आशीर्वाद की शक्ति | pauranik kahani

 आशीर्वाद की शक्ति | pauranik kahani


आशीर्वाद की शक्ति | pauranik kahani


यह कहानी 12 वीं सदी की है। एक गांव में बहुत ज्ञानी ज्योतिष रहता था। ज्योतिषी की ख्याति चारों ओर फैली हुई थी। लोगों की जन्मपत्रिका (कुंडली) देखकर उनके आने वाले भविष्य में और दूर के भविष्य में क्या महत्व की घटनाएं घटने वाली है इस बारे में सटीक भविष्यवाणी करता था। साथ ही साथ जीवन में आने वाली दुर्घटनाओं को टालने के लिए उपाय भी उन्हें बताया करता था।


कहानी का audio and video


इस ज्योतिषी को विवाह के कई सालों तक  जब संतान नहीं हुई तब उस ज्योतिषी के परिवार वाले काफी चिंतित रहते थे लेकिन ज्योतिषी को बिल्कुल भी चिंता नहीं थी क्योंकि उसने अपनी खुद की भी जन्मपत्रिका देख रखी थी और वह जानता था कि उसे पुत्र प्राप्ति थोड़ी देर से होने वाली है।


 उसको विवाह के 10 साल बाद पुत्र हुआ। ज्योतिषी और उसका पूरा परिवार काफी खुश हो गया। और इन 10 सालों में ज्योतिषी का नाम और भी ज्यादा दूर-दूर तक फैल चुका था । वह सुबह शाम लोगों की कुंडलियां देखने में व्यस्त रहता था, उसे तनिक भी समय नहीं मिल पाता था।


पुत्र प्राप्ति की खुशी और उसके काम में व्यस्तता के कारण कभी उसके दिमाग में अपने पुत्र की जन्मपत्रिका बनाने और उसे पढ़ने का विचार ही नहीं आया और देखते ही देखते पुत्र 14 साल का हो गया।


उस जमाने में 15 साल तक शादियां हो जाती थी इसलिए अब ज्योतिषी के मन में भी अपने बेटे की शादी का विचार आया।  तभी एकाएक उसके दिमाग में यह विचार प्रकट हुआ ," मैंने अपने पुत्र की जन्मपत्रिका तो बनाई ही नहीं है!  सबसे पहले मुझे उसकी जन्मपत्रिका बनानी पड़ेगी और देखना पड़ेगा कि उसका भविष्य कैसा होने वाला है? उसे कैसी पत्नी मिलेगी? कैसा काम वो करेगा? और उसके जीवन में और भी क्या महत्वपूर्ण घटनाएं होने वाली है?"


बस विचार आने की देरी थी और अपने व्यस्त जीवन से जोतिषी ने समय निकाला और फटाफट अपने पुत्र की जन्म कुंडली बना दी। उसे यह देख कर आश्चर्य और दुख हुआ क्योंकि उसके पुत्र की कुंडली के हिसाब से उसका पुत्र 15 वर्ष का होते ही आधी रात में मर जाएगा!


ज्योतिषी को अपनी लापरवाही पर बहुत रोना आ रहा था क्योंकि अगर वह पहले ही अपने पुत्र की कुंडली बना लेता तो उसे पहले ही इस बारे में जानकारी हो जाती और वह इस दुर्घटना को रोकने के लिए कोई उपाय कर सकता था लेकिन अब उसके पास सिर्फ 1 दिन का समय था क्योंकि 1 दिन बाद ही उसका पुत्र 15 वर्ष का होने वाला था।


उस 1 दिन में ज्योतिषी अन्य किसी भी व्यक्ति से नहीं मिला और पूरा दिन एकांत में बैठकर सोचता रहा। उस दिन ज्योतिषी ने धर्म ग्रंथों को बड़े ध्यान से पढ़ा।


जिस दिन ज्योतिषी के पुत्र का जन्मदिन था उस दिन ज्योतिषी ने उसको अपने पास सवेरे सवेरे बुलाया और उसे कहा कि तुम द्वार पर खड़े हो जाओ, जो भी मेहमान आने वाले हैं उन सभी के पैर छूकर का आशीर्वाद लो।


ज्योतिषी ने पहले से ही अपने कई लोगों को भेजकर आसपास के कई महान साधु संतो को न्योता दे रखा था। इसलिए उसके घर में आने वाले ज्यादातर मेहमान महान और सिधपुरुष थे। ज्योतिषी का पुत्र सब के पैर छूकर उनका स्वागत कर रहा था, और वह सब भी उसे दीर्घायु और सुखी होने का आशीर्वाद दे रहे थे।


कहते हैं कि उस जमाने में साधु संतों की वाणी में चमत्कारिक शक्तियां थी उनके द्वारा दिए गए आशीर्वाद और श्राप कभी खाली नहीं जाते थे ज्योतिषी ने अपने पुत्र को बचाने के लिए इसी बात का फायदा उठाया था और हुआ भी वैसा ही क्योंकि ज्योतिषी पुत्र बड़ी लम्बी आयु जिया।


दोस्तों इस जमाने में साधु संत बड़ी मुश्किल से मिलते हैं लेकिन अगर हम अपने बड़े बूढ़ों और मां-बाप की भी इसी भावना से सेवा करें और उनसे आशीर्वाद लेते रहे तो हमारा भी भला होने से कोई नहीं रोक सकता।


अगली कहानी पढ़े....

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने