Hanuman chalisa पढ़ते है लेकिन नही जानते हनुमान जी की पूरी कहानी तो इसे पढ़िए..
हनुमान को महादेव का 11वा रुद्र अवतार माना जाता है। सब जानते है की वह प्रभु श्रीराम के सच्चे और सबसे बड़े भक्त है। हनुमान का जन्म अंजनेरी पर्वत पर माता अंजनी के कोख से हुआ था। उनके पिता का नाम वानरराज केसरी था। इस वजह से उन्हें अंजनी पुत्र और केसरी नंदन इन नामों से भी जाना जाता है।
सूर्य के सुवर्ण निर्मित सुमेक में केसरीजी का राज्य था। एक बार अंजनी ने स्नान करके सुंदर वस्त्र आभूषण परिधान किया ,उस वक्त पवन भगवान ने उनको कहा कि आपको सूर्य अग्नि और सोने जैसा तेजस्वी वैज्ञादता महाबली पुत्र प्राप्त होगा और वैसे ही हुआ।
श्री राम का निष्ठावान सेवक भक्त जानकर हनुमान जी से हम सब परिचित है। हनुमान को असीम भक्ति और असीम विनम्रता ऐसे अनेक गुणों से पहचाना जाता है।
हनुमान की जन्म की कथा यह श्री राम जी के जन्म से जुड़ी हुई है। अंजनी को संतान प्राप्त हो सके इसलिए वह भगवान शंकर जी की पूजा कर रही थी। (आज भी शिव भक्त महाशिवरात्रि को शंकर जी की उपासना करते हैं।) इस बीच अयोध्या के राजा दशरथ और उनकी तीन रानियां भी उनको पुत्रप्राप्ति हो सके इसलिए भगवान की आराधना कर रही थी।
उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन से संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ के समापन पर तीनों रानीयों को भगवान से खीर प्रसाद में मिली। भगवान रानी कैकेइ के खीर दे रहे थे तब एक पंछी वहां पर आया और पंछी ने अपनी चोंच से मुंह में खीर भरकर वहां से उड़ गया पर उड़ते समय उसके चोंच से वह खीर अंजनी के हाथ पर गिरी। अपने आप अपने हाथ में गिरे हुई खीर अंजनीने भगवान का प्रसाद समझकर खा लिया!
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दिव्य प्रसाद के प्रभाव में अयोध्या के तीनों रानी और अंजनी इन सबको पुत्र हुए! केसरी और अंजना इनको जो लड़का हुआ वह ईश्वर अवतार दिख रहा था। उन्होंने उसका नाम (मारुति ) पवन रखा। वायु देव की वजह से, उनकी शक्ति के वजह से वह फल(खीर) अंजना के हाथ में आया था इस वजह से मारुति को पवनपुत्र भी कहते हैं।
शंकर जी की कृपा से होने वाला यह बलवान मारुति रुद्रावतार मतलब शंकर जी का अवतार होने की श्रद्धा से लोग उन्हें मानते है। बचपन से मारुति को बहुत सारी शक्तियां प्राप्त हुई थी।
एक दिन सूर्य उदय के समय उसके छोटे से लाल रंग के सूर्य को देखकर मारुति को वो सुंदर लड्डू लग रहा था। उसको निगलने के लिए हनुमान ने उड़ान भरी । इंद्र देव के साथ-साथ सभी देव भयभीत हो गए। इंद्रदेव ने सूर्य और पृथ्वी को बचाने के लिए अपना हथियार मारुति की तरफ से मारा! इस वजह से मारुती मूर्छित हो गए।
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अपने पुत्र की ऐसी स्थिती देखने के बाद पवन देव ने सभी सृष्टि की वायु बंद कर ली। उस वजह से सभी जानवर और इंसानों का अस्तित्व खतरे में आया। उसके बाद सभी देवताओं ने मारुती को मूर्छावस्था से बाहर लाएं और पवन देव को शांत करके पहले जैसी वायु पर्यावरण में लाए।
हनुमान को सभी देवों ने आशीर्वाद देते हुए कई शक्तिया प्रदान की। ब्रह्म देव ने अमितायू, इंद्रदेव ने वज्र से पराजित ना होने का, सूर्य देव ने अपने शतांश तेज से युक्त और संपूर्ण शास्त्रों में निष्णात होने का और पानी से अभय रहने का, यम जी ने यमदंड से अवध और पत्थर से नष्ट न होनेका, शंकर जी ने अजय योद्धा पर विजय प्राप्त करने वाला और विश्वकर्मा ने सभी प्रकार के असहयोग, अस्त्र और शस्त्र कभी भी क्षति ना होने वाला वर दिया। यह सभी प्रकार के वर प्राप्ति के वजह से हनुमान ने अमित पराक्रम किए जो जग में प्रसिद्ध हो गए।
1 दिन बचपन में सभी शक्तियों से पूर्ण हनुमान ने एक ऋषि का परिहास किया। इस वजह से मारुती को श्राप मिला। तुम तुम्हारे सभी शक्तियों को भूल जाओगे।
कई सालो बाद सीता को ढूंढते समय समंदर लांग ने से पहले जामवंत ने हनुमान को उसके शक्तियों की याद दिलाई। श्री राम सीता और लक्ष्मण जब वनवास मे थे उस वक्त रावण ने सीता का हरण करके लंका में लाया। राम लक्ष्मण सीता को ढूंढ रहे थे तब उनकी हनुमान से भेंट हुई। इधर से आगे हनुमान सीता को ढूंढने लगे। रावण से लड़ाई करके राम की मदद की। और आगे जिंदगी भर राम की मन से भक्ति की। उस वजह से जिस जगह राम का मंदिर है उस के बाजू हाथ जोड़े हुए हनुमान की मूर्ति होती हें ।
वे महादेव का अवतार होने से उनमें बहुत सामर्थ्य है। राम भक्ति करते समय उनमें विष्णु तत्व होने के कारण उनमे स्थिति का भी सामर्थ्य आ गया। हनुमान में ब्राह्मण तेज और शास्त्र तेज दोनों होने के कारण युद्ध के वक्त वह उसका अच्छे से इस्तेमाल करते थे, ऐसा बोला जाता है। महाभारत के युद्ध में श्री कृष्णा ने हनुमान को अर्जुन के रथ पर स्थान दिया था। तभी हनुमान ने रथ और अर्जुन पर आने वाली अस्त्र और शस्त्र हवा में नष्ट कर दिए, ऐसा बताया जाता है। हनुमान शक्ति सामर्थ्य के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही वह बुद्धि के लिए भी जाने जाते है। बचपन में हनुमान ने गुरुकुल में जाकर बहुत सारी विद्या सीखी थी। वानरो का युद्ध करने की विशिष्ट तरीका मारुति ने सीखा। हनुमान को खूब सारी भाषाये भी आती थी। इसलिए राम-लक्ष्मण की खबर निकालने के लिए सुग्रीव ने हनुमान को भेजा था और इसीलिए सीता को ढूंढने के लिए हनुमान को भेजा गया।
समुद्र लाँघना, समुद्र पर सेतु खड़ा करना, दुश्मनो का नाश करना, लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाना इससे हनुमान की शक्तियों का अंदाजा मिलता है। हनुमान चिरंजीवी मतलब अमर है ऐसी भक्तों की धारणा है।
इस वजह से आज भी भक्त बोलते हैं कि वह भक्ति रूप में अभी भी जिंदा है। हिंदू धर्म में हनुमान जयंती यह बड़े आनंद से और उत्साह से मनाई जाती है।
उनके बारे में जितना बोला जाए और लिखा जाए सब कम है। जब जब कोई संकट आए वो याद आते हैं, जब जब जी घबराए वो याद आते हैं, जब जब बल और बुद्धि की बात हो उनकी याद आती है, जब सच्ची भक्त और भक्ति की चर्चा हो उनका नाम लिया जाता है! आज भी हर घर में हनुमान चालीसा गाई या सुनी जाती हैं इस तरह वो हमेशा हमारे साथ है। इसलिए इस पार्थना के साथ की बजरंगबली आप सब पर आशीर्वाद बनाए रख्खे इसी प्रार्थना के साथ इस लेख को यही विराम देता हूं... आगे मिलेंगे एक नई कहानी के साथ हमसे जुड़े देने के लिए ,www.hindi-kahani.in को अपने बुकमार्क या होमपेज या हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े।
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