मां की अनमोल ममता की कहानी |A heart touching story

 मां की अनमोल ममता की कहानी |A heart touching story 


रात के 2:00 बज रहे थे,  फोन की रिंग बजती है। 26 साल का आनंद नींद से जाग बड़ा खुश होकर फोन को रिसीव करता है।


मां की अनमोल ममता की कहानी |A heart touching story



खुश इसलिए होता है क्योंकि उसकी नई नई गर्लफ्रेंड बिना टाइम देखे कभी भी उसको फोन कर देती है।


फोन की दूसरी तरफ से आवाज आती है,"जन्मदिन मुबारक हो बेटा! आज मेरा बेटा पूरे 26 साल का हो गया है, मैं बहुत खुश हूं|"


मां की आवाज सुनते ही आनंद के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं। वो गुस्से में बोलता है,"मां तुझे समझ नहीं आता क्या? इतनी सी बात के लिए मेरी नींद खराब कर दी! यह बात तो तू मुझे सुबह भी बोल सकती थी।" इतना कहकर वह फोन काट देता।


थोड़ी देर बाद फिर से फोन की रिंग बजती है आनंद फिर से फोन उठाता है और इस बार फोन पर पापा होते है।


आनंद इस बार आराम से बात करता है ," थैंक यू पापा आपने मुझे बर्थडे विश करने के लिए फोन किया वो भी इतनी रात को।"


पापा कहते हैं," नहीं बेटा मैंने तुम्हें मुबारकबात देने के लिए नहीं बल्कि ये बताने के लिए फोन किया है की तुम्हारी मां बिल्कुल पागल है! वो इतनी पागल है की पिछले 1 महीने से मुझे हर दिन तेरा बर्थडे याद दिलाते आ रही है।


वो इतनी पागल है की तू हमसे सैकड़ों किलोमीटर दूर है फिर भी उसने यहां पर खुद अपने हाथों से तेरे लिए केक बनाया है। ऊपर से ये जिद्द कर बैठी है की जबतक तुझे वीश नहीं कर देती तब तक न खुद खाना खायेगी ना मुझे खाने देगी।"


आनंद सब ध्यान से सुन रहा था और उसे ये मेहसूस भी हो रहा था की उसने अपनी मां को फॉर ग्रांटेड ले लिया था। वो बोला ," नहीं पापा मां बिल्कुल पागल नहीं है।"


पापा कहते है," नहीं बेटा तू अपनी मां के पागलपन को नहीं जानता मैं जानता हूं। वह तो 26 साल पहले ही पागल हो गई थी जब डॉक्टर ने उसे कहा था या तो हम बच्चे को बचा सकते हैं या आपको। उसने बिना 1 सेकंड भी सोचे बच्चे को बचाने का फैसला ले लिया और मुझे भी कसम देखकर उस फॉर्म पर साइन करने के लिए मना लिया था जिस पर लिखा था उसकी जिंदगी इस ऑपरेशन से खतरे में और अगर उसे कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार डॉक्टर नहीं होंगे। 


अब तू ही बता, बिना तुझे देखे जो औरत तेरे लिए मरने को तैयार हो जाए उसे हम पागल नहीं कहेंगे तो कया कहेंगे?" इतना कहकर पापा ने भी फोन रख दिया।


आनंद ने भी अब यह महसूस किया था कि वह जो कर रहा था वो भूल नहीं गुनाह था। हां एक बार किसी इंसान को दुख दो तो कोई बात नहीं लेकिन भगवान को दुख देना गुनाह ही होता है। और मां भगवान से कम नहीं होती। पश्चाताप के आंसू उसकी आंखों से बह निकले।


सवेरा होते ही आनंद अपने घर की ओर रवाना हो गया अपने मां-बाप से माफी मांगने के लिए। घर पहुंचते ही उसने पहले मां से माफी मांगी जिसने उसे गले से लगा लिया।


फिर वह अपने पापा से माफी मांगने लगा। पापा ने कहा," कोई बात नहीं बेटा,  जा तू वापस चला जा! तेरी मां हमेशा कहती थी की तू उसे बुढ़ापे में संभालेगा। लेकिन मैं उसे समझा दूंगा जैसे आज तक में उसे संभालते आया हु वैसे ही आगे भी मैं उसका ख्याल रखूंगा।

उसे भी यह समझ लेना चाहिए जो बेटा उसके एक फोन करने से परेशान हो जाए वह उसे उम्र भर क्या संभालेगा?" 


बाप की ऐसी कड़वी बाते सुन आनंद की आंखे बहने लगी वो सर झुकाए अपने बाप के सामने चुपचाप खड़ा रहा। 


अपने बेटे को परेशान देख मां आगे आती है और पापा को कहती है,"जाने दीजिए, माफ कर दीजिए, हमारा ही बेटा है।"


मां की ममता का मोल ना कोई लगा पाया था ना कोई लगा पाएगा। 9 महीने प्रसव की पीड़ा सहन करके हमें नई जिंदगी, नई दुनिया में लाने वाले मा ही हमारी हर गलती को माफ कर सकती है।


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