दिलचस्प कहानी : जैसी करनी वैसी भरनी

 दिलचस्प कहानी : जैसी करनी वैसी भरनी


यह कहानी हमें बताएगी कि लालच और बुरे कर्मों का फल किस तरह हमें घूम कर इसी जीवन में मिलता है।





एक गांव में 2 किसान रहते थे। दोनों पड़ोसी थे और दोनों के पास अच्छी खासी खेती लायक जमीन थी जिसमें वह दोनों ही सब्जियां उगा कर बाजार में बेच दिया करते थे।


दोनों किसानों में से एक किसान बहुत ही भले मनका था उसका नाम रामप्रसाद था। दूसरा किसान जिसका स्वभाव थोड़ा लालची और कपटी था उसका नाम धनीराम था।


रामप्रसाद बहुत मेहनती था और वह अपने आसपास के गांवों में बाजारों में किस सब्जी की मांग ज्यादा है उसके हिसाब से अपने खेतों में सब्जियों उगाया करता था। 


धनीराम बिना ज्यादा मेहनत किए ज्यादा पैसे कमाने में मानता था। वो अच्छे से जानता था कि आजू-बाजू के मार्केट में किन सब्जियों की मांग ज्यादा है यह जानने के लिए रामप्रसाद काफी मेहनत करता है और हर तरफ से खबरें लेकर आता है इसलिए वह बिना कुछ किए रामप्रसाद जो भी सब्जी लगाया करता वही सब्जी अपने खेत में भी लगा दिया करता था।


एक बार रामप्रसाद में कई गांवों में जांच करके यह पता किया कि इस बार प्यार की फसल ज्यादा नहीं होने वाली है इसलिए इस साल प्याज की खेती करने में काफी फायदा होगा। रामप्रसाद ने अपने सारे खेतों में अच्छे नस्ल के प्याज बो दिए।


हमेशा की तरह मेहनत से दूर भागने वाला धनीराम भी रामप्रसाद की देखा देखी अपने सारे खेतों में प्याज की बुआई कर देता है। देखते ही देखते उन दोनों के ही खेतों में प्याज की अच्छी फसल पैदा हो जाती है।


दोनों ही एक दिन अपने खेत से थोड़ा-थोड़ा प्याज निकालकर बाजार में बेचने के लिए लेकर जाते हैं। रामप्रसाद और धनीराम बाजार में एक दूसरे के आजू-बाजू में बैठकर प्याज बेचना लगते हैं। देखते ही देखते कुछ घंटों में ही दोनों के सारे प्याज ऊंचे दामों में हाथों-हाथ खरीद लिए जाते हैं।


रामप्रसाद यह सोचकर काफी खुश होता है कि उसने जो भी मेहनत यह पता करने में की थी कि इस साल प्याज की खेती करना फायदेमंद होगा वह सफल रही और सच में बाजारों में इस वर्ष प्याज की काफी डिमांड बढ़ी हुई है।


वहीं दूसरी तरफ धनीराम भी अपने प्याज के अच्छे दाम मिलने पर बहुत खुश होता है लेकिन उसका लालची और कपटी दिमाग में एक विचार कौंधने लगता है।


धनीराम घर पहुंच कर अपनी बीवी को बेचे हुए प्याज के सारे पैसे दिखाता है जिन्हें देखकर उसकी बीवी भी काफी खुश हो जाती है और कहती है," इस साल तो प्याज से अच्छी कमाई होगी ऐसा लगता है।"


धनीराम कहता है," हां बिल्कुल सही कहा इस साल प्याज हमें मालामाल कर सकता है और जितना तुम सोच रही हो उससे कहीं ज्यादा! धनीराम की बीवी कुछ समझ नहीं पाती तब धनीराम कहता है,"मेरे पास एक आईडिया है जिससे हमारे खेत में जितने भी प्याज है उनको बेचकर तो हम पैसे कमाएंगे ही लेकिन उससे भी डबल पैसे हम इस साल कमा सकते हैं।" और इतना कहकर धनीराम उसकी बीवी के कान में कुछ कहता है।


कुछ घंटों बाद जब रात हो जाती है तब धनीराम और उसकी बीवी रात के अंधेरे में अपने खेतों में जाते हैं। वह लोग पहले अपने सारे खेतों से और फिर बाद में सुखीराम के खेतों से भी सारी प्याज निकालकर बोरियों में भरकर अपने घर लेकर आ जाते हैं। घर पहुंच कर वह सारी प्याज को अपनी रसोई घर के पीछे बने एक खाली कमरे में भरकर उसे ताला लगा देते हैं।


धनीराम अपनी बीवी से कहता है," देखना इस साल प्याज के ऊंचे दाम होने के कारण और अब हमारे पास इतने सारे प्याज होने के कारण इन्हें बेच कर हम आनेवाले कई सालों के लिए धन इकट्ठा कर लेंगे।"


धनीराम की बीवी कहती है," बात तो आप सही कह रहे हैं मगर कल सुबह जब राम प्रसाद को अपने खेतों की हालत पता चलेगी तब क्या होगा यही सोच कर मेरा जी बैठा जा रहा है।"


धनी प्रसाद अपनी बीवी को कहता है," तुम खामखा डरती हो! हमने आज रात क्या किया है किसी को कानों कान खबर नहीं हुई है।  मैं इस बात की किसी को भनक भी नहीं लगने दूंगा क्योंकि मैं इन प्याज को सही समय आने पर ही बेचूंगा। हां तुम भी ध्यान रखना कि इस बारे में तुम किसी से कुछ भी बात मत करना।"


अगले दिन धनीराम अपने खेतों की ओर जाता है तब देखता है कि रामप्रसाद अपने खेतों में सिर पकड़ कर बैठा है और रो रहा है। 


धनीराम को आते देख रामप्रसाद उसकी तरफ दौड़ कर आता है और उसको लिपट कर रोने लगता है और कहता है," धनीराम, देखो हम बर्बाद हो गए। किसी ने हम दोनों के ही खेतों से प्याज की चोरी कर ली है।"


दहेगाम झूठ मूठ का अफसोस दिखाने लगता है और कहता है, " जिसने भी यह किया है बहुत बुरा किया है। उसने हमारे साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है। भगवान उसे कभी खुश नहीं रखेगा!"


एक-दो दिन गम में डूबे रहने के बाद रामप्रसाद फिर से अपने खेतों में प्याज की बुवाई कर देता है। 


धनीराम जो सारा प्यार अपने घर में दबा कर बैठा है वह प्याज के दाम बाजार में बढ़े उसकी राह देखता है और एक दिन दूसरी सब्जियां बाजार में लेकर जाता है ताकि पता कर सके कि बाजार में प्याज के क्या भाव चल रहे हैं।


बाजार में कई लोग उसके पास प्याज खरीदने आते हैं क्योंकि लोगों को पता था कि धनीराम ने अपने खेतों में प्याज की बुवाई की थी और इस साल उसके आसपास के कई गांवों में प्याज मिल नहीं रहा था। कई लोगों ने उससे कहा कि हम ₹70 किलो भी प्याज खरीदने के लिए तैयार है बस तुम कहीं से प्याज लेकर आओ।


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धनीराम बहुत खुश होकर अपने घर लौटता है और ये सारी बात उसकी बीवी को बताता है तो उसकी बीवी बोलती है," बहुत अच्छी बात है, चलो तुम यह सारे प्यार अब बाजार में ले जाकर बेच दो।"


लेकिन धनीराम नहीं मानता वह अपनी बीवी से कहता है कि," अभी इन प्याज को बेचने का सही समय नहीं आया है। मैं जानता हूं कि इस साल प्याज की जितनी किल्लत है इसलिए एक दो हफ्तों में ही लोग ₹100 किलो में भी प्याज को खरीदने के लिए तैयार हो जाएंगे तभी मैं यह सारे प्याज बाजार में ले जाकर बेचूंगा।,इस के लिए एक-दो हफ्ते और इंतजार करना पड़े तब भी कोई बात नहीं।"


देखते ही देखते एक महीना बीत जाता है और एक बार फिर धनीराम बाजार में जाकर प्याज की कीमतों का पता करता है। वह खुश हो जाता है क्योंकि इस बार लोग सो रुपया भी 1 किलो प्याज के लिए देने को तैयार हो जाते हैं।


धनीराम जल्दी से अपने घर लौटता है और यह बात अपनी बीवी को बताता है। उसकी बीवी भी खुशी के मारे उछल पड़ती है। दोनों पति-पत्नी बड़ी खुशी खुशी उस कमरे को खोलते हैं जिसमें उन्होंने चोरी किया हुआ प्याज बोरियों में भरकर रखा था।


जैसे ही दरवाजा खुलता है उस कमरे से भयानक बदबू उन दोनों को महसूस होती है। वह जल्दी जल्दी प्याज की बोरियों को खोलकर देखते हैं तो पाते हैं कि उन्होंने छिपा कर रखे हजारों प्याज में से एक भी प्याज अब खाने लायक नहीं बचे थे, सब के सब सड़ चुके थे।


दोनों पति-पत्नी अपना सिर पकड़ कर वहीं पर बैठ गए और फूट-फूट कर रोने लगे। दोनों ही जानते थे कि इस साल वह चोरी नहीं भी करते तब भी अच्छा खासा धन कमा सकते थे लेकिन उनकी लालच और बुरे काम की वजह से उनके पूरी साल की मेहनत भी पानी में चली गई। और दोनों यह सोचकर और दोनों ये सोचकर ज्यादा दुखी होने लगे कि अब बिना पैसों के पूरे साल का गुजारा कैसे होगा?


दोनों अपने किए पर पछता रहे थे तभी उनके घर के पास से रामप्रसाद बोरिया भर भर कर प्याज मार्केट में बेचने के लिए जा रहा था क्योंकि उसने दुबारा बोए हुए प्याज अच्छी तरह से फल चुके थे और अब उसे पहले से भी दुगने भाव में प्याज को बेचने का मौका मिला था।


धनीराम और उसकी पत्नी यह देख कर अपनी गलती पर और ज्यादा पछतावा करने लगे। दोनों ने ही अब कसम खाई की वह आगे से कभी भी लालच नहीं करेंगे और कोई ऐसा बुरा काम नहीं करेंगे जिससे दूसरों का या खुद का कोई नुकसान हो।


दिलचस्प कहानी : जैसी करनी वैसी भरनी की सीख


दोस्तों कहानी को पढ़ने से हम यह जान ही चुके हैं कि दूसरों का बुरा करके कभी हमारा अच्छा नहीं होता। जब कोई किसी के लिए गड्ढा खोदता है तो अक्सर वह खुद ही उस गड्ढे में गिर जाया करता है। इसलिए हमें बुराई और लालच जैसी भावनाओं से दूर रहकर हमेशा दूसरों का और अपना भला ही सोचना चाहिए।


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