भाई बहन की अनोखी कहानी | Brother Sister Story

 भाई बहन की अनोखी कहानी | Brother Sister Story 


कमलेश और अंजलि दोनों भाई बहन थे।  एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे वो दोनों। उनके पास बहुत ज्यादा संपत्ति थी। किसी भी चीज की कमी नहीं थी।


भाई बहन की अनोखी कहानी | Brother Sister Story


 मां पापा कमलेश और अंजलि की सारी इच्छा पूरी करते थे। कमलेश घोड़े पर बैठना सीख रहा था। उसके पास एक शानदार घोड़ा था।


 थोड़े दिन बाद अंजली की शादी हो गई। जहांगीर दार के घर में उसकी शादी की। मायके वालों से भी ज्यादा अंजली के ससुरालवाले अमीर थे। कमलेश भी अब बड़ा हो गया था। उसकी शादी बाकी थी, परंतु अचानक उनके पिता की मौत हो गई और कुछ दिनों बाद मां की भी मृत्यु हो गयी!


 कमलेश अब अकेला रह गया था। अंजलि भी 4 दिनों के लिए मायके आई थी पर वापस भी चली गई अपने ससुराल।अब सारा कारोबार कमलेश के कंधों पर आया था। पर उसे अनेक लोगों ने फसाया।


 एक बार बड़ी डील कि पर उसमें उसे घाटा हुआ और कमलेश बर्बाद हो गया। उसकी खेती जप्त हो गई, घर की नीलामी हो गई, ऐशो आराम में रहने वाला कमलेश अब उसके बुरे दिन आ गए।


 जिसके पास सैकड़ों लोग खाना खाते थे आज वो  एक निवाले के लिए तरस रहा था! जो मुलायम गद्दे पर सोता था आज उसे सड़क पर सोना पड़ रहा था। जिस कमलेश को हजारों लोग पहले हाथ जोड़ते थे वही आज सबके सामने हाथ फैला रहा था!


 कमलेश ने सोचा अपनी बहन के पास जाए, लेकिन अमीर बहन के पास भिखारी जैसे कैसे जाऊ? जिसके पास पहले हाथी घोड़े पर बैठकर जाता था, आज उसके पास पैदल कैसे जाऊं? जरी के पोशाक में पहले जाता था वहां अब फटे हुए कपड़े में कैसे जाऊं?


 परंतु कमलेश मन में बोला प्यार अमीरी और गरीबी नहीं देखता। मेरी बहन मुझे अपने पास क्यों नहीं आने देगी भला? छे! मुमकिन नहीं है ये की वो मेरी हालत की वजह से मुझे धिक्कारे।


वह बहन के पास गया दरवाजे में खड़ा हुआ, ऊपर छत से बहन देख रही थी। कमलेश ने ऊपर देखा पर बहन अंदर चली गई। कमलेश को लगा बहन नीचे मिलने के लिए आ रही होगी पर कोई आया नहीं! दरवाजे पर खड़े नौकर ने पूछा कौन हो तुम? यहां क्यों खड़े हो चोरों के जैसे? निकलो यहां से!


 कमलेश बोला, मेरे बहन का घर है ये। उसे अंदर जाकर बताओ जाओ।  नौकर हंस कर घर में जाकर वापस आया। वह कमलेश को बोला चलो वहां तबेले में! आपको खाना ला कर देता हूं! वह खा लो और जाओ यहां से। 


कमलेश ने पूछा बहन ने क्या कहा? नौकर बोला मेम साहब बोली... होगा कोई भीकारी। बैठा दो तबेले में दे दो उसे बासी खाना। कमलेश तबेले में गया और उसकी आंखों से आंसू आने लगे। उसे नौकर ने सूखी रोटी दे दी।


 कमलेश ने वहां पर एक खड्डा खोदा और वहां पर वह रोटी दबा दी। पानी पिए बिना वो वहां से चला जाता है।उस दिन के बाद कुछ सोच कर कमलेश दूर देश  चला जाता है वहां के राजा का वह नौकर बना।


 एक बार उस राजा को बहुत कठिन समस्या आई , कमलेश की सलाह से राजा उस समस्या से बाहर निकाला।कमलेश से खुश होकर राजा ने उसे मुख्य प्रधान बना दिया।


 कमलेश के कहने मुताबिक राजा सब काम करने लगा था। नए प्रधान के रूप में कमलेश की वाह-वाह होने लगी। कमलेश ने अब शादी भी कर ली वह बड़े बंगले में रहने लगा। 


अब अपनी बहन को जा कर मिले ऐसा उसे लगा। तभी वह अपनी पत्नी के साथ बहन के घर निकाला, साथ में हाथी भी थे घोड़े थे। जोरों शोरों से वह वहां गया। 


अपने से आगे अपने जासूस बहन को इसके आने का संदेश बताने के लिए भेजे। जासूस ने जब बहन को यह सूचना दी तो बहन एकदम से उठी।वह अपने पति के साथ दरवाजे मे खड़ी रही अपने भाई के स्वागत के लिए! 


ढोल नगाड़े बज रहे थे, बड़े ठाठ से भाई बहन के घर आया। दूसरे दिन बड़ी मेजबानी थी गांव के बड़े-बड़े लोगों को न्योता दिया गया। चंदन के टेबल थे, चांदी की थाली थी, पंच पकवान थे!


 सारे लोग टेबल पर बैठने वाले ही थे उतने में भाई एकदम से उठा। सारे चकित हो गए क्या हुआ? सब पूछने लगे और कमलेश एकदम से तबेले में गया,वहां पर उसने खड्डा खोद कर जो रोटी उस में डाली थी उसने वो रोटी निकाली।


 अंजलि कमलेश को बोली भैया यह क्या पागल जैसी हरकतें कर रहे हो? वह बोला दीदी तुम्हारे भाई को बैठने के लिए तबेला और खाने के लिए बासी रोटी ही  योग्य है। यह सब  भाई के लिए नहीं है, यह मेजवानी भाई के लिए नहीं है, यह सारा मान सम्मान भाई के लिए नहीं। यह सब तुम मेरे पैसों की वजह से कर रही हो।


 यह सब सुनकर अंजलि को अपने उस बुरे बर्ताव की याद आई जो कभी उसने अपने गरीब भाई के साथ किया था। उसे अपने किए का पछतावा होने लगा ऊसने कमलेश के पैर पकड़े और बोली भैया भूल हो गई मुझ से आप अपनी इस नादान बहन को माफ नहीं करेंगे क्या? वापस नहीं करूंगी आपके प्यार को नहीं भूलूंगी भैया। क्षमा करो मुझे और घर में चलो   भाई। कमलेश ने अंजलि के आंसू पोछे।


 वापस कभी भी अंजलि ने किसी को भी तुच्छ नहीं समजा।बाहर की संपत्ति जो आज है कल नहीं,सच्ची संपत्ति प्यार है वह कभी भूलना  नहीं चाहिए। ऐसे वह सभी को बोलती रही।


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