नैतिक कहानियां | moral hindi kahaniya
कहानी : सौभाग्य ही नहीं दुर्भाग्य भी साझा करो
दो आदमी सड़क के किनारे एकसाथ यात्रा कर रहे थे, जब उनमें से एक को भरा हुआ पर्स दिखा जो उसने तुरंत उठाया।
"मैं कितना भाग्यशाली हूँ!" उसने कहा। "मुझे एक पर्स मिला है। उसके भार को देखते हुए वह सोने से भरा होना चाहिए।”
"ऐसा मत कहो 'मुझे एक पर्स मिला है," उसके साथी ने कहा। "बल्कि कहो 'हमें एक पर्स मिला है' और 'हम कितने भाग्यशाली हैं।' क्योंकि साथ चल रहे यात्रियों को सड़क के भाग्य या दुर्भाग्य को समान रूप से साझा करना चाहिए।"
"नहीं, नहीं," दूसरे ने गुस्से से जवाब दिया। "मैंने इसे पाया और मैं ही इसे रखने जा रहा हूं।"
तभी उन्होंने "रुको,पकड़ो चोर!" के चिल्लाने की आवाज सुनी। उन्होंने देखा कि चारों ओर से कई लोगों की भीड़ सड़क पर उनकी तरफ ही आ रही थी।
जिस व्यक्ति को पर्स मिला वह दहशत में आ गया।
"अगर वे हमारे पास पर्स पाते हैं तो हम मारे जाएंगे ," वह रोया।
"नहीं, नहीं," दूसरे ने उत्तर दिया, "आप पहले 'हम' नहीं कहते थे, इसलिए अब अपने 'मैं' से चिपके रहें। कहो 'मैं मारा जाऊंगा।'"
कहानी का मोराल :
हम किसी से अपने दुर्भाग्य को साझा करने की उम्मीद नहीं कर सकते जब तक कि हम अपने सौभाग्य को भी साझा करने के लिए तैयार न हों।
कहानी : कपड़े नहीं ज्ञान देखो
एक गाँव में एक ज्ञानी रहता था। सभी शास्त्रों में पारंगत होने और सब कुछ जानने के बावजूद वह बहुत गरीब था और उसके पास घर नहीं था।
एक दिन का भोजन भी प्राप्त करना उसके लिए बहुत कठिन था और उसके कपड़े खराब हो गए थे।
ये बुद्धिमान व्यक्ति घर-घर जाकर भीख मांगता था। "कृपया मुझे भिक्षा दें।"
उसके फटे-पुराने कपड़ों को देखकर ज्यादातर लोग उसे पागल समझते थे और दरवाजा बंद कर लेते थे। इस वजह से एक बार उसे कई दिनों से खाने को कुछ नहीं मिला था।
लेकिन एक दिन उसे एक अमीर आदमी ने मंहगा पोषक दिया। वह नया पोषक पहनकर पहले की तरह भिक्षा लेने चला गया।
आज जिस पहले घर में वह गया था, उसके लिए गृहस्थ ने बड़े आदर के साथ उसे अंदर बुलाया, "महोदय, कृपया अंदर आएं और हमारे घर में भोजन करें।"
समझदार आदमी अंदर गया और खाने के लिए बैठ गया। गृहस्थ ने उन्हें विभिन्न प्रकार के सूप, भोजन, व्यंजन और खाने के लिए मिठाईयां परोसी।
सबसे पहले प्रार्थना करने के बाद, बुद्धिमान ने अपने हाथ में एक मिठाई ली और अपने नए पोषक को यह कहते हुए खिलाना शुरू किया, "मेरे प्यारे पोषक खाओ, खाओ।"
यह देखकर गृहस्थ हैरान रह गया और बुद्धिमान व्यक्ति की गतिविधि को समझ नहीं पा रहा था।
तो बुद्धिमान ने पूछा, "श्रीमान , पोषक नहीं खाता। सही?
दूसरे आदमी ने हा में सिर हिलाया और पूछा," फिर इस पोषक के लिए खाना क्यों दे रहे हो?”
बुद्धिमान व्यक्ति ने उत्तर दिया, "वास्तव में इस नए पोषक के कारण ही आपने आज मुझे भोजन की पेशकश की। जब कल पुराने फटे कपड़ो में मैंने खाना मांगा तो कल ही तुमने मुझे जाने को कहा था।
चूंकि मुझे यह खाना इस नए पोषक के कारण मिला है, इसलिए मैं इसका आभारी हूं और इसलिए मैं इसे खिला रहा हूं।"
बुद्धिमान की बात सुनकर गृहस्थ थोड़ा लज्जित हुआ।
कहानी की शिक्षा:
कभी भी किसी को उनके आउटलुक से जज न करें।
कहानी : दिवास्वप्न
ये कहानी एक गरीब आदमी की है जो बेहद आलसी था। वह हमेशा अमीर बनने का सपना देखता था मगर उसके लिए काम नहीं करना चाहता था। वह सिर्फ अपना पेट भरने के लिए भीख मांगता था।
एक दिन सौभाग्य से उसे भिक्षा के रूप में दूध का एक बर्तन मिला। वह बहुत खुश हुआ। वह उस बर्तन को लेकर घर गया और उसे उबाला, उसमें से कुछ पिया और बाकी बचा हुआ दूध को दही बनाने के लिए उसमे थोड़ी दही मिला दिया।
वह लेट गया और जल्द ही सो गया। सोते समय वह अमीर होने का सपना देखता है। उसके विचार उस दिन मिले दूध के बर्तन के इर्द गिर्द होते है।
आदमी के सपने
उसने सपना देखा, “सुबह तक घड़े का दूध दही बन जाता है। एक बार दही जमने के बाद वह उसे मथ कर उसमें से मक्खन निकाल लेता है.
फिर उस मक्खन से घी बनाता है। फिर वो इस घी को अच्छे दमो में बाजार में बेच देता है और उस पैसे से वह एक मुर्गी खरीदता है। वो। मुर्गी हर दिन अंडे देती है।फिर उसके पास उन अंडों से कई मुर्गियां हो जाती है जिनसे उसका खुद का एक पोल्ट्री फार्म हो जाता है।
वह कल्पना करता रहा कि, “कुछ मुर्गीया बेचकर वो कुछ गाय खरीदता है और कुछ ही दिनों में वह दूर डेयरी खोल लेता है।
सभी लोग उससे दूध खरीदेंते है और फिर वह जल्द ही अमीर हो जाता है और फिर वो सोना चांदी खरीदता है और उसके गहने बनवाता है, जिसे वह राजा को ऊंचे दामों में बेच देता है।
वह इतना अमीर हो जाता है कि वह एक सुंदर लड़की से शादी करता है और जल्द ही उसका एक सुंदर बेटा होता है। एक दिन उसका बेटा कोई शरारत करता है तो उसे बड़ी लाठी से पीटता है।
इस सपने के दौरान उसने अनजाने में अपने पास पड़ी छड़ी उठाई और सपने में अपने बेटे को पीटने की सोचकर उसे हिलाने लगा। अचानक इसी अवस्था में उसने दूध घड़े को मारा और उसे तोड़ दिया।
जब वह उठा तो सारा दूध बर्तन से बाहर गिरा था!
कहानी की शिक्षा:
दिवास्वप्न देखने से कुछ हासिल नहीं होता। सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
ये श्रेष्ठ नैतिक कहानियां | moral hindi kahaniya) भी पढे।
- कहानी - कंजूस पापा
- कहानी - चित्रकार की खामियां
- कहानी - गधे और घोड़े की
- कहानी - भाई का त्याग
- कहानी - स्वर्ग और नर्क
- अकबर बीरबल की कहानि
- कहानी - चांदी की चाबी
- कहानी - भगवान कहा?
- मजेदार कहानी 4 दोस्तों की
- कहानी - संघर्ष
