ज्ञानवर्धक कहानी : आदतें | gyanvardhak kahani
एक बार राजा भोज अपने प्रिय मंत्री के साथ कहीं सफर कर रहे थे। इस सफर के दौरान वे एक जंगल से गुजरे जिसके पास कई सारे खेत थे और एक खेत के पास एक किसान जमीन पर ही बिना कुछ बिछाए बड़े आराम से सो रहा था।
उस किसान को इतनी शांति से सोते हुए देखकर राजा भोज बड़े आश्चर्य चकित हुए और वहीं ठहर कर उस किसान को ध्यान से देखने लगे! राजा को इस तरह शांत देख मंत्री ने राजा से पूछा - महाराज क्या हुआ?
राजा ने मंत्री से कहा - मुझे एक बात समझ में नहीं आई ना कोई गद्दा, ना कोई बिस्तर फिर भी वह किसान इतनी आराम से कैसे इस उबड़ खाबड़ जमीन पर सो सकता है?
मंत्री थोड़ा सा मुस्कुराया और बोला जेड - महाराज यह कमाल है परिस्थितियों का और आदतों का! मनुष्य से ज्यादा कोई कोमल नहीं है और नही मनुष्य से ज्यादा कोई कठोर हैं परिस्थितियों के हिसाब से मनुष्य अपनी आदतें बना लेता है ।
मंत्री की बात राजा को ठीक से समझ में नहीं आई इसलिए मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा है तो इस किसान की परीक्षा ले लेते हैं।
विचार विमर्श करने के बाद राजा और मंत्री उस किसान को राज महल ले गए। राज महल में किसान को वही ऐशो आराम खाना-पीना और सोने का बिस्तर दिया गया जिस पर राजा सोता था।
थोड़े ही दिनों में किसान की आदतें पूरी तरह बदल गई और वह उस राजसी ठाट बाट का आदि हो गया। आखिरकार उसके परीक्षा का दिन भी आ गया। मंत्री ने उसके सोने के बिस्तर में कुछ सूखे पत्ते और तीन के चुपके से डाल दिए।
किसान जब उस बिस्तर पर सोने गया तो राजा और मंत्री चुपके से उस पर नजर रखने लगे। कुछ ही देर बाद राजा और मंत्री ने देखा की किसान ठीक से सो नहीं पा रहा है और बार-बार करवटें बदल रहा है। राजा यह देख कर फिर से हैरान था। मंत्री ने राजा से कहा देखिए महाराज मैं यही आपको समझाना चाहता था कि जो किसान पहले मिट्टी कंकर पर बड़े आराम से सो जाया करता था अब उसकी आदतें बदलने के बाद उसे सूखे पत्ते और तिनके भी सोने नहीं दे रहे हैं।
कहानी की सिख
दोस्तों, यह कहानी हमें एक बहुमूल्य सीख देती है की जीवन में चाहे जैसी परिस्थितियां आ जाए हमें उनसे लड़ते रहना चाहिए। क्योंकि मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि वह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल सकता है और बुरे से बुरा समय भी बड़े आसानी से निकल सकता है।
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