बांझ औरत की कहानी | inspirational story
आज रानी जल्दी उठ गई क्योंकि आज का दिन उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था। अकेलापन दूर करने के लिए अपने लिए जिनेका एक कारण घर लेकर आ रही थी!
देखा जाय तो बहुत खुश भी थी और थोड़ी सी नाराज भी थी। क्योंकि पीछले 7 साल की यादें उसे रातभर सोने नहीं देती थी और अब स्वस्थ बैठने भी नहीं देती थी!
चाय का कप लेकर वह गैलरी में आकर बैठी और गुजरा हुआ कल उसके आंखों के सामने आने लगा। बेटा तुम्हे ऐसे नहीं जाना चाहिए था। शादी होने के बाद उसे अंततक निभाना आना चाहिए। ऐसा ही समझो कि तुम्हारा नसीब ही खराब है। कोई क्या करेगा?
अगर मां बन सकती तो बात ही अलग होती। मैं मां नहीं बन सकती इसमें मेरी क्या गलती है? यह सब मेरे हाथों में है?क्या मां नहीं बन सकती मतलब मैं इंसान नहीं हूं क्या? मेरी कोई फीलिंगग्स नहीं है क्या? मिनट मिनट में मेरा अपमान करने वाले मेरा जीना मुश्किल करने वाले लोगों के साथ में जिंदगी कैसे बताऊं?
वह जो कहेंगे वह सुनना, रानी और मां की यह सब बातें चालू थी तब पापा आए। ये देखो बेटा मैं तो एक कपड़े की दुकान पर काम करता था। अभी उम्र हो गई है तो कोई काम भी नहीं देता है। और तुम्हारा भाई हर्षल तो परदेस में अपने गृहस्ती में मगन हो गया है। तुम कहती हो तो मैं तुम्हारे ससुराल वालों से बोलता हूं पर तुम अपने ससुराल वापस चली जाओ, ऐसा मुझे लगता है।
नहीं पापा कुछ भी हो जाए मैं उस घर में वापस नहीं जाऊंगी। वहां पर मुझे घुटन सी होती है। वहां मिलने वाला अपमान बेज्जती से मैं थक चुकी हूं। शादी के पहले मे मेरे पैरों पर खड़ा रहना चाहती थी पर मेरा ग्रेजुएशन होते ही आप ने मेरी शादी करवा दी।
तभी मैंने आप के दबाव में आकर शादी की। पर अभी जब मुझे आप के सहारे की जरूरत है तो आप पीछे हट रहे हो ?
शादी के बाद लड़की ससुराल में ही शोभा बढ़ाती है। मायके में 4 दिन ही रहना अच्छा लगता है रानी। लोग क्या बोलेंगे? शादी मतलब कोई खेल नहीं है बेटा। पापा गुस्से में ही बोल रहे थे।
उस घर वापस जाना अब मुमकिन नहीं है पापा। मैं आने के पहले से ही डिवोर्स पेपर पर सिग्नेचर करके आई थी! क्योंकि उन लोगों को सिर्फ मुझसे बच्चा चाहिए था जो मैं उन्हें नहीं दे सकती। अरे इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले हमें एक बार पूछना तो चाहिए था ना? जन्मदाता है हम तुम्हारे।
पापा शादी होने के बाद में आपको बताती थी और माँ को भी कि कैसे छल होता है मेरे साथ वहां पर। 2 साल में कभी मुझे मेरे मन मुताबिक रहने नहीं दिया। जब मेरी रिपोर्ट आई और समझा कि मैं कभी मां नहीं बन सकती तो वैसे ही इन लोगों ने मुझे अपने असली रंग चालू कर दिया। कैसे रहूंगी मैं ऐसे वातावरण में और इस सबसे भागकर अपनी जिंदगी खत्म करने वालों में से मे नहीं थी?
यह देखो बेटा हर्षल ने दिए हुए पैसे से ही मेरा और तुम्हारे मां का जैसे तैसे खर्चा चलता है। उसमें तुम्हारा खर्चा उठाना थोड़ा सा कठिन होगा। डिवोर्स पेपर पर सही करने से पहले इन सब का विचार मैंने किया था। मेरे पास के सोने के गहने लेकर मे आई हूं और एजुकेशन लोन निकालकर में 6 महीनों का एक कोर्स करने वाली हूं। जिसकी आज मार्केट में बहुत जरूरत है उसके बाद मुझे अच्छी कंपनी में नौकरी मिल सकति है। मैं आपके ऊपर आर्थिक बोझ नहीं डालूँगी पापा। मुझे जीवन जीना हे, संघर्ष करुँगी, और कामाउंगी विश्वास कीजिए मेरा।
सब लोग क्या बोलेंगे बेटा क्या जवाब दोगी उन्हें? मां आँखों का पानी छुपाते हुए बोली।
मां बोलती थी कि वक्त आया तो सच क्या है बोल देना चाहिए। जब मुझे ससुराल में जानवरों के जैसा बर्ताव हो रहा था तब कहां गए थे यह लोग? समाज मे बड़ा करो शादी कर दो बस इतनी ही जिम्मेदारी समझते हैं! बेटियों को बड़ा करके योग्य पढ़ाई देकर खुद के पेरो पर खड़ा करना यह माता-पिता की ही जिम्मेदारी होती है। ताकि आगे जाकर कभी ख़राब हालत हो तो उसे इस्तेमाल कर सके।
तय किये मुताबिक रानी ने 6 महीने का कोर्स किया और तुरंत उसे एक अच्छी कंपनी में काम भी मिल गया। वो बहोत खुश हो गई थी। सब अच्छा चल रहा था। बीच में छुट्टी लेकर माता-पिता को नजदीक रहने वाले पर्यटन जगह पर घुमाने लेकर जाती थी। माता पिता बीचमे हीं दूसरी शादी की बात छेड देते थे। कई बार तो लड़कों को देखने के लिए भी बुलाया करते थे। एक लड़का तो डिवोर्स हुआ था तभी उसे स्वीकारने के लिए तैयार था। पर पहली शादी ने ही इतने दुख दिए थे कि दूसरी शादी के लिए उसका मन तैयार नहीं था।
ऐसा कितने दिनों तक अकेली रहोगी। जब तक हम दोनों है तब तक ठीक है पर हमारे जाने के बाद तुम्हारा क्या होगा सो चा क्या कभी? उम्र भी कितनी छोटी है तुम्हारी अभी। ऐसा उसके पापा उसे समजा रहे थे।
माँ पापा आप दोनों मेरी शादी का विचार करना बंद कर दीजिये। आप दोनों को खुश देखकर मैं खुश होती हूं। मेरे दोस्त , सहेलियां हे ना मेरे साथ। क्यों करनी है दूसरी शादी भला। इतना आसान नहीं है बेटा, एक उम्र के बाद अकेलापन खाने के लिए दौड़ता हे। माँ बोली।
सच हुआ उनका ऐसा बोल ना.। आगे 2 साल में पहले माँ और 6 महीने में ही पापा का निधन हो गया। रानी अब अकेली हो गई । हर्षल भाई और उसकी पत्नी आए और साथ में चलो बोल कर औपचारिकता की। पर मुझे उनके साथ जाकर वापस बोझ नहीं बनना था। मदद के वक्त मेरे साथ खड़े रहो इतना बोल कर मैंने उनको जवाब दिया ऑफिस का काम और बहुत सारे दोस्त सभी लोग की शादी हो गई थी और वह अपने-अपने गृहस्ती में मगन हो गए थे जिने के लिए कोई लक्ष्य मिल ही नहीं रहा था उसे।
छुट्टी के दिन ऐसे ही एक मैगजीन पढ़ते समय उसे सिंगल मॉम पर एक बात पढ़ने के लिए मिली और उसे जीने का उद्देश्य मिला। उसने उस ही दिन तय किया और एक 10 साल की लड़की को गोद लेने का प्रयास चालू किया। प्रक्रिया बहुत बड़ी थी पर बोलते हैं ना मन में इच्छा हो तो रास्ता मिल जाता है। वैसे वह प्रक्रिया पूरी हो गई। और आज वही दिन था। कि वह उस लड़की को लेने के लिए अनाथ आश्रम जाने वाले थी।
उस लड़की को घर लाकर वह मां नहीं बन सकती इस सोच पर और उस पर होने वाले सभी आरोपो को मिटा देना चाहती थी। तभी उसने निश्चय किया कि लड़की को बहुत पढ़ाऊंगी, खुद के पेरो पर खड़ा करुँगी और फिर शादी करवाऊंगी!
