लड़की हुई है....एक प्रेरक कहानी | emotional motivational Kahani
2 दिन तो हुए थे मां को घर आए हुए और सुबह सुबह ही मां अपना सामान पैक करके वापस जाने की तैयारी कर रही थी। ऐसे ही तो ना आई थी मां बेटे के घर। आने का कारण भी खास था। बहू की डिलीवरी हुई थी और दादी बनने का नसीब मिला था मां को। मां दौड़ी दौड़ी खुशी खुशी अपने कॉलेज से छुट्टियां लेकर आई थी अपने पोते का मुंह देखने के लिए।
एक बड़े कॉलेज में लेक्चरर होने के बावजूद मां की सोच अभी भी ऑर्थोडॉक्स टाइप की थी जो पहले से यह सोच कर बैठी थी कि पोता होगा तो अच्छा होगा। मां के अरमानों पर तब पानी फिर गया जब बहू ने बेटे को नहीं बेटी को जन्म दिया। हालांकि मां यह सब अपने चेहरे पर दिखाना नहीं चाहती थी लेकिन उनका बर्ताव सारी बातें बयां कर रहा था।
मां को वापस जाने की तैयारी करता देख बेटा मां के पास आया और मां से बोला,"मां 2 दिन तो हुए है तुम्हे आने को और तुम जाने की तैयारी कर रही हो!"
"अरे बेटा तुम तो जानते ही हो कॉलेज फिर से शुरू हो गए हैं। तुम्हारे पापा और मेरे लेक्चर फिर से शुरू करने पड़ेंगे। ज्यादा छुट्टियां भी तो नहीं ली थी मैंने, जाना तो पड़ेगा। लेकिन तू चिंता मत कर थोड़े दिन बाद मैं और तुम्हारे पापा दोनों ही वापस आएंगे।"
अगले दिन सुबह सुबह मां नहा धोकर जाने के लिए तैयार थी। बेटा किचन से चाय बनाकर मां को देता है। मां बेटे को बहू और पोती के बारे में पूछती है बेटा कहता है दोनों सो रहे हैं।
मां बेटे से कहती है," खुशी की बात है बेटा। तेरे यहां लक्ष्मी ने जन्म लिया है लेकिन मेरी मानो तो अब तुम और बहू मिलकर एक और बच्चा प्लान कर लो ताकि तेरी फैमिली पूरी हो जाए। हो सकता है मेरी बातें तुम्हें पुराने जमाने की लगे लेकिन थोड़ा प्रैक्टिकल हो कर सोचो।"
बेटा अच्छे से जानता था कि मां जो कह रही थी और जो कहना चाहती थी वह बातें दोनों ही बहुत अलग थी।
बेटे ने अपने जेब से अपना मोबाइल फोन निकाला और उसमें कई मैसेजेस मां को दिखाएं और बोला,"देखो मां तुम्हारी बात तुमसे पहले यह दर्जनों लोग मुझे मैसेज में कह चुके हैं। हर कोई डायरेक्टलि या इनडायरेक्टली मुझे यही कहने की कोशिश कर रहा है की बेटा होता तो अच्छा होता या फिर आगे बेटे के लिए ट्राई करो।
मां तुम चाहे मुझे जो भी समझाने की कोशिश करो लेकिन मैं यही कहूंगा कि तुम और पापा दोनों ही अभी भी पुराने सोच को पकड़े हुए हो। और ऐसा मुझे इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि अगर मेरा बेटा हुआ होता तो आप इतनी जल्दी जाने की तैयारी ना कर रही होती और उसे अपने हाथों में लेकर यहां से वहां खिला रही होती और पापा भी यहां पर होते।
21वीं सदी में जी रहे हैं हम फिर भी ऐसी मान्यताएं...और आप दोनों से मुझे यह उम्मीद ना थी। आप हजारों बच्चों को लेक्चर देते हो और खुद इस तरह के विचार रखते हो। अगर आप ऐसा मानते हो कि बेटा और बेटी दोनों होंगे तभी फैमिली कंप्लीट होगी तो मेरे एक सवाल का जवाब दीजिए कि मैं अकेला क्यों हूं? मुझे कोई बहन क्यों नहीं है?"
मां के पास बेटे के सवालों का कोई जवाब न था वो अपनी नजरे झुकाए वहां से चली गई।
बेटा अपनी मां से बहुत प्यार करता था वह बिल्कुल उनका अपमान करना नहीं चाहता था लेकिन गलत विचारों का समर्थन करना भी उसे ठीक नहीं लगा।
यह सारी बातें बहू ने भी सुन ली थी। बेटे ने उसके पास जाकर उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर उसे समझाते हुए कहा," देखो
चारु तुम्हें मां की बातों से या किसी और की बातों से परेशान होने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे बेटा हुआ है या बेटी मेरे लिए यही बड़ी बात है कि मेरी बेटी स्वस्थ है और खुश।"
चारु बोली," मैं मां की बातों से या किसी और की बातों से बिल्कुल परेशान नहीं हु लेकिन हां मैं परेशान जरूर हूं।
मैं एक समाजसेवीका हूं और मैं हर दिन कई लड़कियों से मिलती हु। अचरज की बात है कि मुझे आज तक एक भी लड़की ऐसी नहीं मिली जो कहती हो कि लड़की होने की वजह से उसे अलग तरीके से ट्रीट ना किया गया हो या कुछ सहना न पड़ा हो!
मैं खुद एक औरत हूं और इस बात का अनुभव मैंने भी किया है और अब जब हमारे घर में भी एक लड़की ने जन्म लिया है तो मैं परेशान हूं।"
पति अपनी पत्नी को समझाते हुए कहता है," कल्पना चावला,रानी लक्ष्मीबाई, पी वी संधू,प्रतिभा पाटील,मधर टेरेसा,किरण बेदी.... लिस्ट इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही ना हो। क्या इन सब ने यह सब फेस नहीं किया होगा जरूर किया होगा लेकिन उन्होंने दुनिया को जो साबित करके दिखाया है और जिस मुकाम पर वे पहुंची है वही हर लड़की को हौसला देने के लिए काफी है और इन सब में जो सबसे पहला नाम आएगा जो हमारी बेटी को हौसला देगा वह होगा चारू शर्मा का यानी कि तुम्हारा। हमारी बेटी की हिम्मत और ताकत बनोगी तुम। "
दोस्तों, सिर्फ महिला दिवस मनाने से या देवियों की पूजा करने से लड़का लड़कियों में समानता नहीं आएगी यह समानता तब आएगी जब हम अपने विचारों को जड़ों से बदल पाएंगे। उम्मीद करता हूं आज की ये कहानी जिसका शीर्षक है' लड़की हुई है....एक प्रेरक कहानी | emotional motivational Kahani' आपके दिल को छू पाई होगी। कहनी पूरी पढ़ने के लिए धन्यवाद। ऐसी ही बेहतरीन कहानियां डेली पढ़ने के लिए www.hindi-kahaniya.in इस साइट को जरूर याद रखे।

जीजा और साली
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