आधा सच : प्रेरक कहानी | Hindi kahani with moral
दोस्तों हमें बचपन से ही यह बताया जाता है कि हमेशा सच बोलना चाहिए और यह अच्छा भी है.. सच बोलेंगे तभी हम समस्याओं से दूर रह पाएंगे और हमें कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन कभी-कभी सच किस तरह से बोला जाता है या जो सच बोला जा रहे हैं वह पूरी तरह सच है भी या नहीं वह भी मायने रखता है।
चलो हमेशा की तरह इस बात को एक बढ़िया सी कहानी से समझते हैं।
एक शॉपिंग मॉल में दो आदमी काम करते थे एक का नाम मित्तल और दूसरे का नाम अमित था। दोनो 5 सालों से उस मॉल में एकसाथ मिलकर काम करते थे और दोनो ही अपने काम में काफी ईमानदार थे। उस मॉल में एक नियम था की वहां हर दिन किसी एक आदमी को वहां घटनेवाली घटनाएं एक डायरी में लिखनी होती थी जो सीधे उसके मालिक द्वारा पढ़ी जाती थी।
मित्तल एक दिन किसी वजह से शराब पीकर काम पर गया। उस दिन डायरी में नोट्स लिखने की जिम्मेदारी अमित की थी। दिन खत्म होने पर अमित ने डायरी में लिखा ,'आज मित्तल नशे में धूत होकर काम पर आया।'
मित्तल ने उस डायरी को पढ़ लिया और अमित के पास जाकर उससे अपने ऐसे व्यवहार के लिए माफी मांगी और उससे रिक्वेस्ट की, की तुम भले ही डायरी से आज लिखी बात मत मिटाओ लेकिन तुमने जिस तरह से ये बात लिखी है उससे मेरी नोकरी जा सकती है क्योंकि वो सच होते हुए भी आधा सच है। तुम उस डायरी में आगे लिख दो की मित्तल 5 सालो में पहली बार शराब पीकर आया।
अमित उसकी कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं था। वो बोला मैंने जो कुछ लिखा है बिल्कुल सच है और मैं उसमे कोई भी बदलाव करने नही वाला।
उस दिन डायरी पढ़ने के बाद मॉल के मालिक ने मित्तल को अपने पास बुलाया और उसे वार्निंग दि की अगर वो दुबारा ऐसी हरकत करता है तो उसे अपनी नोकरी से हात धोना पड़ेगा।
कुछ दिन बीत गए और अब डायरी में नोट्स लिखने की बारी मित्तल की थी। दिन का पूरा काम खत्म करने के बाद मित्तलने डायरी में लिखा ,'अमित आज शराब पीकर नही आया था।' अमित जो उस वक्त मित्तल के पास ही खड़ा था वो मित्तल से बोला अरे भाई! तुम ये क्या लिख रहे हो?
मित्तल बोला सच ही तो लिख रहा हूं। क्या तुम शराब पीकर आए थे?
अमित बोला नही लेकिन तुमने जो लिखा है उसे पढ़कर ऐसा लगता है जैसे मैंने सिर्फ आज शराब नहीं पी और में रोजाना शराब पीकर आता हूं! तुम्हे लिखना ही हैं तो ऐसा लिखो की बाकी दिनों की तरह आज भी अमित शराब पीकर नही आया।
मित्तल बोला उस दिन मैं तुम्हे यही बात समझाने की कोशिश कर रहा था की आधी बात का , आधे सच का संदेश(meaning) कुछ और निकलता है। कोई बात नही तुमने चाहे मेरी बात नही मानी लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा और मित्तल ने डायरी में वैसा ही लिख दिया जैसा अमित ने रिक्वेस्ट किया था।
दोस्तों, कभी कभी आपने भी महसूस किया होगा कि हम जो कहना चाहते हैं वह हम सीधे-सीधे तो कह देते हैं लेकिन सामने वाले व्यक्ति द्वारा उसका कुछ और ही मतलब निकाल लिया जाता है! इसमें उस व्यक्ति की भी कोई ज्यादा बड़ी गलती नहीं है क्योंकि कुछ वाक्यों को पहले या बाद में कुछ कुछ एडिशनल शब्दों से उसका इंटेंट सही करने की जरूरत होती है। इसलिए मेरे प्यारे दोस्तों आज के बाद चाहे सच बोलना लेकिन सोच समझकर और जो भी बोल रहे हो उससे क्या इंटेंट निकलने वाला है यानी कि उससे क्या-क्या संदेश केरी होने वाला है वह जरूर समझ लेना।
