कहानी : राजा और बूढ़ा आदमी | Moral Story
पुराने जमाने की यह कहानी बहुत ही दिलचस्प और बड़ी सिख देने वाली है। उस जमाने में राजाओं का राज हुआ करता था। भिन्न भिन्न प्रकार के राजा हुआ करते थे और विभिन्न प्रकार की उनकी आदतें हुआ करती थी। एक राजा ऐसे थे जिन्होंने अपने लोगों को यह कह कर रखा था कि अगर वो किसी की तारीफ में वाह कह दे तो उस व्यक्ति को इनाम में 1000 सोना मोहरे दे दी जाए।
हालांकि यह राजा इतनी आसानी से किसी की बातों से या काम से प्रभावित नहीं होता था इसलिए उसके आदमियों को कभी किसी को सुना मोहरे देने की नौबत आई ही नहीं।
एक बार राजा अपने आदमियों के साथ शिकार करने के लिए जंगल जा रहा था। बीच सफर में एक बूढ़े आदमी का घर आया। राजा ने देखा कि वह बूढ़ा आदमी उम्र में 90 साल से भी ज्यादा का लग रहा है। उसके हाथ पैर कांप रहे हैं, फिर भी वह बड़ी मेहनत से एक फल देने वाला पेड़ का पौधा अपने घर के बगीचे में लगा रहा था।
राजा को उस बूढ़े आदमी को ऐसा करते देख बहुत आश्चर्य हुआ। राजा का सोचना था कि बूढ़ा जो फल का पौधा लगा रहा है उसे अच्छी तरह से बड़े होकर फल देने में कम से कम 10 साल लग जाएंगे। बूढ़े आदमी की हालत देखकर लगता था कि वह शायद ही एक दो साल और निकाल पाएगा। फिर बूढ़ा आदमी क्यों इतनी मेहनत और तकलीफ उठा रहा है!
राजा अपने आदमियों के साथ उन्हें के पास पहुंचा और उसने यही प्रश्न बूढ़े से किया तो बूढ़े ने कहा,"महाराज! अगर यही सोच मेरे दादा परदादा रखते तो आप मेरे बगीचे के इन कई पेड़ों को जो वह मेरी उम्र के थे तब लगा कर गए थे शायद यहां नहीं देख पाते और ना ही मुझे उनसे फल खाने के लिए मिलते! जैसे मेरे दादा परदादा ने मेरे बारे में सोच कर उन पौधों को लगाया था मैं भी अपने बच्चे और बच्चों के बच्चों को ध्यान में रखकर इस पौधे को लगा रहा हूं। मेरे पूर्वजों ने उनका फर्ज अदा किया था अब मैं मेरा फर्ज अदा कर रहा हूं।"
राजा ने जैसे ही बूढ़े आदमी के विचार सुने तो उसके मुंह से वाह निकल गया। राजा के आदमियों ने राजा के मुंह से वाह शब्द सुनते ही उस बूढ़े आदमी को 1000 सोना मोहरों की थैली इनाम के रूप में दे दी।
1000 सोना मोहरे पाकर बूढ़ा आदमी बहुत खुश हो गया और उसने कहा कि देखिए महाराज आप कहते थे कि यह पौधा मुझे शायद फल नहीं दे पाएगा लेकिन इस पौधे ने तो मुझे आज ही सोना मोहरों के रूप में फल दे दिया।
बूढ़े आदमी के सकारात्मक विचारों से प्रभावित होकर राजा ने फिर से दो बार वाह वाह बोला! राजा के आदमियों को तो आदेश के अनुसार हर वह शब्द के लिए 1000 सोना मोहरे देनी थी इसलिए उन्होंने बूढ़े आदमी को 2000 सोना मोहरे और दे दी।
फिर से इतनी सारी सोना मोहरे पाकर बूढ़े आदमी ने खुशी से कहा कि महाराज मैंने तो सिर्फ सुना था कि कुछ राजा दयालु और बड़े दिलवाले होते हैं लेकिन मेरी इतनी उम्र हो गई फिर भी कभी देखा नहीं था लेकिन आज पहली बार आपको देखा तो उस बात पर विश्वास हो गया।
राजा के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर लगातार तीन बार वाह वाह वाह निकल गया। और बूढ़े आदमी को 3000 सोना मोहरे और मिल गई!
दोस्तों,यह कहानी जितनी मजेदार है उतनी ही गहरी बात भी सिखाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हर काम सिर्फ अपने मतलब के लिए नहीं करना चाहिए। जब हम कोई काम निस्वार्थ भाव से करते है या दूसरों का भला करने के लिए करते है तो उसका फल भी हमे जरूर और जल्दी मिलता है। इसलिए दोस्तों निस्वार्थ बनो और भलाई करते रहो।
