समय की चोरी... मां बेटे की दिल छूने वाली कहानी| Dil chhune wali kahani
घड़ी का कांटा रात के 12:00 बजे को पार कर चुका था। बूढ़ी आंखो में जितनी नींद थी उससे ज्यादा अपने बेटे के लिए चिंता। उसी बेटे की चिंता जो अक्सर अपने काम के चलते रात को देरी से आया करता था।
मां तो मां होती है ये जानते हुए भी कि बेटा देर से भले ही आता है लेकिन भूखा नही रहता किसी पार्टी में या फिर खुद के ऑफिस में ही खाना खा लेता है फिरभी बिना उसके घर पहुंचे अन्न का एक भी दाना अपने पेट में नही डालती थी,इस उम्मीद में की खाने के टेबल पर ही अपने बेटे के साथ थोड़ा समय बीता सके और अपने अकेलेपन को दूर कर सके।
अकेलापन इसलिए क्योंकि इकलौता बेटा वो भी कुंवारा और दुनिया को 3 साल पहले अलविदा कर चुके पति जिनके जाने के बाद बेटे ने उनका कारोबार अच्छे से संभाल लिया और दिन और रात का ज्यादातर समय बाहर ही बिताने लगा। हा एक कामवाली बाई नीलम थी जिससे वो थोड़ी बाते कर लिया करती लेकिन वो बेचारी भी क्या करती उसे और जगहों पर भी काम पर जाना होता इसलिए वो भी उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाती।
अब रात के 2 बज चुके थे मां अभी भी बेटे का इंतजार कर रही थी की तभी दरवाजे की बेल बजी। मां तुरंत उठी और जल्दी से दरवाजा खोला ।
बेटा फट से घर के अंदर घुस गया। मां ने उसे डांटते हुए कहा,"आज फिर से लेट?"
बेटा चिड़ते हुए बोला,"क्या मुझे शोक है? मीटिंग थी , जरूरी।"
मां बोली," अच्छा चीड़ मत, चल खाना खा ले, तेरे पसंद की सब्जी बनाई है।"
बेटा फिर ऊंची आवाज में बोला,"मां तुमसे कितनी बार कहा है, मेरा इंतजार मत किया करो,खाना खा कर सो जाया करो। क्यों खुद को और मुझे परेशान करती हो?"
बेटे के मुंह से आ रही शराब की दुर्गंध को पहचान मां बोली,"तू शराब पीकर आया है? तुझे शर्म नही आती?"
बेटा चिल्लाकर बोला," हा तो कोनसा पाप कर दिया है मैने! चुपचाप खाना खाओ और सो जाओ आपकी बकवास सुनने के लिए वक्त नहीं है मेरे पास।"
बेटा गुस्से में अपने बेडरूम में चला गया और सीधे जाके बेड पर लेट गया। नशे के कारण अगले ही मिनट उसे गहरी नींद आ गई। मां उसके कमरे में आई, उसके जूते और मोजे उतारे,उसे चादर ओढ़ाई और पास बैठकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए गहरी सोच में डूब गई। घंटे भर वहा बैठने के बाद अपने कमरे में जाकर सो गई।
सुबह बेटे के कमरे का दरवाजे पर नीलम ने दस्तक दी। नींद में ही बेटे ने पूछा," कोन है?"
नीलम बोली," मै हु मालिक, कमरे में झाड़ू लगाना है।"
बेटा बिना आंखे खोले ही बोला," ठीक है, सफाई कर के दरवाजा बंद करके जाना।"
नीलम अपने काम में लग गई। झाड़ू मारते मारते नीलम की नजर बेड के नीचे पड़े वॉलेट पर पड़ी जिसमे कुछ जरुरी कार्ड्स के साथ ही कई नगद रुपए भी थे। नीलम ने वॉलेट उठाया एक बार वॉलेट को और एक बार सोते हुए अपने मालिक को देखा फिर वॉलेट को उसके तकिए के पास रख कर चली गई।
सवेरे 10 बजे बेटा उठकर अपने ऑफिस को निकल गया। रास्ते में पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भराने के लिए गाड़ी रोकी और पैसे देने के लिए वॉलेट निकाला तब उसमे पैसे थे नहीं। उसने वॉलेट को अच्छे से चेक किया फीरभी उसे पैसे नही दिखे अंत में वो कार्ड से पेमेंट कर ऑफिस चला गया।
ऑफिस पहुंच बेटा अपने बिजी शेड्यूल में लग गया। अपने कस्टमर्स को वो नए प्रोडक्ट के बारे में प्रेजेंटेशन दे रहा था की तभी उसके फोन की घंटी बजी। फोन पर मां का नाम आ रहा था उसने फोन ना उठा कर उसे साइलेंट पर कर दिया लेकिन फिर भी बार-बार मां कॉल कर रही रही थी इसलिए परेशान होकर उसने फोन उठाया और साइड में जाकर मां से बात करने लगा।
बेटा बोला," क्या करती हो मां? अगर मैं फोन नहीं उठा रहा तो आपको समझ जाना चाहिए कि कोई जरूरी काम कर रहा हूं । यहां पर मैं बहुत जरूरी मीटिंग मैं हूं। मैं आपसे बाद में बात करूंगा।"
मां बोल रही थी," बेटा लेकिन एक बार डॉक्टर..." पर बेटे ने बिना उसकी बात पूरी सुने फोन कट कर दिया और फिर से अपने काम में लग गया।
मां को जैसे ऐसे बर्ताव की आदत पड़ चुकी थी। फिर भी उसके चेहरे पर दुख साफ देखा जा सकता था। मां ने नीलम को आवाज लगाई और बोलि," बेटा थोड़ा रजाई तो ओढ़ा देना, सुबह से ठंड लग रही है मुझे।"
नीलम ने मां को रजाई ओढ़ाई और थोड़ी देर तक उनके पैर दबाती रही फिर जब नीलम जाने लगी तो पूछा,"आपको और कुछ चाहिए माजी?"
मां हिचकीचाहते हुए बोली," बेटा मैं जानती हूं तुम कई और जगहों पर काम करती हो लेकिन क्या तुम थोड़ी देर और यहां बैठकर मुझसे बातें कर सकती हो!"
नीलम बोली," हां मां जी क्यों नहीं।" वो वहीं पर बैठकर मां से बाते करने लगी।
अगले दिन बेटे का पार्सल आया। डिलीवरी ब्वॉय को पैसे देते समय बेटे ने अपना वॉलेट खोला पर पाया कि इस बार भी वॉलेट में पैसे नहीं है! बेटे ने यूपीआई से डिलीवरी ब्यॉय को पेमेंट कर दिया।
मां के पास जाकर बेटा गुस्से में कहने लगा, "देखो मां इस बार को लेकर यह चौथी बार हो गया है कि मेरे वॉलेट में एक भी रुपया नहीं है मैं कहता हूं यह नीलम पक्की चोर है।"
मां बोली," नीलम ऐसा नहीं कर सकती वह बहुत अच्छी लड़की है।"
बेटा बोला," उसने तुम्हारे पैर दबा कर और तुम्हारे साथ चिकनी चुपड़ी बातें करके तुम्हें अपनी जाल में फंसा लिया है इसलिए तुम्हें वो अच्छी ही नजर आएगी।"
आज तुम्हारे सामने दूध का दूध और पानी का पानी कर ही देता हूं कहकर बेटे ने नीलम को आवाज लगाई और वहां पर आने के लिए कहा।
मालिक की इतनी ऊंची आवाज सुनकर नीलम दौड़ती हुई वहां पर आ गई। उसने तुरंत नीलम पर आरोप लगाते हुए कहा," अगर तुम्हें किसी चीज की या पैसों की जरूरत थी तो मुझसे कह दिया होता। मैं तुम्हें दे देता, चोरी करने की क्या जरूरत थी?"
नीलम को पहले कुछ समझ में नहीं आया फिर जब वह समझ पाई की उसको चोर कहा जा रहा है तब वह बोली," मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है मालिक।"
"अच्छा तो पुलिस बुला लेता हूं। वही अब सच सामने लाएंगे।" बेटे ने गुस्से से कहा।
नीलम डरते हुए मां की तरफ देखने लगी। मां ने अपने बेटे से कहा,"नीलम ने चोरी नहीं की है। वॉलेट से पैसे मैंने निकाले है!"
बेटे ने कहा," मां तुम उसे बचाने की कोशिश मत करो।"
मां ने कहां," मैं उसको बचाने की कोशिश बिल्कुल नहीं कर रही हु बल्कि वही कह रही हूं जो सच है।"
बेटा आवाज थोड़ी धीमी करते हुए बोला,"तुम्हें ऐसा करने की क्या जरूरत थी मां? तुम मुझसे बोल देती क्या मैं तुमको पैसे नहीं देता।"
तुमसे कुछ भी बोलने के लिए," तुम यहां पर रहते ही कब हो? जब सामने आते हो तो सोने चले जाते हो और जब फोन करती हु तो बिना बात किए ही फोन काट देते हों। अब तो तुमसे बात करने के लिए भी मुझे तुम्हारे ऑफिस में अपॉइंटमेंट लेनी पड़ती है तब जाकर मेरा फोन तुम तक ट्रांसफर किया जाता है। जीतने पैसे घर खर्च के लिए तुम देते हो वह तो घर खर्च में ही खत्म हो जाते हैं उसके अलावा भी कई खर्चे है, जिनके बारे में तुम नहीं जानते।
आजकल मैं कितनी बार बीमार हो जाती हु तब नीलम ही मुझे डॉक्टर के पास ले जाती है और मेरी दवाई करवाती है। और तो और बेचारी अपने दूसरी जगहों का काम छोड़कर मेरे कहने पर मेरे साथ समय बिताती है जिससे मेरा अकेलापन थोड़ा कम हो पाता है, तो मेरा भी फर्ज बनता है उसे उसकी एक्स्ट्रा सर्विस के लिए एक्स्ट्रा पैसे दु इसीलिए मैंने तुम्हारे वॉलेट से पैसे निकाल कर उसे दिए।
काश! मैं तुम्हारे पैसों की जगह तुम्हारा समय चुरा पाती तो मुझे तुम्हारे वॉलेट को छूने की कभी भी जरूरत ही ना पड़ती।"
बेटा अपनी मां की यह सारी बातें सुन रहा था और उसे इस बात का एहसास भी हो रहा था कि पैसों की भाग दौड़ में उसने अपनी मां को बहुत पीछे छोड़ दिया था।
बेटे ने अपनी मां की माफी मांगते हुए कहा," देखो मां, मैं समझ गया हूं कि मैं बहुत गलत बर्ताव कर रहा था आपसे। अब तक जो हो गया मैं उसे तो नहीं बदल सकता लेकिन इतना वादा कर सकता हूं कि अब आगे से आपके लिए वक्त जरुर निकाला करूंगा।"
दोस्तों हमें कामयाबी और पैसो के पीछे इतना नहीं दौड़ना चाहिए कि हमारे अपने हमसे इतने दूर हो जाए की फिर हम उनसे कभी मिल ही ना पाए।
हम बड़े हो रहे हैं यह याद रखने की जरूरत है लेकिन यह भूलना भी नहीं चाहिए कि हमारे बड़े अब बूढ़े हो रहे है और अब उनको हमारी जरूरत ज्यादा है।
