बुरा वक्त...शिक्षाप्रद कहानी । Inspirational hindi kahani
रश्मि अपने ऑफिस में काम कर रही होती हैं लेकिन पहले की तरह अब उसका मन काम में बिल्कुल नहीं लग रहा है। वो ऑफिस में रहकर भी ऑफिस में नहीं है! न जाने किन ख्यालों में खोई है? लैपटॉप खोलकर कुछ टाइप किए जा रही है।
उसकी इन हरकतों से उसके सहकर्मचारी अच्छी तरह वाकिफ है और पिछले दो-तीन दिनों की तरह आज भी वह सब उसी की तरफ देख रहे हैं।अनिल जो कि उसका सीनियर है वह आवाज दे कर उसका ध्यान अपनी तरफ खींचता है।
अनिल थोड़े ऊंचे स्वर में रश्मि से कहता है," क्या कर रही हो रश्मि? तुम होश में तो हो तुम्हें पता भी है, तुम्हें क्या काम दिया गया था और तुम क्या कर रही हो?
रश्मि अपने लैपटॉप की तरफ देखती है उसके लैपटॉप में पिछले हफ्ते दिया प्रोजेक्ट खुला था जिससे वह अनजाने ही काम करने लगी थी। रश्मि निराश और उतरे हुए चेहरे के साथ अनिल से माफी मांगती है और अपने काम में लग जाती है।
लंच ब्रेक में सभी कर्मचारी एक साथ खाने के लिए बैठे हैं लेकिन रश्मि अकेली एक टेबल पर बैठी है उसका टिफिन तो खुला है लेकिन वह उसमें से एक भी निवाला खा नहीं रही। हमेशा की तरह इस बार भी उसके सहकर्मी यह सब देखते हैं और आपस में बातें करने लगते हैं।
नीलिमा कहने के लिए तो रश्मि की अच्छी दोस्त है लेकिन सबसे पहले वही उसके खिलाफ बोलती है। नीलिमा कहती है," पता नहीं, कहां खोई खोई रहती है? ऐसा लगता है जैसे इसको अब इस ऑफिस में काम करने में कोई इंटरेस्ट ही ना रहा हो। परेशानियां किसके जीवन में नहीं होती लेकिन उनको ऑफिस तक लेकर आना सही नहीं है।"
एक और सहपाठी अपने साथ खाना खाने बैठे ग्रुप को अंदर की खबर बताते हुए कहता है," सुनने में आया है कि रश्मि की शादी टूट गई है, जिस वजह से वह इस तरह व्यवहार कर रही है।"
एक और सह कर्मचारी बोला," जरूर उसके मोटापे की वजह से ही उसकी शादी टूटी होगी भला कौन ऐसी मोटी लड़की से शादी करना चाहेगा?"
सब रश्मि के बारे में अपनी अपनी राय बता रहे थे कि वहां पर मैनेजर मिस्टर वर्मा आ गए और उन्होंने सब को तुरंत मीटिंग के लिए कॉन्फ्रेंस रूम में आने के लिए कहा।
शायद उन्होंने सब क्या गपशप कर रहे थे सुन लिया था इसलिए सबके कॉन्फ्रेंस रूम में आते ही उन पर चिल्लाए," काम की बातें छोड़कर तुम इन फालतू की बातों में जरूरत से ज्यादा ब्रेक ले लेते हो। काम पर ध्यान दोगे तो अच्छा होगा।"
सब की तरफ एक नजर देखने के बाद उन्होंने पूछा रश्मि कहां है? तब तक रश्मि दरवाजे पर पहुंच चुकी थी और उनसे अंदर प्रवेश करने की परवानगि मांग रही थी। मैनेजर ने उस पर चिल्लाते हुए कहा," रश्मि मैं तुम्हें बता देता हूं, तुम्हारी यह मनमानी यहां नहीं चलने वाली। मैं अगर अर्जेंटली मीटिंग के बारे में बात करता हूं तो इसका मतलब है सब को तुरंत आना है और तुम हो कि अब आ रही हो।"
रश्मि अपनी नजरे और मुंह नीचे रखते हुए मैनेजर की बातें सुन रही थी। रश्मि ने मैनेजर से देरी से आने के लिए माफी मांगी। मैनेजर ने रश्मि को अपनी जगह पर बैठने के लिए कहा और मीटिंग आगे बढ़ाई। मैनेजर ने यह नोटिस किया कि मीटिंग में रश्मि फिजिकली तो हाजिर थी लेकिन मेंटली वहां नहीं थी।
मीटिंग खत्म होने के बाद सब अपने अपने काम पर चले गए लेकिन अनिल वहीं पर मैनेजर के साथ बैठा था। अनिल ने बात छेड़ते हुए कहा," सर आपने देखा ना, रश्मि कैसे बर्ताव कर रही है? आजकल उसका ध्यान काम मे बिल्कुल नहीं है। हां पर्सनली मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन एक अच्छा कर्मचारी होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि कंपनी के भले बुरे के बारे में सोचू।
आजकल रश्मी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पा रही है और तो और पुराने प्रोजेक्ट जिनको कोई और कर चुका है उन पर काम करती रहती है! इससे तो कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।
अगर मेरी माने तो आप सुभाष को रश्मि की जगह रिप्लेस कर दे तो ठीक रहेगा वो अपने काम में काफी तेज है और रश्मि को किसी ऐसी जगह डिमोट कर सकते हैं जहां उसको कम काम दिया जाए जिसे कंपनी पर कोई असर ना हो।
सर बुरा मत मानिए क्या यह मेरा ओपिनियन है बाकी आप खुद समझदार है। आखिर फैसला तो आप को ही लेना है।"
मैनेजर ने अनिल की बातें ध्यान से सुनि, हालाकी उसको जवाब मैं कुछ भी नहीं बोले। लेकिन गहरी सोच में डूब गए और अनिल वहां से उठ कर चला गया।
2 दिन बाद रश्मि को ऑफिस बॉय बुलाने आया,"मैडम आपको मैनेजर साहब ने बुलाया है।"
रश्मि चिंता में पड़ गई । नीलिमा ने उससे पूछा, "क्या फिर से तुमने कोई गलती कर दी? तुमने वह फाइल आज जो तुम्हें सबमिट करनी थी वह दि या नही?"
रश्मि बोली," हां दी तो है लेकिन थोड़ी देर से दी है।"
इतना कहकर रश्मि मैनेजर के ऑफिस में जाती है। मैनेजर उसे बैठने के लिए कहता है, उसके बाकी सभी सह कर्मचारियों को भी वहां पर बुलाता है। सबके आने के बाद मैनेजर रश्मि से पूछता है ,"आज की फाइल सबमिट कब की?"
रश्मि कहती है," सॉरी सर थोड़ी सी देरी हो गई।"
मैनेजर केहता है," 6 घंटे की देरी थोड़ी सी देर लगती है तुम्हें?"
रश्मि के सभी सह कर्मचारी इस वार्तालाप को ऐसे देख रहे थे जैसे कोई फिल्म चल रही हो!
रश्मि रो नहीं रही थी लेकिन उसकी आंखों में आंसू साफ देखे जा सकते थे। रश्मि बोली," इस बार माफ कर दीजिए सर अब आगे से मैं कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी।"
मैनेजर बोला,"उसकी नौबत नहीं आएगी क्योंकि मैं ऐसा होने ही नहीं दूंगा और इसलिए क्योंकि अब तुम्हें तुम्हारे काम में हेल्प करने के लिए तुम्हें सपोर्ट दिया जायेगा!"
सभी सह कर्मचारियों के साथ रश्मि भी हैरान थी। कहां सब सोच रहे थे कि आज रश्मि को शायद काम से निकाल दिया जाएगा और यहां तो उल्टा ही हो गया! काम से निकालना तो दूर बल्कि यहां पर उसकी मदद की जा रही थी।
मैनेजर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा," रश्मि मैं जानता हूं आजकल तुम एक कठिन दौर से गुजर रही हो। पर इसमें कोई बुरी बात नहीं है ऐसी परिस्थिति हम में से किसी की भी हो सकती है। कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है कि हम अपने आप को संभाल नहीं पाते है। तब हमारे अपनों की यह जिम्मेदारी होती है कि उस कठिन समय में सहारा बने।"
मैनेजर बाकी कर्मचारियों की तरफ देखकर उनसे कहता है," मुझे आप लोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। जहां आपको एक टीम की तरह रश्मि का सहारा बनना चाहिए था आप तो उसके विरोधी की तरह बर्ताव करने लगे।"
मैनेजर ने अनिल की तरफ देखते हुए कहा," अनिल तुम शायद भूल गए हो कि 1 साल पहले जब तुम 25 दिनों तक अपनी बीमारी की वजह से काम पर नहीं आ पा रहे थे तब तुम्हारे हिस्से का सारा काम रश्मि ही संभालती थी। उसके कहने से ही कंपनी ने तुम्हारी जगह किसी और को नहीं रखा था।"
अनिल की नजरें शर्म से झुक जाती है और वह रश्मि की माफी मांगने लगता है। नीलिमा को भी अब एहसास हो जाता है कि उसने अपने दोस्त के साथ जैसा बर्ताव किया है ऐसा तो कोई दुश्मन भी नहीं करता। सभी अपने किए पर शर्मिंदा थे और सब ने मिलकर रश्मि से माफी मांगी और उसे वादा किया कि उसको जो भी हेल्प चाहिए वह सब मिलकर करेंगे और आज के बाद एक टीम बन कर रहेंगे।
मैनेजर ने आखिर में सबसे कहा," जिस तरह हेल्प करना अच्छी बात है उसी तरह हेल्प मांगना भी कोई बुरी बात नहीं है और मदद तो उन्हीं को पहले मिलती है जो उसे मांगते हैं। रश्मि तुम भी बेझिझक जो भी हेल्प चाहिए मांग लेना में या यू कहूं की हम सब को खुशी होगी।"
दोस्तों, जब भी जीवन में जरूरत हो तो अपनों से हेल्प के लिए जरूर कहिए। क्योंकि रश्मि को तो समझदार मैनेजर मिल गए थे शायद आपको ना मिल पाए।
