सच्ची खुशी : कहानी | hindi story inspirational for kids

 सच्ची खुशी : कहानी | hindi story inspirational for kids


दोस्तों, चाहे आप 100 सालों तक की लंबी जिंदगी जी लो लेकिन आपको जो सबसे ज्यादा समय याद रहेगा या आपने जिस दौर में खुलकर जिंदगी जी होगी वह दौर होगा बचपन का। बचपन में भी आपका स्कूल टाइम आपको मरते दम तक नहीं भूलता है। यही वो टाइम होता है जब हम अपने जीवन में सबसे ज्यादा खुश होते हैं, सबसे ज्यादा सीख पाते हैं। जिंदगी की ज्यादातर बड़ी सीखें हमें इसी स्कूल टाइम के दौरान मिलती है। आज की कहानी भी इसी दौर पर आधारित है।


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धीरेन का रिजल्ट उसके हाथों में था। क्लास में  अव्वल आने के लिए जितने मार्क्स चाहिए उतने उसको मिले थे लेकिन उसके चेहरे से वह खुशी गायब थी जो अव्वल आने पर होती है! उसे समझ में नहीं आ रहा था आर्यन को हराने के बावजूद वह खुश क्यों नहीं हो पा रहा है? आखिर यही तो वह चाहता था!


आर्यन और धीरेन एक ही क्लास में पढ़ाई करते थे। जहां आर्यन बहुत मेहनती, शांत और समझदार बच्चा था वही धीरेन को पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। उसे हर वक्त कोई ना कोई शरारत सुझती थी। वह हमेशा कुछ ना कुछ करके आर्यन को परेशान करता रहता था।


उसे लगता था अगर आर्यन को किसी तरह पढ़ाई से दूर रखा जाए और परेशान किया जाए तो वह भी अच्छे नंबर नहीं ला पाएगा और इस तरह वह भी उसकी तरह ही कम नंबर आने वाले लड़कों में शामिल हो जाएगा।



 अपनी इस शरारती सोच को सच करने के लिए धीरेन आए दिन कुछ ना कुछ गड़बड़ियां कर  आर्यन को मुसीबत में डाल देता। एक बार उसने आर्यन की होमवर्क की हुई नोटबुक उसके बसते से निकाल ली ताकि जब टीचर उससे होमवर्क मांगे तो वह असहज हो जाए और उसे डांट खानी पड़े। हुआ भी उसी के अनुसार उस दिन टीचर ने होमवर्क ना करने के लिए आर्यन को बहुत डांट लगाई। 


यह डांट जैसे धीरेन को अपना जीता हुआ कोई मेडल मालूम हो रही थी! वह आर्यन को परेशानि में डालकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था। लेकिन आर्यन इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था। वह तुरंत इस घटना को भूल गया और फिर से अपने अभ्यास में लग गया।


लेकिन धीरेन को चैन कहां पड़ने वाला था? वह भी लगातार अपनी शरारतें और आर्यन के खिलाफ शैतानियां करने से पीछे नहीं हटता था। कभी उसका बस्ता छुपा देता, कभी उसका टिफिन खा लेता, कभी उसके जूते फेंक देता और पता नहीं क्या-क्या करके वह आर्यन को हमेशा ऐसी सिचुएशन में डालने का प्रयास करता जिससे उसका ध्यान पढ़ाई से भटक जाए।


इन शेतानियो में अब क्लास के बाकी के शैतान बच्चे भी उसका साथ देते । उन्हें धीरेन को आर्यन के खिलाफ उकसाने में बड़ा मजा आता। दूसरी तरफ आर्यन के ग्रुप के समझदार और पढ़ाकू बच्चे उसे पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करते।


आर्यन इतनी सारी मुसीबतों के बावजूद अपनी पढ़ाई किसी तरह पूरी कर ही लेता और हमेशा अपने क्लास में अव्वल आता। धीरेन के मन में पढ़ाई ना कर पाने के कारण और आर्यन के हमेशा अच्छे नंबर आने के कारण हीन भावना बढ़ने लगी थी। वह कुछ भी करके आर्यन को हराना चाहता था, पीछे छोड़ना चाहता था।


जल्द ही परीक्षा का समय आ गया। धीरेन के बदमाश दोस्तों में से एक ने उसे परीक्षा में पूछा जाने वाला पेपर लाकर दिया। धीरेन की आंखों में चमक आ गई, उसने सोचा अब वह आर्यन को जरूर पीछे छोड़ देगा। और हुआ भी कुछ वैसा ही क्योंकि वही पेपर परीक्षा में पूछा गया था जिसके उत्तर जिले में अच्छे से तैयार कर लिए थे।


 रिजल्ट के दिन सभी विषयों में हायेस्ट मार्क्स के साथ धीरेन क्लास में अव्वल आया था। आर्यन अव्वल ना आने पर थोड़ा सा निराश जरूर था लेकिन दुखी नहीं। वह धीरेन के पास आया ,उसे क्लास में प्रथम आने पर खूब सारी बधाई दी और उसे गले से लगा लिया।


आर्यन का यह बर्ताव धीरेन की एस्पेक्टेशन से बिल्कुल परे था। हमेशा आर्यन को परेशान करने के बाद और हमेशा उसका बुरा सोचने के बाद भी आर्यन ने जब उसे गले से लगाया और उसे बधाई दि तब आर्यन की अच्छाइयों ने धीरेन के जमीर को पूरी तरह से झकझोर दिया। उसे अपना हर वह बुरा बर्ताव याद आया जो उसने कभी आर्यन के साथ किया था और अब उसे अंदर ही अंदर उसका पछतावा होने लगा।


वर्ग शिक्षक ने सभी टॉप के विद्यार्थियों को बधाई दी और अव्वल आए धीरेन को अपने पास बुलाया। जब शिक्षक उसकी तारीफ करने लगे तो धीरेन बीच में ही उन्हें रोककर बोल पड़ा। सर दरअसल में अव्वल नहीं आया अव्वल आया है आर्यन क्योंकि मैंने चीटिंग की है। पश्चाताप की आग में जल रहे धीरे ने यह जानते हुए भी कि उसके कबूल करने पर उसे स्कूल से भी निकाला जा सकता है फिर भी उसने सच्चाई कबूल कर ली। वो अपने किए पर रोने लगा।


क्लास के सबसे शरारती लड़के को इस तरह टूटता देख पूरा क्लास शांत हो गया आर्यन धीरेन के पास आया और उसका हाथ पकड़ के उसे सांत्वना देने लगा। वर्ग के शिक्षक में और बाद में प्रिंसिपल ने भी उसके पछतावे को समझा और उसको दूसरी बार परीक्षा देने का मौका दिया।



दोस्तों, छोटी सी यह कहानी हमें सिखाती है की सच्ची खुशी के लिए सच्चाई का रास्ता भी उतना ही जरूरी है। बेईमानी से, किसी का हक छीन कर, बिना मेहनत के मिलने वाली खुशी सिर्फ नाम की होती है।  जब हम मेहनत करके, इमानदारी से जीत हासिल करते है और उससे जो खुशी मिलती है वही सच्ची खुशी होती है।


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