इसे जो पोटली मिली है जिसमें केवल 50 सिक्के थे वो किसी और कि होगी और जब तक इसका सही मालिक नहीं मिलता ये सिक्के इसी आदमी के पास रहेंगे। राजा का ऐसा फैसला सुन व्यापारी के पैरो तले जमीन खिसक गई उसने राजा से कहा फिर मेरे सिक्को का क्या?

राजा ने कहा तुम इंतजार करो जब किसी ईमानदार व्यक्ति को तुम्हारी पोटली मिल जाएगी वो तुम्हे दे दी जाएगी।


कहानी का मोरल


दोस्तो हमें अपने वचन और कथन से कभी पलटना नहीं चाहिए। जो लोग अपने वचन और कथन कि इज्जत नहीं करते समाज में कोई भी उनकी इज्जत नहीं करता।


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