दहेज और दूरियां : एक दिल छूनेवाली कहानी

 कई बुरी परंपराओं में से एक दहेज की कुप्रथा पर आज एक दिल को छूनेवाली कहानी पढ़ेंगे....


Heart touching Hindi story




समाज में बहोतसी परम्पराओ मे से एक परम्परा प्रीति को हमेशा से ही नापसंद थी, वो थी दहेज़ परम्परा। प्रीति बहोत ही संस्कारी और छोटे -बड़े सबका आदर करने वाली लड़की थी। लेकिन दहेज़ परम्परा के कारण वो कितना भी प्रयास करले ससुराल वालों का आदर नहीं कर पाती थी। प्रीति एक सीधी साधी लड़की थी। थोडीसी डरपोक, खबरई स्वाभाव की थी। आजकल की लड़कीयौ से बिलकुल अलग थी। उसका मानना था की किसी पर भी अन्याय नहीं होना चाहिए और नही सेहना चाहिए। 



 ऐसे स्वभाव की प्रीति जब शादी करने का विचार करती है तब उसके डरपोक स्वभाव की वजह से उसका रिश्ता टूट जाता था। एक लड़का जो उसके घर के लोगो को पसंद आता है। लड़के की तरफ से भी प्रीति को पसंद कर लिया जाता है। लड़के को तनख्वाह बहोत कम होती हे लेकिन लड़के के घर के लोगो की अच्छी परिस्थिति होती है। पर वो लड़के के माता पिता प्रीति के पिता से कहते है की हमें घर लेने के लिए आधे पैसे आपको देने होंगे और आधे हम देते हें!


शादी के दोनों तरफ का खर्चा भी आपको करना होगा. ऐसी शर्त रखर शादी पक्की करते है। प्रीति के सुख के लिए उसके पिता कर्ज लेने के लिए बहोत प्रयास करते हें। लेकिन प्रीति की होनेवाली सास का प्रीति को बार बा फोन आते हें। सिर्फ शादी तय कर लि, बाकि की जो बाते पक्की की थी उसका क्या?


 उनको दहेज़ हाथ मे चाहिए था। प्रीति और उसके माँ पापा को आश्चर्य होता है की ये सब पैसों के लिए इतने पीछे क्यूँ लगे हें? तभी उसके पिताजी को शक हुआ और पूछताज करने पर उनको समज मे आता हें लड़के के माँ पिता की घर की हालत कुछ ठीक नहीं है। हम ने जैसे सोचा था वैसे तो कुछ भी नहीं है। लड़के वालों ने जो बायोडाटा बनवाया था वो झूठा था। लड़के को तो तनख्वा है ही नहीं! लड़के के पिता जैसे तैसे काम करके घरका खर्चा चलाते थे। ये सब मालूम होने पर क्या करू ये उनको समझ मे नहीं आ रहा था। क्यूँ की शादी तोड़ नहीं सकते, सगाई हो चुकी थी और अब शादी तोड़ी तो समाज मे बदनामी होगी और फिर से लड़की की शादी नहीं होंगी। इस डर से उन्होंने भी शादी तोड़ने का विचार मन से निकाल दिया और उस में सकारात्मक बाजू देखकर जैसे लड़का होशियार है तो वह जिंदगी में भागदौड़ करके जिंदगी में अच्छी नौकरी पा ही लेगा और लड़की को सुखी रखेगा! जो हमने आधे पैसे फ्लैट के लिए दिए हैं वह लड़की को ही मिलेगा यह सब बातों का विचार किया और जैसे तय किया था वैसे ही शादी हो गई!


 प्रीति के पिता ने दोनों तरफ शादी का खर्च भी उठाया और लड़के के पिता को दहेज की रकम भी दी। शादी होने के बाद लड़का होशियार होने के कारण उसे अच्छी नौकरी मिली जब फ्लैट लेने की बात आई तो प्रीति के ससुराल वालों ने उन्हें पूरी रकम देने के बजाय 20 लाख के बजाय पांच लाख ही दिए। खुद के पास से तो दूर उसके पिता ने दिए हुए पूरे पैसे भी उन्हें दिए नहीं और घर आने तक प्रीति के पिता जी ने दिए हुए पैसों का ब्याज भी खुद के पास रखा। यह सब बातें तो प्रीति को खटक रही थी। उसने यह सब बातों का प्रश्न पूछने का बहुत प्रयास किया। लेकिन उसे उत्तर नहीं मिला। प्रीति डरपोक जरूर थी लेकिन अन्याय सहने वाली नहीं थी। उसने हर समय सवाल और जवाब का हिसाब मिलने की अपेक्षा ना होने के कारण उसे ससुराल वालों के लिए जरा सा भी आदर उसके मन में नहीं था। जैसे जैसे समय बिता वैसे वैसे उसने अपने ससुराल वालों से संबंध तोड़ दिए।


 वह घर आते तब वो उनसे अच्छे से बर्ताव करती थी लेकिन कभी भी मन से उनका कुछ भी काम नहीं करती थी। और वह जब गांव में रहते थे तब कुछ भी होता था तो वह पूछना तक जरूरी नहीं समझती थी। पर उसके ससुराल वालों को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता था। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे उनमें बातचीत और अपनापन रहा ही नहीं। रिश्तो में दूरियां आने लगी।


 सच में दहेज के कारण रिश्ते टूटते हैं तो दहेज लेना कहां तक सही है। हालात तुम्हारे खराब है इसलिए लड़की वालों से पैसे लेना कहां तक अच्छी बात है? लड़की के मां-बाप भी उसे सिखाते हैं, बड़ा करते हैं और लड़की दूसरों के घर जाकर उनके घर के लिए जिंदगी भर मेहनत करती है। उसके मां-बाप की उससे कोई भी अपेक्षा नहीं होती। ऐसे सभी विचार प्रीति के मन में हमेशा घर कर जाते थे।


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