New Story in Hindi | एक भ्रष्ट पुलिस की कहानी
हेमा डरते हुए पुलिस स्टेशन में आई तब उसके चेहरे पर डर का साया साफ दिख रहा था। डरे हुए मनसे उसने दबे पांव आगे आने की हिम्मत की। आगे खुर्ची पर एक पुलिस को देखकर उसने राहत की सांस ली।
कोई तो है जो भगवान जैसा अपने काम में मग्न होने वाला रक्षक उसे अपनी आंखों के सामने दिखा। खाकी वर्दी में बैठे इस व्यक्ति को रक्षक जैसे समझ ने के लिए कारण भी वैसा ही था,माथे पर टीका और गले में तुलसी की माला थी उसके। हमेशा भगवान की पूजा करने वाला यह रक्षक अपने होठ हिलाते हुए भगवान का नाम फुसफुसा रहा था यह हेमा ने जाना। और उसी क्षण उसने उस रक्षक को आगे आकर नमस्कार किया।
उससे पूछा साहब मैं हेमा, उदवाड़ा गांव से हूं मेरा पति आपके थाने में कैद है। किसको मिलूं मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। उस रक्षक ने उसकी तरफ चिंता में देखा और पूछा नाम क्या है तुम्हारे पति का? हेमा आंखों में आंसू लिए बोल रही थी, भोला नाम है उनका।
अपने हाथों का पेन साइड में रखकर खाकी वर्दी में उस रक्षक ने अंदर की तरफ उंगली दिखाई और बोला अंदर एक बड़े सर बैठे हैं, चुलबुल शर्मा नाम है उनका. उनसे मिलो आप। आपके पति का केस उनके पास है। इतना बोल कर वह रक्षक अपने काम में मशरूफ हो गए।
हेमा धन्यवाद बोलकर अंदर चली गई। थोड़ी देर बाद चिल्लाने और रोने की आवाज बाहर बैठे पुलिस रक्षक के कान पर आई। उसने हाथ का काम छोड़ा और क्या हुआ ये देखने के लिए वह अंदर गया।
हेमा नीचे बैठ कर रो रही थी। और चुलबुल सर उस पर जोर से चिल्ला रहे थे। तुम्हारे पति को छुड़वाना है तो पैसों का इंतजाम करो, नहीं तो छोड़ दे उसको यहीं पर! हमें उससे कोई लेना देना नहीं है। रिश्वत चाहिए थी इसलिए धमकी दे रहे थे चुलबुल सर।
हेमा उन्हें बोल रही थी साहेब मेरे पति की कोई भी गलती नहीं है फसाया गया है उन्हें! पर सर को कुछ फर्क नहीं पड़ा। उल्टा वो हेमा को खरी-खोटी सुना रहे थे। और ऊपर से धमका रहे थे!
साहब मेरे पास इस मंगलसूत्र के अलावा कुछ भी नहीं है, मैं क्या करूं अकेली औरत? ऐसा बोल कर हेमा रोती रही। चुलबुल सर हेमा की तरफ देखते हुए चिल्लाकर बोले, पति पास नहीं है तो इस मंगलसूत्र का क्या फायदा, इसका अचार डालने वाली हो क्या? नहीं हो सकता पैसों का बंदोबस्त तो ला वह मंगलसूत्र मेरे पास! उसको बेचकर चार पैसे तो आएंगे तेरे पति को छुड़ाने के लिए!
गुन्हेगार हें तेरा पति क्या करेगी इस मंगलसूत्र को गले में लटका कर? ऐसे बोल कर चुलबुल सर हेमा की तरफ बढ़ा। तभी हेमा ने गले में हाथ डालकर मंगलसूत्र निकाला और सर को देते हुए बोली, लो साहब यह मंगलसूत्र, आपकी बात भी सच है! पति ही पास नहीं है तो इस मंगलसूत्र को पास रखकर क्या करू? पर मेरे पति को कुछ भी करके छोड़ दो। आपके पैर पड़ती हूं मैं!
ऐसा बोलकर हेमा ने उसके मंगलसूत्र को सर के हाथों में दिया! भ्रस्ट हंसी लेकर सर उसकी तरफ देख रहा था। उतने में वह खाकी वर्दी वाला रक्षक गुस्से से सामने आया और उसने चुलबुल के हाथों से मंगलसूत्र लेकर हेमा को दे दिया!
वो गुस्से से सर की तरफ देख कर चिल्लाया। चुलबुल यह क्या हरकत है तुम्हारी। सुहागन औरत के मंगलसूत्र पर नजर जाए इतनी बुरी सोच हें आपकी ? भ्रस्ट काम और भ्रष्ट नजर! आपको नींद कैसे आती है ऐसे बर्ताव करके? उसकी मदत करने के बजाय आप उस गरीब औरत का मानसिक शोषण कर रहे हैं। इसके लिए ही खाकी वर्दी पहनी थी क्या आपने? कहां पर भरोगे यह सब पाप!
तभी वह रक्षक हेमा को बोलता है, यह लो आपका मंगलसूत्र और पहन लो। और एक अच्छा वकील ढूंढो और जमानत करवा लो अपने पति की। पैसे नहीं है तो मुझे बोलो, मेरे पहचान से तुम्हें अच्छा वकील बताता हूं, जमानत पर छूटने पर उसकी फीस मुझे वापस कर देना!
ऐसा बोलकर वो रक्षक पांडे की तरफ गुस्से से देखने लगा। वैसे ही पांडे नीचे नज़रे झुका कर वहां से चला गया। हेमा ने उस भले इंसान को धन्यवाद कहकर वकील का पता पुछकर वहां से चली गई। इस वारदात को बहुत दिन हो चुके थे।
और खाकी वर्दी का वह भला इंसान सेवानिवृत्त होकर 8 महीने हो चुके थे। आज पेंशन लेने के लिए बैंक में लाइन में रक्षक शांत मन से खड़ा था तभी उनको उतने मे जाना पहचाना चेहरा उस बैंक में एक टेबल पर बैठा दिखा।
लाइन छोड़ कर यह रक्षक वहां गया और देखता है तो क्या चुलबुल सर। चुलबुल का एक हाथ थरथर कांप रहा था, मुंह थोड़ा सा टेढ़ा हुआ था! और पैर बहुत थरथर करते हुए दिख रहे थे!
क्या हुआ सर! ऐसे कैसे हुआ यह सब? मुझे तो खबर भी नहीं यह सब की। बड़े अपनेपन से उस रक्षक ने पूछताछ की सर से। बाजू में खड़ी सर की पत्नी सामने आई और बोली नसीब के भोग दूसरा क्या होगा?
2 महीने हो गए अब पगार लेने के लिए लाना पड़ता है इनको … कुछ भी बचा नहीं हमारे पास। बहुत इलाज किया पैसे खर्च किए लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा इनको। ऐसा बोलकर उसने अपने आंसू पल्लू से पोछे।
वह रक्षक मन मे सर के लिए भगवान से प्रार्थना करके दुखी मन से वहां से चला गया। कर्म और कर्म का मिलने वाला फल ऊपरवाले का ये सिस्टम शायद ऐसे ही चलता है!
👇
Read More New Stories
