भगवान शिव और कुबेर की कहानी | Shivji ki kahani

शिवजी और कुबेर की कहानी | Shivji ki kahani 


आज की कहानी देवों के देव महादेव भगवान शंकर के बारे में है या यूं कहें कि भगवान शंकर और उनके भक्त कुबेर के बारे मे हैं। शिव भक्तों को यह कहानी पूरी जरूर पढ़ना चाहिए। कहानी कुछ इस प्रकार है..


भगवान शिव और कुबेर की कहानी | Shivji ki kahani


कुबेर जिनको धन के देवता कहा जाता है वह यक्षो के भी देवता थे। कहते है की लंका पहले कुबेर की थी। रावण ने जब लंका पर कब्जा किया और कुबेर को वहां से निकाल दिया तो कुबेर को मुख्यभूमि की तरफ जाना पड़ा।


प्रजा और राज्य को खोने के बाद कुबेर निराश हो गया था इसलिए उसने भगवान शिव की आराधना और भक्ति शुरू कर दी। इस तरह से कुबेर एक शिव भक्त बन गया। कुबेर ने बहुत कड़ी तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया।


भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे एक नया राज्य दिया और संसार का सारा धन उसको दे दिया ! इस तरह से कुबेर धन का देवता बन गया और लोग धन और कुबेर को एक समान मानने लगे।


संसार का सबसे धनी व्यक्ति बनने के बाद कुबेर भगवान शिव को बहुत कीमती कीमती वस्तुएं चढ़ावे चढ़ाने लगा। धीरे-धीरे उसे लगने लगा कि वह शिव का इतना महान भक्त है और वह इतनी सारी बहुमूल्य वस्तुएं भगवान शिव को चढाता हैं। लेकिन सत्य तो यह था कि भगवान शिव ने कभी भी उस की चढ़ाई विभूति के अलावा किसी और वस्तु को छुआ तक नहीं था। कुबेर जो यह मानने लगा था कि वह अब भगवान के लिए कुछ भी कर सकता है और उन्हें जो चाहिए वह दिलवा सकता है!



कुबेर एक बार भगवान शिव के यहां पहुंचा और उनसे कहा,"मैं आपके लिए कुछ करना चाहता हूं! आप मुझे बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं?"


भगवान शिव ने कहा," तुम मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते क्योंकि कुछ करने के लिए मेरी कोई आवश्यकता है ही नहीं!"


लेकिन कुबेर शिवजी से बहुत आग्रह करने लगा कि वह उनके लिए कुछ करना चाहता है। दरअसल यह कुबेर का अहंकार बोल रहा था। भगवान शिव ने अपने भक्त को सही मार्ग पर लाने के लिए एक लीला रची!


शिव जी ने कहा," देखो कुबेर, मुझे तो कुछ भी नहीं चाहिए। अगर तुम करना ही चाहते हो तो वह जो बालक है (भगवान शिव ने गणेश जी की तरफ उंगली दिखाते हुए कहां) वह हमेशा भूखा रहता है! उसे 1 दिन अच्छे से पेट भर कर खाना खिला दो बस इतना मेरे लिए काफी होगा!"


कुबेर ने मन ही मन सोचा कि भगवान ने मुझसे मांगा भी तो क्या एक बच्चे को खाना खिलाने का? बस! यह सोचकर कुबेर गणेश जी को अपने साथ भोजन कराने के लिए ले गया। 


शुरू में कुबेर ने अपने कुछ रसोइयों द्वारा खाना बनाकर गणेश जी को स्वादिष्ट आना पिरोसा। लेकिन उसने देखा कि गणेश जी खाते ही जा रहे हैं.. तो उसने कई सैकड़ों रसोइयों को बुला कर प्रचुर मात्रा में खाना बनाना शुरू रख्खा। एक तरफ खाना बनता जा रहा था और एक तरफ गणेश जी उसे खाते जा रहे थे।


गणेश जी को इतना खाते देख कुबेर की चिंता बढ़ने लगी। कुबेर ने गणपति से कहां ,"गणेश जी आप रुक जाइए, इतना ज्यादा खाएंगे तो आपका पेट फट जाएगा!" गणपति जी ने मुस्कुराते हुए कुबेर से कहा ,"आप मेरी चिंता मत कीजिए! आप अपना वचन पूरा कीजिए। मुझे भूख लगी है, मुझे खाना खिलाइए!"


कुबेर का अहंकार खत्म करने के लिए गणेश जी ने इतना खाना खाया कि कुबेर का सारा खजाना खत्म हो गया, यहां तक कि कुबेर को दूसरे लोको से भी खाना मंगवाना पड़ा। 


कुबेर को इस बात का ज्ञान हो गया कि उसके विचार के छोटेपन की वजह से उसने अपने आप को भगवान शिव का महान भक्त समझ लिया था। जबकि सच बात तो यह थी कि भगवान ने जो कुछ उसे दिया है उसी का थोड़ा हिस्सा वो भगवान को दे रहा था। जबकि इस संसार का सारा धन भगवान के लिए एक तिनके भर से ज्यादा नहीं है। उसने भगवान शिव के पास जाकर अपनी गलती की माफी मांगी और उस दिन से उसकी जीवन की दशा बदल गई।



दोस्तों भगवान शंकर कितने दयालु और भोले हैं इस बात से हम सभी परिचित हैं। वह अपने अच्छे और बुरे सभी भक्तों पर अपनी दया दृष्टि रखते हैं। पूरी कहानी ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद अंत में यही कहूंगा भोलेनाथ आप सभी को सुखी रखे।


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