Moral Stories for childrens in Hindi

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समझदार चिड़िया की कहानी | Chidiya ki kahani in hindi


 दोस्तों कभी-कभी हमारे द्वारा किया गया छोटा सा प्रयास की पूरी परिस्थिति को बदलने का की संभावना रखता है। चलिए इस बात को हम इस छोटी सी प्यारी सी कहानी के द्वारा समझाते हैं।


एक गांव था गांव जंगल के बिल्कुल करीब था। एक बार जंगल में किसी कारणवश आग लग गई यह आग इतनी बेकाबू हो गई थी कि धीरे-धीरे जंगल से वह गांव के घरों तक पहुंच गई।


गांव में आग लगती देख गांव के लोगों में अफरा-तफरी मच गई सभी लोग अपनी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।


सभी लोग बिना सोचे समझे क्या करना चाहिए इस बात की परवाह किए इधर उधर भाग रहे थे शोर मचा रहे थे तब जंगल में रह रही एक छोटी सी चिड़िया अपनी चोंच मैं पानी भर भर कर उस आग पर छिड़क रही थी!


ये अद्भुत नजारा गांव के कुछ लोगों ने देखा और उन्होंने गांव के बाकी लोगों को भी इसके बारे में बताया। सभी गांव के लोगों को लगा यह इतनी नन्ही सी जान अगर हिम्मत नहीं हो रही है और जी जान से आग बुझाने के लिए प्रयास कर रही है तो हम सब भी प्रयास तो कर ही सकते हैं। बस फिर क्या था गांव का हर एक व्यक्ति आग बुझाने में लग गया और देखते ही देखते सारी आग शांत हो गई।


चिड़िया को यह जानकर बहुत आनंद हुआ कि अब आग काबू में आ चुकी है तो उसके चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आई। जंगल के दूसरे पशु प्राणी भी चिड़िया को ऐसा करते देख रहे थे उन्होंने चिड़िया का अट्टाहास करते हुए कहा,"तुम्हें क्या लगता है तुम्हारे बूंद बूंद पानी छिड़कने से ये आग बूझी है? तुम यह बूंद बूंद पानी ना भी डालती तो भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था।"


तब चिड़िया ने बड़े ही विनम्रता से सब को कहा,"मुझे पता है मेरे इस छोटे से प्रयास से ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब भी आग के बारे में बात की जाएगी तो मेरी नाम इसे बुझाने वालों में शामिल किया जाएगा ना कि तुम लोगों की तरह तमाशा देखने वालों में।"


Kahani ki sikh


दोस्तों जैसे सुख जीवन का हिस्सा है वैसे दुख और मुसीबते भी जीवन का हिस्सा है। जब भी कोई मुसीबत आए तो हमें उनसे लड़ने का और कोई ना कोई उपाय करने का प्रयास करना चाहिए ना कि उन्हें देखते हुए अपने सिर पकड़कर बैठना चाहिए।


दुखी पेड़ की कहानी | Ped ki kahani in hindi


एक बहुत सुंदर घना जंगल था। जंगल में हजारों तरह-तरह के पेड़ थे जो काफी सीधे थे, लंबे थे और काफी मजबूत भी थे मगर इन सबसे अलग जंगल से थोड़े दूर एक अकेला पेड़ था जो थोड़ा सा खोखला और टेढ़ा था।


अकेला और कुरूप होने की वजह से यह पेड़ हमेशा उदास रहता। जंगल के बाकी सीधे और

 सुंदर पेड़ों की तरफ देख कर हमेशा निराश हो जाता था और हमेशा ही भगवान को कोसा करता था कि भगवान ने उसे ऐसा क्यों बनाया?


एक दिन इस जंगल में एक लकड़हारा आया। लकड़हारा जंगल में प्रवेश कर रहा था जब सबसे पहले उसकी नजर उस अकेले खड़े टेढे पेड़ पर गिरी मगर उसने सोचा, 'यह टेढ़ा और कमजोर पेड़ मेरे किस काम का? इसको काट के मेहनत जाया जाएगी क्योंकि इसका कोई अच्छा दाम नहीं देगा। इससे अच्छा है मैं जंगल के बाकी के सीधे और सुंदर पेड़ काटकर उन्हें बेचू।'


लकड़हारा तुरंत उस पेड़ से दूर चला गया और बाकी के अच्छे दिखने वाले पेड़ों को काटकर अपने साथ लेकर गया। तब यह अकेले खड़े टेढे पेड़ को समझ आया की असल में भगवान ने उसको ऐसा बना कर उसकी रक्षा की है ना कि उसके साथ नाइंसाफी की है। अब उसने भगवान को कोसना छोड़ दिया और वह जब तक जिया तब तक अपनी जिंदगी में खुश रहा।


Kahani ki Sikh


दोस्तों,हमारे आसपास भी इस अकेले पेड़ की तरह कई लोग हमें मिल जाते हैं जो अपने जीवन में कभी भी खुश नहीं होते उन्हें लगता है कि उनके साथ हर कोई नाइंसाफी करता है। उन्हें समझना चाहिए जीवन में जिसको जितना मिला है उसमें संतोष करने से ही असली खुशी मिलती है।


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