स्वामीजी का कुत्ता : रोचक कहानी | Rochak Kahani
आज की इस रोचक कहानी में हम बात करने वाले हैं स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की एक घटना के बारे में। हम सभी जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद जी कितने बुद्धिमान थे।
अपनी बुद्धिमानी से हर समस्या का समाधान बड़ी आसानी से पा लेते थे और उतनी ही आसानी से दूसरों की समस्या का हल भी उन्हें समझाने में कामयाब होते थे।
1 दिन स्वामी विवेकानंद जी आराम कर रहे थे। एक परेशान सा दुखी सा दिखने वाला आदमी उनके पास आ पहुंचा। वार्ड में जैसे ही स्वामी जी के पास पहुंचा उनके पैरों में गिर पड़ा और रोने लगा।
स्वामी जी ने उसे उठाया, उसे चुप कराया और फिर उसे उसकी परेशानी के बारे में पूछा।
आदमी बोला स्वामी जी मैंने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत की है। मैं हर काम बड़ी ईमानदारी से करता हूं लेकिन पता नहीं क्यों आज तक मैं अपने जीवन में कभी उस उच्चतम सफलता तक नहीं पहुंच पाया हूं जिसका मैं हकदार हूं।
स्वामीजी ने उस आदमी की परेशानी तो सुन ली लेकिन उसको उसका समाधान बताने के बजाय वो उस आदमी से बोले : वह सब ठीक है लेकिन पहले तुम मेरा एक काम करो। मेरा यह जो पालतू कुत्ता है वह कब से बाहर घूमने के लिए जाना चाहता है लेकिन मैं उसे आज बाहर घुमाने ले नहीं जा पाया। जाओ तुम पहले इसे घुमाकर लेकर आओ फिर बाद में तुम्हारी समस्या के ऊपर बात करेंगे!
आदमी सोचने लगा स्वामी जी ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या उन्हें मेरी समस्या कोई समस्या नहीं लगती! जो मुझे यह तुच्छ सा काम देकर यहां से जाने के लिए कह रहे हैं? यही सोचते सोचते वाल्मीकि स्वामी जी के कुत्ते को बाहर टहलाने ले गया।
तकरीबन आधा घंटा बाद वह आदमी स्वामी जी के कुत्ते को वापस ले आया। स्वामी जी ने आदमी से पूछा : मुझे एक प्रश्न का उत्तर दो। तुम और यह कुत्ता जब साथ में ही घूमने गए थे तो तुम तो शांत दिख रहे हो लेकिन यह कुत्ता इतना हाफ हो रहा है?
आदमी ने कहा स्वामी जी भले ही हम दोनों साथ में गए थे लेकिन मैं बिल्कुल सीधा सीधा चल रहा था इधर उधर भाग रहा था। जिस भी वस्तु या व्यक्ति को देखता उसकी तरफ आकर्षित हो जाता और अपना रास्ता छोड़कर उसकी तरफ भागने लगता। बस यही कारण है कि मैं नहीं थका और यह इतनी बुरी तरह थक गया और हाफने लगा।
आदमी का जवाब सुनकर स्वामी जी उसकी तरफ देख कर मुस्कुराए और बोले तुम्हारी समस्या यही है। तुम अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते तो लेकिन बीच-बीच में तुम्हारा ध्यान भटक जाता है। कुछ समय के लिए तुम अपने लक्ष्य को भूलकर कुछ और करने लगते हो या फिर अपना लक्ष्य ही बदल देते हो। इस तरह से तुम थक तो जरूर जाओगे लेकिन लक्ष्य तक कभी नहीं पहुंच पाओगे।
स्वामी जी की अद्भुत ढंग से समझाई हुई यह बात उस आदमी के दिमाग में पूरी तरह उतर गई। उसने स्वामी जी को धन्यवाद दिया और बोला कि स्वामी जी अब मैं समझ चुका हूं के मुझे अपने लक्ष्य पर किसी भी हालत में ध्यान केंद्रित करके रखना है और तब तक नहीं रुकना जब तक मैं उसे हासिल ना कर लू।
आपने भी महसूस किया होगा कि आप भी अपने लक्ष्य से कितनी बार डगमगा जाते हैं। आप कुछ पढ़ने की शुरुआत करते हैं यह सोच कर कि आज मैं 5 चैप्टर पढ़ लूंगा लेकिन एक या दो चैप्टर पढ़ते-पढ़ते ही आप अपना रास्ता भटक जाते हैं, आपको नींद आने लगती है या आपको बोरियत होने लगती है। आप सोचते हैं मैं किसी स्किल को सीखने के लिए हर दिन कुछ घंटे मेहनत करूंगा लेकिन कुछ दिनों में ही आप उस स्किल को सीखना ही बंद कर देते हैं! अब आप ही बताइए जब आप आखरी दम तक पूरी जान लगा कर किसी वस्तु को सीखने की या पाने की कोशिश नहीं करेंगे तो क्या आपको मनचाही सफलता मिलेगी? क्या आप अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे?

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