मोरल कहानी : चिंता चिता समान | Moral Hindi story

 मोरल कहानी : चिंता चिता समान | Moral Hindi story 


एक गांव में एक पहलवान रहता था। यह पहलवान पूरा दिन खाता, पीता, कसरत करता, दंड लगाता और रात को गांव के हनुमान मंदिर में पड़ा रहता था इसके अलावा उसे और कोई काम था नहीं।


मोरल कहानी : चिंता चिता समान | Moral Hindi story


गांव के लोगों को पहलवान बहुत पसंद था क्योंकि इस पहलवान की वजह से उस गांव में कोई भी चोरी चकारी या लूटपाट करने की हिम्मत नहीं करता था। ऊपर से पहलवान की वजह से उस गांव की ख्याति अड़ोस पड़ोस के कई और गांव में भी फैली थी इसलिए यह पहलवान गांव में सब का चाहिता बन बैठा था।


इस पहलवान को हम घमंडी तो नहीं कह सकते लेकिन यह पहलवान मिजाज से थोड़ा शरारती था। 


मंदिर के पास से होकर जाने वाला रास्ता इस गांव में रहने वाले राजा के बाहर आने जाने के लिए एकमात्र मुख्य रास्ता था। जब-जब राजा अपने हाथी पर सवार होकर इस रास्ते से गुजरता था तो पहलवान अपनी शरारत करता था। पहलवान उस हाथी की पूंछ पकड़कर लटक जाता था और वह इतना बलवान था कि हाथी उसे गिराने की कई नाकाम कोशिश करता लेकिन पहलवान टस से मस ना होता। और इस तरह से राजा गांव वालों के हंसी के पात्र बन जाता था।


राजा पहलवान की इन हरकतों से बहुत परेशान हो गया था। राजा ने एक दिन अपनी सभा बुलाई और अपने सबसे समझदार मंत्री को इस बारे में बताएं और उसके लिए कोई उपाय निकालने के लिए कहा। मंत्री ने राजा से कहा कि आप उस पहलवान को यहां बुला लीजिए और उसे कहिए कि आप उसे नौकरी देने वाले हैं।


अगले ही दिन पहलवान राजा के दरबार में था। पहलवान ने कहा कि मुझे पहलवानी के अलावा और तो कोई काम आता नहीं है फिर भला आप मुझे कौन सा काम देने वाले हैं! मंत्री ने पहलवान से कहा कि राजा ने तुम्हें आज से नौकरी पर रख लिया है और तुम्हें बस इतना करना है कि सुबह 6:00 बजे तुम्हें उस मंदिर में दिया जलाना है और रात को 12:00 बजे उस दिए को बुझा देना है इसके लिए तुम्हें महीने में ₹30 मिलेंगे।



उस जमाने में ₹30 बहुत बड़ी रकम होती थी इसलिए पहलवान उस काम के लिए मना नहीं कर पाया। उसने सोचा सिर्फ दिया जलाना और बुझाना ही तो है और इसके बदले पूरे ₹30 मिलेंगे! पहलवान उसी दिन से राजा की दी हुई उस नौकरी पर लग गया।


पहलवान के वहां से जाने के बाद राजा मंत्री पर बहुत गुस्सा हुआ। राजा ने कहा कि तुमने यह क्या किया? मैं सोचता था कि तुम पहलवान को कोई ऐसा काम दोगे जिससे वह व्यस्त रहेगा और मुझे आगे से परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन तुमने उसे इतना आसान काम दिया कि वह 1 मिनट में दिया जलाएगा और 1 मिनट में दिया बुझाएगा और बाकी का समय वह कुछ नहीं कर रहा होगा। यानी कि जब मुझे उस रास्ते से गुजारना पड़ेगा तो वह फिर ऐसा कुछ करेगा जिससे मेरी जगहसाई होगी।


मंत्री ने राजा को विश्वास दिलाते हुए कहा कि महाराज आप मुझ पर भरोसा रखिए। एक और काम और आपको करना है, सिर्फ 30 दिनों तक आपको उस रास्ते से नहीं गुजरना है।


राजा अपने मंत्री की समझदारी से अच्छी तरह वाकिफ था इसलिए राजा ने 30 दिनों तक इंतजार करने का तय किया और जैसा मंत्री ने कहा वैसा 30 दिनों तक बिल्कुल उस रास्ते से नहीं गुजरे।


30 दिनों बाद राजा अपने हाथी पर सवार होकर जब उस रास्ते से गुजरा तो पहलवान अपने शरारती स्वभाव से मजबूर होकर फिर से हाथी की पूंछ पकड़कर लटक गया। लेकिन कुछ ही मिनटों में हाथी ने उसे पैर से ठोकर मार कर गिरा दिया और इस बार राजा की नहीं बल्कि पहलवान की जगहसाई हुई!


सभी लोग पहलवान और खुद राजा भी यह देखकर हैरान था कि ऐसा चमत्कार कैसे हुआ?


राजा अपना सफर खत्म करके जब अपने महल लोटा तो उसने अपने मंत्री को यह सारी बात बताई और पूछा कि मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आया कि यह चमत्कार कैसे हुआ?


मंत्री ने राजा को समझाते हुए कहा कि महाराज जब तक वह हमारी नौकरी नहीं कर रहा था उसे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं थी लेकिन जब से हमने उसे नौकरी पर रखा उसे सुबह जल्दी उठकर दिया जलाने की चिंता रहती,जिस वजह से वह ठीक से सो नहीं पाता। और रात को 12:00 बजे तक दिया जलता रहे उस बात की चिंता सताती इसलिए वह खाने-पीने पर भी ठीक से ध्यान नहीं दे पाता! बस यही कारण है कि वह नींद और भोजन ठीक से नहीं ले पाने की वजह से कमजोर पड़ गया!


राजा को अपने मंत्री के समझदारी पर गर्व हुआ और राजा ने मंत्री को एक अच्छा सा इनाम देखकर उसे धन्यवाद दिया।



दोस्तों, छोटी सी यह मोरल कहानी हमें सिखाती है कि हमें जीवन सिर्फ आज मैं जीना चाहिए। बीते हुए कल और आने वाले कल की चिंता से हमें कोई फायदा तो होता ही नहीं है बल्कि हमारे मन, मस्तिष्क और शरीर पर भी उसका दुष्प्रभाव होता है!


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