कहानी विधवा का संघर्ष (hindi story of widow's struggle)
दुनिया में बिना किसी कमाते पुरुष के जीवन बिताना कितना मुश्किल होता है और खास करके किसी गृहिणी के लिए ये बात कुछ महीनों पहले ही विधवा हुई कमला से बेहतर कौन जान सकता था!
कार एक्सीडेंट में पति की मृत्यु के बाद कमला पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। कमला को दो बेटियां थी जिनका पालन पोषण और पढ़ाई की जिम्मेदारी अब पूरी तरह से उस पर आ चुकी थी। उसके पति की थोड़ी बहुत सेविंग्स थी जो कुछ ही महीनों में अब शून्य होने को आई थी। भगवान जैसे उसकी कड़ी परीक्षा लेने पर तुला था क्योंकि ले देकर उसके पास एक ही कमाई का जरिया था जो थी उसकी गाय पर अब वो भी बीमारी से मर चुकी थी।
कमला को दिन-रात बस यही चिंता सताने लगी कि अब आगे का गुजारा कैसे होगा। कैसे मैं अपने दोनों बच्चियों को खाना खिला पाऊंगी और कैसे उनको कपड़े लत्ते दिला पाऊंगी या स्कूल भेज पाऊंगी?दिन रात की चिंता में कमला का चेहरा मुरझा रहा था जो साफ-साफ देखा जा सकता था।
कमला के कई सारे पड़ोसी थे मगर वह सिर्फ नाम के थे किसी ने भी अपना पड़ोसी धर्म नहीं निभाया था। इनमें से एक पड़ोसी टीचर थे जो कमला की परिस्थिति से भलीभांति वाकिफ थे।
एक दिन इस टीचर ने कमला को अपने पास बुलाया और समझाया, "देखो कमला कुछ दिनों के लिए अगर मैं तुम्हारी मदद कर भी दु तब भी इससे तुम्हारा कोई भला ना हो पाएगा अगर तुम्हें अपनी परिस्थिति बदलनी है तो तुम्हें खुद ही इसमें बदलाव लाना पड़ेगा।"
कमला ने बड़ी निराशा भरी आवाज में पूछा," भला मैं कर ही क्या सकती हूं? मेरे पास तो कोई नौकरी भी नहीं है?"
टीचर ने कहां,"नहीं-नहीं कमला मैं तुम्हें नौकरी करने के लिए नहीं कह रहा हूं। मैं जानता हूं कि तुम कढ़ाई बुनाई का काम बहुत अच्छा करती हो। बस इस काम में अपना मन लगा दो जितना ज्यादा कर पाओगी उतना यह काम करो। इसके अलावा तुम बाकी फालतू के खर्चे जैसे कि चाय का खर्चा कम कर दो। इसकी बजाय तुम लोग दलिया का पानी उबालकर पी सकते हो इससे चाय से होने वाले नुकसान से भी बचोगे और दलिया का पानी जो सेहत के लिए अच्छा होता है। ये तुम्हें और कई बीमारियों से बचाएगा और इस तरह से तुम थोड़ा थोड़ा पैसा बचा कर अपने लिए फिर से गाय खरीद सकती हो और अपनी रुकी हुई जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ा सकती है।"
कमला को इस भले शिक्षक की बात में कुछ दम लगा। उसने वैसे ही किया जैसे इस टीचर ने उससे करने के लिए कहा था और देखते ही देखते 1 साल बीत गया। साल के अंत में कमला के पास इतने पैसे बच गए थे कि वह एक गाय खरीद सके!
कहानी की सिख
दोस्तों जिंदगी में सुख दुख उतार चढ़ाव आना बहुत ही सहज बात है। सुख आने पर हमें होश में रहना चाहिए और दुख आने पर हमें अपने आप को संभालते हुए उससे निकलने का रास्ता ढूंढना चाहिए बस इसी तरह जीवन आगे बढ़ता है।
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