कहानी : हठी का साथ | Hindi kahani

कहानी : हठी का साथ | Hindi kahani


 दो शिकारी थे जिनका काम जंगली पशु पक्षियों को पकड़कर उन्हें बाजार में बेचकर पैसे कमाना था।


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 एक दिन यह दोनों शिकारी एक जंगल में शिकार करने के लिए पहुंचे। पूरा दिन शिकार की तलाश करने के लिए यह दोनों जंगल में इधर-उधर भटके मगर उन्हें एक भी पशु या पक्षी दिखाई नहीं दिया। आखिरकार थक हार कर यह दोनों आराम करने के लिए जंगल के एक तालाब के पास आ पहुंचे।


दोनों में से एक शिकारी इतना थक गया था कि वह तुरंत तालाब के पास एक पेड़ के नीचे लेट गया और आराम करने लगा।


 दूसरा शिकारी तालाब के नजदीक गया और तालाब के पानी से अपने हाथ - मुंह धोने लगा जब उसने गौर से देखा तब उसे तालाब में अनगिनत मछलियां दिखाई दी यह देख कर वह खुश हो गया और अपने दूसरे साथी के पास लौट आया।


उसे इतना खुश देख कर आराम कर रहा शिकारी बोला, "बड़े अजीब आदमी हो यार, यहां दिनभर घूमने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिला और तुम मुस्कुरा रहें हो!

तालाब में कहीं हीरे मोती तो नहीं दिख गए?"


"हीरे मोती तो नहीं है लेकिन हां उनसे कम भी नहीं है! मैंने तालाब में ढेर सारी कीमती मछलियां देखी है जिनका बाजार में बहुत अच्छा दाम मिलता है। क्या हुआ अगर आज हम पशु पक्षी का शिकार नहीं कर पाए। आज तालाब में जाल डालेंगे और ढेर सारी मछलियां पकड़ेंगे और उन्हें बाजार में बेचकर अच्छा धन कमाएंगे।" शिकारी ने कहा।


"अच्छी बात है, जरूर जाल डालेंगे और मछलियां पकड़ेंगे लेकिन आज नहीं कल सुबह। देखो शाम होने लगी है और हम थक भी गए हैं तो आज रात यहीं सो कर रात गुजारते है और सुबह होते ही जाल डालकर मछलियां पकड़ेंगे।" पेड़ के नीचे आराम कर रहे शिकारी ने दूसरे की शिकारी से कहा दोनों सहमत हुए और वह सोने लगे।


जब दोनों शिकारियों का यह वार्तालाप चल रहा था तब तालाब में कुछ मछलियां उनकी बातें सुन रही थी। उनकी बातें सुनकर पूरी तरह से डर गई। डरी हुई मछलियों ने तय किया इस बात की जानकारी तालाब के राजा मगरमच्छ को दी जाए ताकि वह कुछ ऐसा कदम उठाये जिससे तालाब में रहने वाले सभी जीवो की जान बचाई जा सके।


मछलियों ने ऐसा ही किया और सारी बात जाकर राजा मगरमच्छ को बताई। राजा और उसके साथ ही खड़े प्रधान मगरमच्छ ने सारी बात सुनी । मछलियों ने  राजा से विनती की  राजा तुरंत तालाब के सभी जीव जंतुओं को दूसरे नदी या तालाब में स्थानांतरित करने के लिए कोई उपाय करे क्योंकि उनके पास सिर्फ कल सुबह होने तक का ही समय शेष है।


हठी मगरमच्छ


मछलियों की बात सुनकर राजा गंभीर हो गया और गुस्से से बोला कि ये तालाब उनका घर है उनकी कई पीढ़ियां इसी में जी और मरी है तो वो कभी भी इस तालाब को छोड़कर जाने की नहीं सोच सकता। राजा ने ये भी कहा कि वो भी अपने पूर्वजों की तरह ही वीर है इसलिए वो इस तालाब को कायरो की भांति छोड़कर नहीं जा सकता और बाकी जीवो को भी नहीं जन चाहिए।


मछलियां राजा की ऐसी बाते सुनकर निराश हो गई। उन्होंने प्रधान मगर मच्छ की तरफ आशा भरी नजरो से देखा क्योंकि सबको पता था कि प्रधान राजा की तुलना में अधिक  बुषधिवान और समझदार हैं।


प्रधान जो ये सारी बाते ध्यान से सुन रहा था अब राजा को परिस्थिति की गंभीरता समझाने लगा..

"राजन, अगर हैं अपनी जान बचाने के लिए कुछ समय के लिए किसी और स्थान पर चले जाते है तब भी इससे हमारी बहादुरी पर कोई सवाल नही उठा ने वाला और अभी बहादुरी से नहीं समझदारी से काम लेने का समय है इसलिए अपनी प्रजा की जान बचाने के लिए उचित कदम उठाए।"


राजा अपने फैसले से ट्स से मस नहीं हुआ और उल्टा प्रधान को ही हिदायत देने लगा कि तुम भी इस पुश्तैनी तालाब को छोड़कर गद्दारी मत करो!


समझदार प्रधान जान गया कि राजा के आगे समय व्यर्थ करने का को फायदा नहीं है इस मुशकील घड़ी से अब उसे ही निपटना पड़ेगा। प्रधान ने उन मछलियों की मदद से तालाब के सभी जीवो के एक जगह इकठ्ठा किया और उन पर आए संकट से सबको परिचित कराया और राजा के क्या विचार है इस बारे में भी बताया।


सभी जीव प्रधान कि बाते सुन कर दो समूहों में बट गए एक समूह जो राजा की बातो से इत्तेफाक रखता था और दूसरा समूह प्रधान की बात मानने में ही अपनी भलाई समझता था।


प्रधान ने तालाब के ऐसे प्राणियों कि एक टीम तैयार की को पानी और जमीन दोनों पर चलने में समर्थ हो जैसे कि कछुए,मगरमच्छ...

और बाकी सब जीवो को इनकी पीठ पर बिठाकर नजदीक के दूसरे तालाब में स्थानांतरित कर दिया और उनकी जान बचा ली।


दूसरी तरफ राजा के विचारो से सहमत सभी जीवो की जान अभी भी शिकारियों के हाथ में थी।सुबह जब शिकारी उठे तो उन्होंने उठते ही तालाब में जाल फेंका और कई सारी मछलियां,केंकड़े और अन्य जीवों को पकड़ के बाज़ार में बेचने के लिए  गए। अब तालाब  में रुके सभी जीव अपने फैसले पर पछताने लगे।


कहानी की सिख :


दोस्तो कहते है हठी का साथ कभी अच्छा नहीं होता। फैसले हमेशा परिस्थिति को ध्यान में रखकर लेने चाहिए।


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