कृष्ण की कहानी | krishna ki kahani

आज की कृष्णा की कहानी उन लोगों के लिए है जो यह कहते हैं कि कृष्णा तो कई हजार साल पहले हुए थे अब उनकी भक्ति करने से क्या फायदा?


Krishna ki kahani | krishna Bhagwan ki story


कन्हैया,कृष्ण,नंदलाल या कह लो माखन चोर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ये और ऐसे ही अनगिनत नामो से भगवान कृष्णा अपने भक्तो में जाने और पूजे जाते है। उनके भक्तो का उनपर आज भी अटूट विश्वास है। 

कृष्ण की कहानी | krishna ki kahani


आजादी के बाद की ये बात है ललितपुर जिले में रहने वाली एक सीधी साधी भोली भाली औरत कृष्ण की बहुत जबरदस्त भक्त थी। उसने अपनी भक्ति का यही गुण अपने बेटे में भी डाल दिया था वह तो दिन रात कृष्ण की भक्ति करती ही थी। उसने अपने बेटे को भी कृष्ण मंदिर में सेवा करने के लिए लगा दिया था। उसका बेटा भी अब जवान हो गया था।


लेकिन वह औरत बूढी होने के बाद भी दिन रात कृष्ण को याद किया करती। कोई भी काम बिना कृष्ण का नाम लिए नहीं करती। बिना कृष्ण को भोग लगाए खुद कभी नहीं खाती। उसने अपना सारा जीवन कृष्ण भक्ति में अर्पण कर दिया था।


एक बार वह अपने छत पर सो रही थी। सुबह सुबह घना कोहरा होने की वजह से जब वह जगी और नीचे उतरने लगी तो उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और वहां से वह सीधे धड़ाम से नीचे गिरी। इतनी ऊंचाई से नीचे गिरने की वजह से उसके दोनों पैर टूट गए और वह अब चलने फिरने में सक्षम ना रही। 

काफी दवाई कराने के बाद भी उसके पैरों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और बढ़ती उम्र के वजह से उसकी तकलीफ और ज्यादा बढ़ गई। उसको एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रेंग कर जाना पड़ता। जहां पहले वह रोज मंदिर जाकर कृष्णा की पूजा किया करती थी अब उसे चार कदम की दूरी तय करना भी मुश्किल हो गया।


कई दिन ऐसे ही बेबसी में बीत गए एक दिन उस औरत को कृष्णा पर काफी गुस्सा आ गया! वह सोच रही थी," जिस कृष्णा के लिए मैंने अपनी सारी जिंदगी खपादी उसने मुझे चलने लायक भी नहीं छोड़ा! अपने भक्तों के साथ कोई ऐसा करता है भला? अगर ऐसी ही बात है तो मैं भी वही करूंगी जो कृष्णा ने मेरे साथ किया है अगर मैं नहीं चल सकती तो कृष्णा को भी नहीं चलने दूंगी।"

औरत ने कृष्णा की मूर्ति के पैर तोड़ने का ठान लिया। उसका बेटा खुद ही मंदिर की देखरेख करता था इसलिए मंदिर की चाबी भी उसी के पास रहती थी। एक दिन सवेरे सवेरे बेटे के उठने से पहले औरत ने उसके तकिए के नीचे से मंदिर की चाबी निकाली। वो किसी तरह बड़ी मेहनत से रेंगते हुए मंदिर तक पहुंची। मंदिर का दरवाजा खोला और गर्भगृह में घुसकर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।


यहां घर पर बेटा अपने समय के हिसाब से जगा तो देखा कि उसकी मां घर पर नहीं है। फिर उसने मंदिर जाने के लिए चाबी ढूंढी तब चाबी नहीं मिली तो वह दौड़ कर मंदिर तक पहुंचा। उसे लगा कि जरूर किसी चोर ने उसकी चाबी चुरा ली है और वह अब कृष्णा के मूर्ति पर लगे सोने चांदी के जेवर चुरा रहा होगा इसीलिए गर्भगृह का दरवाजा अंदर से बंद है।


काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद जब अंदर से दरवाजा खुला तो बेटा और वह सभी लोग जो वहां पर इकट्ठा हो गए थे यह देख कर हैरान रह गए कि जो बूढ़ी औरत पहले ठीक से खड़ी भी नहीं हो पाती थी वह एकदम स्वस्थ और अपने दोनों पैरों से चलकर गर्भगृह से बाहर आई!

सभी के पूछने पर उस औरत ने अपने साथ घटित हुए इस चमत्कार के बारे में बताया कि कैसे उसने अपने भगवान से गुस्सा होकर सिलबट्टे से उनकी मूर्ति के पैर तोड़ने का प्लान बनाया और उसके लिए उन्होंने गर्भ गृह में घुसकर दरवाजा लगा लिया तब भगवान खुद उसके सामने प्रकट हुए और उसे रोकते हुए कहा कि आप मेरे पैर मत तोड़िए, इससे अच्छा है मैं आपके पैर जोड़ देता हूं! और जैसे ही कृष्णा ने उसके  सिर पर हाथ रखा तो वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई!


भगवान कब किस को कैसे प्रसन्न होंगे कोई नहीं बता सकता। लोगो को लगेगा की इस औरत को भगवान ने भय से दर्शन दिए लेकिन उसमें भी उस औरत की जीवन भर का समर्पण और भक्ति छिपी हुई थी। 

श्री कृष्ण की कहानी  पूरी पढ़ने के लिए धन्यवाद् । ऐसी ही भक्तिपूर्ण नई हिंदी कहानियां पढ़ने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप ग्रुप  से ज्वाइन हो सकते हैं। अंत में यही कहूंगा जय श्री कृष्णा,राधे राधे।


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