विंटेज कार.. दिल छूने वाली कहानी | heart touching hindi story
रमेशजी के अकेलेपन के दुखने अब बचपना का रूप लेना शुरू कर दिया था। 5 साल पहले रिटायर होने से पहले उन्होंने बहुत कुछ प्लान करके रखा था लेकिन उनकी पत्नी सीमा जी पहले ही अपने आगे के प्रवास के लिए निकल गई थी, वह प्रवास जो मौत के बाद शुरू होता है!
रमेश जी सीमा जी के बिना अपने आप को बहुत अकेला महसूस करते थे। लेकिन समय के साथ उन्होंने अपना रूटीन बदल दिया था । वह सुबह थोड़ा जल्दी उठने लगे थे इसलिए नहीं कि उन्हें कोई काम होता था लेकिन इसलिए क्योंकि उनके बहू और बेटा दोनों ही काम के लिए जाते थे और उन्हें आने में रात को देर हो जाती थी इसलिए सुबह चाय नाश्ते के दौरान उनके साथ थोड़ी बातचीत हो जाए तो अच्छा रहेगा यही सोच कर सबसे पहले उठ जाया करते थे।
लेकिन दोनों के ही पास उनके साथ बोलने के लिए टाइम ही नहीं था। नहीं नहीं आप कोई गलतफहमी मत पाल लीजिएगा! ऐसा नहीं था कि वह रमेशजी के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते थे, या किसी सीरियल में जैसे दिखाते हैं वैसा बर्ताव करते थे। उन्हे अपने बहू और बेटे से कोई शिकायत नहीं थी । दोनों ही अपने पिता और ससुर से जैसे बर्ताव करना चाहिए वैसा ही करते थे।
लेकिन एक बार रमेश जी कुछ ज्यादा ही जल्दी जाग गए और उन्हें चाय पीने की तलब लगी। उन्होंने किचन में जाकर चाय बनानी चाहि लेकिन चाय उबल कर गिर गई और पूरा किचन का प्लेटफॉर्म खराब हो गया।
बहू ने ससुर को तो कुछ नहीं कहा लेकिन उसे गुस्सा जरूर आया था और यह उसकी बॉडी लैंग्वेज से साफ दिखाई पड़ता था। उस दिन तुरंत बेटे ने उनसे कहा कि बाबूजी हमारा पूरा काम खत्म होने के बाद मैं आपके लिए चाय लेकर आया करूंगा, आपके रूम में!
एक बार उन्होंने अपने पोते को बस यूं ही कहा था चलो आज मैं तुम्हें स्कूल तक छोड़ देता हूं, तो वह कहता है कि दादाजी आपको आने की जरूरत नहीं है। मैं अब बड़ा हो गया हूं। अगर आप मेरे साथ आएंगे तो बाकी बच्चे मेरा मजाक उड़ाएंगे और मुझसे कहेंगे कि अकेले आने में डर लगता है इसलिए दादा जी को साथ में लेकर आता है।
उस दिन से रमेश जी चाहे सुबह कितनी ही जल्दी उठ जाए वह अपने रूम में ही रहते थे। हॉल में क्या चल रहा है उसका अंदाजा लेने के बाद ही बाहर आते थे। उन्हें पता चल गया था कि वह उनके जीवन का हिस्सा जरूर थे लेकिन ऐसा हिस्सा जिसे यह लोग अनदेखा करना चाह रहे थे।
अब उन्होंने अपना वक्त बिताने के लिए शाम को सेर सपाटे पर निकलना शुरू कर दिया था। उनका रस्ता तय था। वह अपने घर से निकलकर बाजार के दो-तीन शोरूम के पास से हर दिन गुजरते थे। इन शोरूम्स में रखी गाड़ियों को देखकर उन्हें अच्छा लगता था। उन्हे पहले से ही गाड़ियों का शौक था इसलिए यहां उनका वक्त अच्छा कटता था।
एक दिन गाड़ियों में कुछ अलग दिखा। कई सारी नई और ब्रांडेड गाड़ियों में एक पुरानी गाड़ी ऐसी भी थी जो अलग रखी हुई थी। उसके लिए अलग जगह थी। उसे अलग तरीके से सजाया हुआ था। कुतूहल वश उसे देखने के लिए वह अंदर गए तो एक नए चमचमाते कपड़े पहने हुए सेल्समैन उनकी तरफ आया और बोला आइए सर कौन सी गाड़ी देख रहे हैं आप?
रमेश जी हिचकीचाहते हुए बोले नहीं मैं सिर्फ देख रहा था। मुझे खरीदनी नहीं है। मुझे बस उस पुरानी गाड़ी को देखकर विचार आया कि इतनी पुरानी गाड़ी शोरूम में कैसे?
दरअसल यह एक विंटेज कार है सर। इसे हमारे शहर के राजा ने आजादी के पहले खरीदी थी। सेल्समैन ने उन्हें उस पुरानी गाड़ी के बारे में जानकारी देते हुए कहा।
ऐसा है क्या! बेटा मुझे एक बात बताओ हर नई गाड़ी पर उनकी कीमत लिखी हुई है! मगर उस पुरानी गाड़ी पर क्यों कोई कीमत नहीं लिखी हुई है? क्या उसे बेचना नहीं है?
रमेश जी का सवाल सुन सेल्समैन बोला सर ऐसी विंटेज गाड़ियों की कीमत पहले से तय नहीं होती। इनके सही कस्टमर को ही इनका सही मूल्य पता होता है। अगर थोड़े शब्दों में कहूं तो यह गाड़ी महंगी से ज्यादा मूल्यवान होती है।
रमेश जी उस शोरूम से बाहर आ गए कोई विचार उनके मन में कौंध रहा था लेकिन क्या वह उन्हें समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे ही कई दिन गुजर गए अब आते जाते रमेश जी उस पुरानी गाड़ी को बड़े प्यार से देखते थे।
कुछ दिनों के बाद उन्होंने देखा कि उनके बहू, बेटा और पोता सभी ने छुट्टी ले रखी थी। वह सोच में पड़ गए कि उस दिन ऐसा क्या खास था जो सब घर पर थे? उन्होंने कैलेंडर भी देखा मगर उन्हें ना कोई त्योहार दिखा ना कोई नेशनल होलीडे।
Read more Heart touching story
रमेशजी अपने पोते के साथ खेलते हुए समय बिताने लगे, तब पोते ने कहा दादाजी पता है आज स्कूल में क्या हुआ? आज स्कूल के सामने जो रास्ता है। वहां पर एक 100 साल पुराना पेड़ था। रोड बनाने के लिए उसे तोड़ने वाले थे, तभी वहां पर कुछ लोग मोर्चा लेकर आ गए फिर उस पेड़ को उस जगह से साबुत हटाकर दूसरी जगह पर लगा दिया गया। हमारी टीचर ने हमें समझाया कि चाहे वह पेड़ पुराना था लेकिन वह हमें 24 घंटे ऑक्सीजन देता था। रमेश जी को वही अनजाना सा विचार और फिलिंग आई जो उस विंटेज कार को देख कर आई थी।
बहु, बेटे और पोते ने रमेश जी को सरप्राइज दिया क्योंकि उस दिन उनका बर्थडे था रमेश जी 80 साल के हो चुके थे। रमेश जी ने कभी भी यह सब एक्सपेक्ट नहीं किया था उनकी आंखों में आंसू आ गए। बहु ने उस दिन उनके पसंद का खाना बनाया था और बड़े प्यार से उन्हें पिरोस रही थी।
सभी ने रमेश जी के साथ पूरा दिन बिताया और ढेर सारी बातें की। तब रमेश जी को वही फीलिंग आई जब उन्हें उस विंटेज कार को देखते हुए आई थी! वह अब समझ रहे थे की पहले वह विंटेज कार बाद में वह 100 साल पुराना पेड़ यह सब कोई इशारा है। उन्हे समझ में आ गया था कि वह बूढ़े जरूर हो गए हैं लेकिन उनकी भी वैल्यू उतनी ही है जितनी उस विंटेज कार की थी!
दोस्तों हर बेटा या बेटी अपने मां-बाप के साथ खराब व्यवहार नहीं करते, कभी कभी मां-बाप भी अपने अकेलेपन के चलते नेगेटिव सोचने लगते है। इस कहानी को उन सभी मां बाप और बेटा बेटियों के साथ शेयर कीजिए जो एक दूसरे को तो बेहद प्यार करते हैं लेकिन कुछ परिस्थितियां और गलतफहमीयो की वजह से एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं।

Very knowledgeable story sir
जवाब देंहटाएंSir kya aap ki kahani ko youtube channel par dal सकते हैं।
जवाब देंहटाएं