संतुलन.. एक प्रेरक कहानी | New Motivational Story 2023
ये कहानी है एक युवक की जो एक कारखाने में काम करता था। उसके मेंटोर (गुरु) एक अनुभवी तकनीशियन थे। गुरु ने उसे कम बात करना और अधिक काम करना सिखाया था। गुरुने अपने शिष्य से कहां था की कारखाने के संचालन के हर पहलू में अपने कौशल को विकसित करना कभी मत छोड़ना।
दस साल बाद गुरु बूढ़ा होकर सेवानिवृत्त हो गया और युवक खुद एक तकनीशियन बन गया। वह अपना काम उसी समर्पण और परिश्रम के साथ करता रहा जैसा कि उसे सिखाया गया था। लेकिन वो खुश नहीं था।
एक दिन वह अपने गुरु के पास गया। गुरु ने देखा कि वह दुखी लग रहा था और पूछा कि उसे क्या परेशान कर रहा है? युवक ने आह भरी और अपना दिल गुरु के आगे खाली कर दिया। युवक ने कहां - मैं इन सभी वर्षों में आपके निर्देशों का पालन करता आया हूं।
इन सभी बातों से कारखाने के प्रबंधक को कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या काम करता हूं? मैं चुप रहता हूं और काम पर ध्यान केंद्रित करता हूं। मुझे पता है कि मैंने कारखाने में अच्छा काम किया है और मैंने वहां वह सभी कौशल सीखे हैं जो मैं वहां सीख सकता था।
लेकिन मेरी समझ में नही आता है कि जिन लोगों के पास मेरा अनुभव या क्षमता नहीं है, उन सभी को पदोन्नत किया गया है! जबकि मैं अभी भी उतना ही मेहनताना(पेमेंट) पा रहा हूं जितनि मुझे पहले मिलती थी जब मैं आपका सहायक (हेल्पर) हुआ करता था!
उसकी बात ध्यान से सुनने के बाद गुरु ने पूछा कि क्या तुम्हे पक्का विश्वास है की तुम कारखाने के लिए आवश्यक सभी कौशल सिख चुके हो? और कुछ ऐसी काबिलियत भी जिनके बिना वहां पर दिक्कते आ सकती है?
युवकने आत्मविशास से हा कहां। गुरु आगे-पीछे टहलते हुए सोचने लगा फिर थोड़ी देर के बाद वह युवक की ओर मुड़ा और बोला - तुम्हें जो भी कारण बताना हो या जो भी बहाना बनाना हो बनाओ और अपने काम से कुछ दिनों की छुट्टी लो!
युवक इस सलाह से हैरान था लेकिन जितना अधिक उसने इसके बारे में सोचा उतना ही यह समझ में आया कि ये एक सही उपाय है। उसने अपने गुरु को धन्यवाद दिया और छुट्टी का अनुरोध करने के लिए जल्दी से निकल गया। गुरु उसे और भी कुछ बताना चाहता था लेकिन वो गुरु के बताए उपाय को अमल में लाने के लिए अति उत्साहित था। उसे छुट्टियां मिल भी गई।
कुछ दिनों बाद जब वह अपनी छुट्टीयो के बाद काम पर लौटा तो प्रबंधक ने उसे अपने पास बुलाया और उसे बताया कि जब वह चला गया था तो कारखाने में चीजें ठीक नहीं चल रही थीं। कामगारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा जो आम तौर पर उसके द्वारा संभाली जाती थीं और उन्हें पता नहीं था कि उन्हें कैसे हल किया जाए? उसके महत्व को महसूस करते हुए प्रबंधक ने उसे ऊंचे पद पर पदोन्नत करने का फैसला किया। उसे अब सीनियर तकनीशियन बना दिया गया। उसकी तनख्वाह भी दोगुनी कर दी गई। प्रबंधक ने उसे धन्यवाद दिया और उसके अच्छे कामों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया ।
युवक अपने गुरु के ज्ञान के लिए आभारी था,लेकिन उसने सोचा कि जो तरीका उसने अपनाया था वही सफलता का रहस्य है। जब भी युवक को कभी ऐसा महसूस होता कि वह जितना प्राप्त कर रहा है उससे अधिक का हकदार है तो वो अगले कई दिनो के लिए छुट्टियां ले लेता।कई बार इससे उसको फायदा भी हुआ।अब यही चक्र (पैटर्न) उसने महीनों तक जारी रखा।
एक दिन कुछ यू हुआ की उस युवक को कारखाने में घुसने से ही मना कर दिया गया! उसे और भी बड़ा धक्का लगा जब उसे पता चला कि उसको अब नोकरी से निकाल दिया गया है और उसकी जगह की और व्यक्ति को रख लिया गया है। उसे विश्वास नहीं हो रहा था और उसे पता भी नहीं था कि ये सब क्या और क्यों होगया?जब उसे समझ नही आया की आगे क्या करना है? तो वो सीधा अपने गुरु के पास पहुंचा ताकी उसे पता चले कि कैसे चीजें इतनी गलत हो गईं?
उसने अपने घायल गर्व के साथ गुरु से पूछा कि क्या मैंने वह सब कुछ नहीं किया जैसा आपने निर्देश दिया था? फिर क्यों मेरी नोकरी छीन ली गई?
गुरु ने कहां - वास्तव में तुमने वो सब नहीं किया क्योंकि तुमने केवल आधा सबक सुना था! तुम ये बात तो तुरंत समझ गए कि कोई भी उस बल्ब पर ध्यान नहीं देता है जो हमेशा प्रकाश देता रहता हो। बल्ब थोड़ा सा बंद हुआ नही की लोग उसपर ध्यान देने लगते है और उसका महत्व मेहसूस करते हैं। इस पहले आधे सबक को जान लेने के बाद तुम इतने उत्सुक थे कि तुम दूसरा आधा सबक सुने बिना ही चले गए।
युवक को यह भान होने लगा कि शायद उसने बहुत बड़ी गलती कर दी थी। दूसरा आधा सबक क्या था? उसने गुरु से पूछा।
दूसरा आधा सबक ये था की अगर बल्ब बार बार बंद होगा तो कोई भी व्यक्ति उसे किसी अच्छे और ज्यादा भरोसेमंद बल्ब से बदली (रिप्लेस) कर देगा। यही तुम्हारे साथ भी हुआ तुम्हे उसी बार बार बंद होनेवाले कम भरोसेमंद बल्ब की तरह व्यवहार करने की वजह से किसी ओर बल्ब को तुम्हारी जगह बदल दिया गया और उस खराब बल्ब की तरह फेंक दिया गया।
दोस्तों,आप अपने जीवन में भी आपके पास जो दोस्त और परिवार के सदस्य हैं, जिन्हें आप मानते हैं कि वे हमेशा वही रहेंगे चाहे आप उन्हें नोटिस करे या न करे। यानी की आप जिन्हे फॉर ग्रांटेड लेते है सोचिए आप क्या करेंगे यदि एक दिन वे वहां नहीं होंगे? तो ऐसे दिन का इंतजार न करें अचानक यह महसूस करने के लिए कि वे कितने महत्वपूर्ण हैं।आज ही उन्हे धन्यवाद दें। उन्हें बताएं कि आप अपने आप को कितना भाग्यशाली मानते हैं कि वह आपके जीवन में है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात अपने आप को हल्के में न लें और नाही दूसरों को लेने दे। हर समय अपना काम करें और जो कुछ भी आप करते हैं उसे बंद न करें। जीवन में संतुलन बनाए और जीवन आपको संतुलन वापस देने के साथ पुरस्कृत करेगा। पूरी कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।

Good story
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