कमानेवाली बहू की कहानी | Hindi Kahani bahu ki
"मां तू हमारे साथ मुंबई चल, बाबा थे तब बात अलग थी। अब तू इधर गांव में अकेली कैसे रहेगी?"बेटा पवन बोला।
में सोच में पड़ गई। दिल का दौरा आने से पति अचानक मृत्यु हो गई थी। मैंने बहुत कोशिश कि खुद को समझाने की। तेरवि के बाद सब मेहमान चले गए। बेटा पवन और बहू मिताली दोनों इंजीनियर थे। बेटा और बहू के साथ रहने जाना मत ऐसी मेरी एक सहेली ने कहा था क्योंकि कमाने वाली बहू को बूढ़ी सास जरा सी भी पसंद नहीं होती! तेरे वहां जाने से उनकी स्वतंत्रता में बाधा आएगी और वह तुझे ताना मार मार के तेरा जीना हराम कर देंगे।
जाने दो, भाई जब जिंदा थे तब उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी अपने बेटे के नाम पर कर दी थी। ऐसी परिस्थिति में बेटा और बहू यह मकान बेच सकते हैं। और घर के सब पैसे लेकर तुझे एक एक पेसो के लिए तरसायेंगे। बेटे और बहू के साथ जाने के अलावा मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था।
६५ साल की उम्र में मेरे घुटनों के दर्द की वजह से मुझे हमारा राशन दुकान चलाना भी आसान नहीं लग रहा था। तेरवी का पूरा खर्च बेटे ने उठाया पर, छोटे-मोटे खर्च के लिए बेटे के सामने हाथ फैलाना मुझे पसंद नहीं था और हमने बचाए हुए थोड़े पैसे मुझसे खर्च हो गए थे।
अब परिस्थिति ऐसी थी कि मेरे पास ₹50 भी नहीं थे। और यह बातें सोचने में मैं पवन को कोई उत्तर नहीं दे सकि। इतने में मिताली बोली मां मुझे बताओ कि कौन सी साड़ी रखनी है? मैं आपकी बैग पैक कर रही हूं।
जब मिताली ने ऐसा कहा तब मैं उसे कुछ कह नहीं पाई, चुप रहकर उनके साथ मुंबई आई। पवन और मिताली यह दोनों मेरा बहुत ख्याल रखते थे। हम सब साथ बैठकर खाना खाते थे। उनकी याद नहीं आनी चाहिए इसलिए दोनों मुझे बहुत खुश रखने का प्रयत्न करते थे।
मेरा 7 साल का पोता रेहान, तो दादी दादी कहते हुए मेरे पीछे पीछे भागता था। मैने, कौन सी भी चीज मंगाई की वह मुझे तुरंत लाकर देता था। ये सब देखकर मेरे मन को बहुत शांति मिलती थी।
मैं सोचने लगी कि लोग बेवजह ही आजकल के लड़के और लड़कियों को बदनाम करते हैं और कहते हैं कि बूढ़े मां-बाप का सम्मान नहीं करते, उनकी देखभाल नहीं करते। खासकर बहू कमाने वाली होगी तो, सास को ठोकरों पर रखेगी। लेकिन मैंने देखा की ये सारी सिर्फ बाते थी हर उंगली की तरह हर बहु सेम नही होती।
आज सब ने बाहर घूमने का प्लान बनाया था। हम सब मॉल में गए उधर घूमते घूमते पवन और मिताली एक दुकान में कुछ खरीदने के लिए रुके। मैं और रेहान थोड़ा आगे गए आइसक्रीम की दुकान देखते ही रेहान बोला,"दादी मुझे आइसक्रीम खानी है।"
मेरे ऊपर जैसे बिजली ही गिरी! क्योंकि मेरे पास तो पैसे ही नहीं थे। दिन में कभी मुझे पैसे की जरूरत नहीं पड़ी। अभी क्या करे?मेरा उदास चेहरा देखकर रेहान वापस बोला।,"ले दो ना..... प्लीज....
माफ कर बेटा .... मेरी पर्स में घर भूल गई। मेरे ऐसे बोलते ही रेहान मेरी तरफ एक अलग नजरों से देखने लगा! उसको लगा कि आइसक्रीम लेनी नहीं है इसलिए दादी बहाने बना रही है।
पर में क्या कर सकती थी? मुझे खुद ही शर्म आ रही थी। में कैसी दादी हूं जो अपने पोते को आइसक्रीम भी नहीं लेके दे सकती? हमने बाहर ही खाना खाया । मिताली ने मेरे पसंद की काजू मसाले की सब्जी ऑडर की थी।पर मुझे वह पसंद नहीं आ रही थी। घर आने के बाद सब ने थोड़ी देर टीवी देखी। पवन सोने गया। रेहान को क्या चाहिए और क्या नहीं वह देखने के लिए मिताली उसके रूम में गई। मैं भी मेरे रूम में सोने जा रही थी।
तभी मुझे रेहान की आवाज सुनाई दी।"मम्मी दादी बहुत कंजूस है"तू ऐसा क्यों बोल रहा है?""हां मम्मी! हम जब मॉल में घूम रहे थे तब मैंने दादी से आइसक्रीम मांगी तो वह कहने लगी कि मेरी पर्स घर पर भूल गई हूं! यह अच्छा है क्या मम्मी? कंजूस दादी!"
"रेहान क्या है! दादी के बारे में ऐसे बोलने से पहले तुमने सोचा नहीं क्या? तेरी दादी इस वक्त कितनी दुखी है तू समझ नही सकता"दादी को कितना दुख है? बेटा .... दादी और दादा जी गांव साथ रहते थे तभी अचानक दादा जी हम सबको हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। जिस व्यक्ति के साथ हम 24 घंटे साथ रहते हैं.... साथ उठना बैठना, खाना-पीना हम साथ करते हैं। हम सब अपना सुख दुख बांट लेते हैं।वही वक्ति जब अचानक हमको छोड़कर चला जाता है तो कितना दुख होता है तू अभी नहीं समझ सकता। सोच, अचानक तेरे मम्मी पापा तेरे से बहुत दूर गए, इतने दूर गए कि वह कभी वापस नहीं आए तब तुझे बुरा नहीं लगेगा क्या?"
"नहीं मम्मी, मैं तुम दोनों के बिना नहीं रह सकता।" रेहान बोला।
बेटा फिर सोच की दादाजी बिना तेरी दादी कैसे रहती होगी?; ऐसी परिस्थिति में वह अपना पर्स घर भूल गई होगी। तूने उनको कंजूस कहा?उनका प्यार तुझे नहीं दिखा क्या? जब भी तुझे स्कूल से आने में 5 या 10 मिनट भी लेट हो जाता है तब वह बालकनी में खड़ी रह कर तेरी राह देखती है! उनके घुटने दर्द करते हैं तभी भी।
बेटा किसी के बारे में अपनी राय बनाने से पहले उस व्यक्ति के दृष्टिकोण से सोचना चाहिए।"
यह बातें सुनकर मुझे मेरी बहु पर बहुत अभिमान हुआ। उसकी जगह में रहती तो कदापी में मेरे लड़के को इतने अच्छे से समझा नहीं पाती। दूसरे दिन सुबह पवन ऑफिस गया और रेहान स्कूल मिताली ऑफिस में जाते_ जाते मेरे हाथ में कुछ पैसे देने लगी। "ये क्या है बेटा? मुझे पैसों की क्या जरूरत है?" में बोली।
"मां किसको कब पेसो की जरूरत पड़ जाए कह नहीं सकते। आप मंदिर जाते हो कभी दान पेटी में डालो, कभी रेहान कोई चीज के लिए जिद की तो आप उसे वह चीज ले देना।"पर बेटा...
"मां जब यही पैसे पवन ने आपको दिए होते तो आप ने मना किया होता क्या? नहीं ना! आपकी बहू भी कमाती है तो आप अपनी बहु से पैसे क्यों नहीं ले सकती?"
मिताली का कहना सुनके मेरी आंखों से आंसू आने लगे। जो मेरे बेटा नहीं समझ सका वह मेरी बहु ने समझा। मेरी बहू जैसी बहू सबको मिले। मैंने भगवान से प्रार्थना की ऐसी बहु मुझे हर जन्म मिले।
लोग बिना कारण कुछ कमाती बहुओं का दूर व्यवहार देखकर सब कमाती हुए बहुओं को दोष देते हैं। कुछ बहुएं मिताली जैसी समझदार, सुलझी और बड़ों का आदर करने वाली होती है।
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very nice story, in stories ko main youtube per use kar sakta hun ?
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