युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी | Moral Story for youths
एक बड़ा ही अच्छा और नेक दिल राजा हुआ करता था। इस राजा के राज्य में हर कोई बेहद सुखी था। राजा को एक राजकुमारी थी लेकिन उसे कोई पुत्र नहीं था।
जब राजा की उम्र होने लगी तो उसे दो चिंताये सताने लगी। पहली राजकुमारी के लिए योग्य वर की तलाश कैसे की जाए? और दूसरी राजा के जाने के बाद इस राज्य को कौन संभालेगा?
इन चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए राजा ने अपने राज्य में अपने कुल गुरु को बुलाया और सारी समस्याएं उन्हें बताई। फुल गुरु ने राजा को कहा इन दोनों समस्याओं का हल एक ही है। तुम राजकुमारी का विवाह एक योग्य वर से करवा दो और उसी को यह राज्य सौंप दो।
गुरु ने कहा," योग्य वर तलाश करने के लिए ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं है! तुम ऐसे सभी युवाओं को अपने राज्य में स्वयंवर के लिए बुलाओ जो तुम्हारे हिसाब से राजकुमारी के लिए अच्छे रहेंगे लेकिन स्वयंवर से पहले उन सभी को अपने महल में भोजन कराओ। उनका भोजन समाप्त हो जाने पर मैं तुम्हें राजकुमारी के लिए और इस राज्य को संभालने के लिए योग्य कौन है इस बारे में बता दूंगा।"
गुरु के आदेश अनुसार राजा ने अपने राज्य के और अड़ोस पड़ोस के राज्य से कई युवाओं को अपने महल पर आमंत्रित किया। इस आमंत्रण में श्रीमंत और गरीब दोनों तरह के युवाओं को बुलाया गया था।
सभी को राज महल में खाना खिलाने के लिए बिठाया गया। कुलगुरू उस वक्त वहीं पर हाजिर थे और सभी युवाओं को बड़े ध्यान से देख रहे थे आखिर में उन्होंने एक युवा को राजा के समक्ष हाजिर करते हुए कहा राजन यह दुआ ही आपकी बेटी और आपके राज्य दोनों के लिए अति योग्य है।
राजा ने जब उस युवा को ध्यान से देखा तो वह बड़ा साधारण से घर का लिख रहा था। राजा ने गुरु से पूछा कि आप कैसे इस महीने तक पहुंचे यही युवा राजकुमारी और राज्य के लिए योग्य है?
तब गुरु ने राजा को बताया जब सब लोग भोजन कर रहे थे तब ज्यादातर युवाओं ने या तो जरूरत से ज्यादा खाना ले लिया था या फिर जितना लिया था उसको पूरी तरह खाया नहीं था।
बस एक यही युवा था जिसने अपने थाली में अन्नका एक भी कन नहीं छोड़ा।
गुरु की बात सुनकर राजा को यह समझ में नहीं आया कि केवल खाना पूरी तरह से खाने पर कोई राज्य संभालने के लिए योग्य कैसे साबित हो सकता है? राजा के चेहरे को पढ़कर गुरु को यह पता चल गया कि राजा के मन में अभी भी शंका बची हुई है तब गुरु ने राजा से कहा तुम्हारे मन की शंका पूरी तरह समाप्त हो जाएगी तुम इस युवा से ऐसा करने का कारण पुछो।
राजा ने युवा से पूछा," तुमने अपने थाली का एक-एक कन क्यों खा लिया क्या तुम्हें बहोत ज्यादा भूख लगी थी?"
युवा ने राजा के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा महाराज ऐसा नहीं है इसके पीछे तीन कारण है जिनकी वजह से मैं ऐसा करता हूं। जैसे कि आप देख रहे हैं मैं बहुत ही साधारण परिवार चाहता हूं। जब जब हम सब परिवार घर पर खाना खाने बैठते हैं तो हम सब हमें बिरोसा गया अन्न का हर एक दाना अच्छी तरह से खाते हैं।
ऐसा करने के पीछे का पहला कारण है पिता के प्रति आदर मेरे पिता जो इतनी मेहनत करके पूरे परिवार के लिए भोजन जुटाते हैं मैं उस भोजन का व्यय करके उनका अपमान कैसे कर सकता हूं?
दूसरा कारण है अपनी माता का आदर सुबह इतनी जल्दी उठ कर बड़े गांव से सबके लिए खाना बनाती है उनकी मेहनत और उनकी भावना की कद्र करता हूं।
तीसरा कारण भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे देश के अन्नदाता यानी किसानों से संबंधित है जो दिन रात ठंडी,गर्मी हर तरह का मौसम बर्दाश्त करके धरती का सीना फाड के अथक प्रयासों से अनाज पैदा करते हैं।
अब आप ही बताइए कि मैं जो करता हूं वह सही है या गलत? राजा उस युवक के विचार सुनकर बहुत खुश हो गए और अब उन्हें 1 प्रतिशत की भी शंका नहीं रही उन्होंने खुशी-खुशी उस युवक से अपनी राजकुमारी की शादी करवा दी। कुछ समय बाद अपना राजपाट भी उसे सौंप दिया जो उसने बहुत अच्छे से संभाला।
युवाओं के लिए प्रेरणादायक संदेश
दोस्तों हमें जब भी किसी व्यक्ति को परखना हो उसके बारे में कोई राय बनानी हो तो सबसे पहले उसका व्यवहार देखना चाहिए क्योंकि आचार वैसा ही होता है जैसे लोगों के विचार होते हैं।
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