दो भाईयों की लड़ाई : हृदयस्पर्षी कहानी | heart touching Hindi story
जज मेहता हमेशा की तरह वक्त पर कोर्ट पहुंच गए थे और अपने सामने पड़े ढेर सारे केसों की फाइल देखकर हमेशा की तरह उनका मन उदास हो गया था।
जब से वे जज बने थे उन्होंने हजारों केसेस की सुनवाई की थी और इन सब में मारामारी, धन दौलत,जमीन के लिए लड़ाई, स्त्रियों के लिए लड़ाई, चोरी चकारी लूटपाट इन सबके अलावा और कुछ खास नहीं होता था।
अपने रूटीन के हिसाब से उन्होंने अपने सामने पड़ी फाइलों को चेक करना शुरू किया। दूसरी फाइल उन्होंने उठाई ही थी और उस पर उनकी नजरें टिक गई। उन्हें यह केस बाकी सब से अलग और खास लगा। उन्होंने इस फाइल को पूरा पढ़ डाला। यह केस एक छोटे भाई ने अपने बड़े भाई पर किया था और केस करने का कारण था मां की कस्टडी पाना!
मेहता जी ने सबसे पहले इसी केस की कार्यवाही करने का फैसला किया। कोर्ट में सब हाजिर हो गए । जज ने सबसे पहले छोटे भाई को अपनी बात रखने का मौका दिया।
छोटे भाई ने कहां,"जज साहब, मेरी उम्र 50 वर्ष हैं और मेरे बड़े भैया की उम्र 60 वर्ष हैं। हमारी मां जो 90 साल की है वह बड़े भाई के साथ ही रहती है। लेकिन अब मैं चाहता हूं कि मां बाकी के बचे वर्ष मेरे साथ रह कर बिताए। मां की सेवा करने का मौका अब मुझे मिलना चाहिए। मैंने बड़े भैया को काफी समझाया कि अब आपकी भी उम्र हो चली है, अब आपकी सेहत भी अच्छी नहीं रहती और आप दिल के मरीज भी है! मैं अभी स्वस्थ हूं इसलिए बेहतर यही होगा कि मां की सेवा करने का मौका अब मुझे दिया जाए!
वैसे भी मां पिछले 40 सालों से उनके साथ ही तो रह रही है क्या मेरा हक नहीं बनता कि मां मेरे साथ भी रहे? लेकिन बड़े भैया है कि इस बात को मानने के लिए राजी नहीं है इसीलिए मजबूरी में मुझे उन पर केस करना पड़ा!
अब बड़े भाई की अपनी बात रखने की बारी थी। बड़े भाई ने कहा यह बात सच है कि मेरी उम्र 60 साल है। यह बात भी सच है कि अब मेरी सेहत पहले जैसी नहीं रहती लेकिन उतना ही सच यह भी है कि मैं सिर्फ जिंदा रह पा रहा हूं तो इसलिए क्योंकि मेरी मां मेरे पास है। चाहे मेरी सेहत कितनी भी खराब हो, चाहे मेरी जिंदगी नर्क जैसी हो लेकिन मेरी मां मेरे पास होने की वजह से वही तकलीफो भरी जिंदगी स्वर्ग जैसी बन जाती है।
जज साहब आप ही बताइए मैं मां को अपने से दूर कैसे होने दे सकता हूं।
जज ने बड़े भाई से कहा कि तुम खुद कहते हो कि तुम्हारी सेहत अच्छी नहीं रहती तो भला तुम कैसे अपबी मां की देखभाल अच्छे से कर पाओगे यह भी तो सोचो?
बड़े भाई ने कहा मैं अपनी मां की बड़े अच्छे से देखभाल करता हूं। आप मां से भी पूछ सकते है और अगर वो खुद कहे की उन्हें मेरे साथ नहीं रहना तो आप बेशक उन्हे मेरे भाई के साथ भेज दीजिए।
जज को यह बात ठीक लगी और उन्होंने मां को अदालत में बुलाने का फैसला किया। 90 साल की बूढ़ी मां बड़ी ही कमजोर थी वो जैसे तैसे व्हील चेयर से अदालत में आई।
जज साहब ने उनसे उनका फैसला पूछा तो मां ने कहा कि मेरे लिए दोनों ही बच्चे समान है, किसी एक का पक्ष लेकर दूसरे को नाराज नहीं कर सकती। आप तो जज है आप तो ऐसे फैसले हमेशा लेते हैं! आप जो भी फैसला लेंगे वह मेरे लिए आखिरी फैसला होगा और मैं चुपचाप उसे मान लूंगी।
जज साहब बहोत परेशान हो गए! उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा अनोखा केस कभी नही देखा था। हमेशा दो भाई अपने माता पिता को एकदूसरे पर थोपते , एक कहता तुम रख्खो तो दूसरा कहता तुम ही रख्खो! जज का आश्चर्य तब और भी ज्यादा बढ़ गया जब उन्हें पता चला की मां के पास दोनो बेटो को वसीहत में देने के लिए फूटी कौड़ी भी नही थी!
बड़े सोचने विचारने के बाद जज ने फैसला किया की मां को अब छोटे भाई को सौंप देना चाहिए। ये फैसला सुनते ही बड़ा भाई जमीन पर बैठ पड़ा और फूट फूट कर रो पड़ा! उसे रोता देख कोर्ट में हाजिर सभी के साथ जज की भी आंखो से आंसू बह निकले।
दोस्तों, आपने भाई भाई की लड़ाई बहुत देखी होगी लेकिन जैसे इन दोनों भाइयों ने अपनी मां के लिए लड़ाई की वैसी अनोखी लड़ाई कभी नहीं देखी होगी।
इस कहानी से और इन दोनों भाइयों से हमे सीखना चाहिए कि अपने मां-बाप का कर्ज कैसे उतारा जाता है और मां बाप की सेवा कैसे निस्वार्थ भाव से की जाती है।
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