कहानी : चिंता छोड़ो | Hindi Kahani
पुराने जमाने में एक जादूगर अपने जादू की कला दिखा दिखा कर बहुत फेमस होता जा रहा था। कई बड़े-बड़े लोग उसे अपने यहां बुलाते, जादू दिखाने के लिए कहते और जब वह जादू दिखाता तो खुश होकर उसे छोटा मोटा इनाम देते।
जादूगर इतना प्रख्यात हो गया था कि उस राज्य के राजा तक भी उसकी बात पहुंच गई। इसलिए राजा ने भी उसका जादू देखने की इच्छा जताई। राजा का बुलावा आया तो जादूगर भी खुश हो गया। उसने सोचा अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा इनाम पाने का ये अच्छा मौका है। कोई ऐसा जादू दिखाऊंगा कि राजा उसे खुश होकर बहुत बड़ा इनाम दे दे।
जादूगर राजा के दरबार में पहुंचा तब तक उसने सोचा नहीं था कि वह क्या जादू दिखायेगा। उसे यह तो पता था कि छोटी मोटी चीजें गायब करने वाले जादू से राजा को वह खुश नहीं कर सकता। उसे कुछ बड़ा करना पड़ेगा।
उसने जब राजा को पहली बार देखा तो उसकी नजर सबसे पहले राजा के मुकुट पर पड़ी और उसने मन बना लिया कि राजा का मुकुट ही गायब कर के सबको आश्चर्यचकित किया जाए।
जादूगर ने अपना जादू शुरू किया और जैसा उसने सोचा था राजा का मुकुट गायब कर दिया। राजा का मुकुट गायब होते ही सभा में बैठे सभी लोग राजा पर हंसने लगे। राजा को लगा की जादूगर ने जानबूझकर उसकी तोहीन करने के लिए ऐसा किया है। राजा लोगों की हंसी को अपना अपमान समझ बैठा। गुस्से में आए राजा ने तुरंत उस जादूगर को पकड़कर कालकोठरी में डालने का हुक्म दिया और साथ में यह भी कहा कि इसे 7 दिन बाद फांसी की सजा दे दी जाए।
जादूगर ने ऐसा नहीं सोचा था जो हो गया। फिर भी जादूगर इतना परेशान और दुखी नहीं दिख रहा था जितना उसे होना चाहिए था। जादूगर की पत्नी को जब इस बात की खबर लगी तो वह दौड़ी-दौड़ी जादूगर को मिलने के लिए कालकोठरी में आई। वह अपने पति को इस तरह से मुसीबत में फंसे देख कर रोए जा रही थी। जादूगर ने उसे समझाया की चिंता मत करो और खुश रहो। पत्नी को लगा कि मौत की सजा सुन जादूगर को सदमा लगा होगा इसलिए ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहा है।
पत्नी बोली आप ऐसे समय में भी कैसे खुश रहने की बात कर सकते हो? जादूगर पत्नी से बोला अभी से क्यों दुखी होना अभी मेरे पास 7 दिन बचे है। बाद में देखेंगे जो हो ना होगा।
जादूगर की पत्नी रोज उसे मिलने आती और जादूगर उसे खुश रहने के लिए कहता और कहता कि अभी इतने दिन बचे हैं। आखिरकार वह दिन आ गया जिस दिन जादूगर को फांसी देनी थी। राजा भी उस दिन अपने घोड़े पर सवार होकर जादूगर को देखने के लिए आया था। राजा को घोड़े पर देखकर जादूगर के दिमाग में एक आईडिया आया। वह राजा को देखते ही उदास होने का नाटक करने लगा और रोने लगा। राजा ने उसे कहा कि क्यों उस दिन तो मेरी बेइज्जती करके हंस रहे थे और लोगो को भी हस रहे थे! आज क्यों रो रहे हो?
जादूगर ने कहा महाराज में मौत के डर से नहीं रो रहा। मौत का क्या है, वह तो 1 दिन आनी ही है। मैं इसलिए रो रहा हूं कि मेरे इतने सालों की मेहनत जिससे मैं अपने घोड़े को उड़ना सिखा रहा था, सिर्फ 1 साल की वजह से बर्बाद हो जाएगी! अगर मेरे पास 1 साल होता तो मैं अपने घोड़े को उड़ाने में कामयाब हो जाता।
जादूगर की बातें सुनकर राजा को लगा कि अगर उड़ने वाला घोड़ा उसे मिल जाए तो वह दुनिया का सबसे सफल राजा बन जाएगा। वह उड़कर किसी भी अन्य राजा को बड़ी आसानी से युद्ध में हरा पाएगा। राजा के मन में लालच आते ही राजा ने उसे 1 साल तक का समय दे दिया और कहा कि अगर तुम 1 साल में मुझे ऐसा घोड़ा देने में कामयाब हुए तो तुम्हें फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए तो तुम्हें फांसी से भी बड़ी दुखदायक मौत दी जाएगी।
कालकोठरी से छूटने के बाद जादूगर सीधा अपने घर पहुंचा। जादूगर ने देखा कि उसका पूरा परिवार और पत्नी उसके मौत का शोक मनाने के लिए इकठ्ठा हुए है। जादूगर को देखकर सब आश्चर्यचकित हो गए। पत्नी जो पहले रो रही थी उसे देख खुश हो गई। थोड़े समय बाद सब अपने घर चले गए।
जादूगर की पत्नी ने जादूगर से पूछा राजा ने तुम्हें छोड़ कैसे दिया? जादूगर ने उस शर्त के बारे में बताया जिसमें जादूगर को एक उड़ता हुआ घोड़ा राजा को 1 साल के भीतर देना था।
शर्त को सुनकर जादूगर की पत्नी फिर गुस्सा हो गई और बोली तुम कैसी अजीब शर्त मानकर आ गए? क्या तुम नहीं जानते ऐसा घोड़ा कभी संभव ही नहीं है। जादूगर बोला मुझे पता है उड़ने वाला घोड़ा मैं कभी नहीं राजा को दे पाऊंगा लेकिन मुझे जो 1 वर्ष का समय मिला है मैं उसे खुशी-खुशी तो जी पाऊंगा। अब तुम भी चिंता छोड़ो और खुश रहो।
6 महीने ही बीते थे की राजा और उसका घोड़ा दोनों ही मर चुके थे। राजा ही नहीं रहा तो जादूगर को दी गई मोहलत जो 1 वर्ष की थी अब जीवन भर के हो गई।
दोस्तों, छोटी सी ये जादूगर की कहानी हमें यही सिखाती है कि आज (वर्तमान) में जीना ही बुद्धिमानी का काम है। आपके पास अभी जितना समय है उसे खुशी-खुशी जिओ उसका आनंद लो। कल क्या होगा उसकी चिंता मत करो। अक्सर हम जो सोचते हैं भविष्य उससे बहुत अलग होता है। इसलिए हमें जो वर्तमान का मूल्यवान समय मिला है उसे भविष्य की चिंता करके वेस्ट करने का कोई मतलब नहीं है।
