काली पत्नी की ये कहानी दिल छूलेगी | Hindi Kahaniya

काली पत्नी की ये कहानी दिल छूलेगी | Hindi Kahaniya 


 अरे....... रानी तुम सांवली ऊपर से यह काली साड़ी! वो अच्छी दिखेगी क्या तुम्हारे ऊपर? पहले ही  तुम्हारे रंग को देखकर लोग ताना मारते हैं। पूरब रानी को बोला....


काली पत्नी की ये कहानी दिल छूलेगी | Hindi Kahaniya



 देखो ना पूरब मैं बोलती तो कहती सास बोलती रहती है हमेशा .. ऐसा लगता है जैसे कौवे को काला टीका लगाया हो। पति और सास का बोलना सुनकर जरा उदास हो गई। वो काली नहीं थी कृष्ण- वर्निय  और  रानी नाक नक्शे में  अच्छी थी। पर पति और सास  कलर को लेकर रानी को हमेशा ताना मारते  थे। 


क्या करेगा वो भी? वह गोरा और रानी कृष्ण वर्निय...... लोगों का क्या? वो तो नाम रखने में पीएचडी होते हैं। ब्लैक और व्हाइट जोड़ी बोलते थे दोनों को.......


    पूरब का मन वैसे साफ था। रानी को अगर कोई कलर को लेकर बोलता तो उसे जरा भी अच्छा नहीं लगता था इसीलिए वह भी थोड़ा बहुत बोल देता था ताकि वह जिद ना करें। लेकिन जब वह बोलता था तो उसे इस बात का पछतावा होता था।


 उसकी मां घर में हमेशा कड़वाहट रखती थी। आज भी वैसे ही हुआ...... घर में उत्सव के माहौल में सुबह जब सास ने रानी से बात की तो वह थोड़ी घबराई हुई थी। उसका चेहरा भी शांत था। पूरब वास्तव में खुद पर शर्मिंदा था। अपराधी की तरह बैठने के बजाय वह काम के लिए बाहर गया। कई सारी महिलाएं काली साड़ी पहनकर सड़कों पर चल रही थी, सभी ही गोरी थी ऐसा नहीं था, लेकिन उन पर वह काली साड़ी अच्छी लग रही थी।


 पूरब काम की जगह पर गया। उसका बचपन का दोस्त विकी और उसका पूरा परिवार साथ में था। जान पहचान हुई तभी पीठ के पीछे से विक्की की पत्नी आई, वह भी काली सांवली ही थी। काली साड़ी पहनी थी उसने। पीछे से एक आवाज आई प्रतीक्षा दीदी...... अच्छी दिख रही हो आप!       

 आपकी साड़ी भी अच्छी है..... और आप भी..…


   प्रतीक्षा के चेहरे पर खुशी आई। ,उससे ज्यादा विक्की ख़ुश हो गया था। पूरब विकी को  कुतूहल से  देख रहा था। विकी ने वह देखा और जाना। वो पूरब के सवालों को हल करना चाहता था।


विकी ने पूरब से सीधे ही पूछ लिया पूछो तुम्हारे मन में जो भी है मैं तुम्हें उसका उत्तर देने के लिए तैयार हूं! पूरब पहले हड़बडाया फिर वह बोलने लगा कि नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। विकी ने पूरब से कहा तुम मुझे नहीं जानते कि मैं लोगों का मन कितने अच्छे से पढ़ सकता हूं तुम तो मेरे बचपन के मित्र हो तुम्हारे मन की बात भला मुझसे कैसे छुपी रह सकती है?


विकी आगे बोला चलो ठीक है तुम्हारा सवाल भी मैं ही बता देता हूं तुम यही सोच रहे हो ना की मेरी पत्नी जो रंग से काली है और आज उसने काली साड़ी पहन रखी है फिर भी वह और मैं इतना खुश कैसे? पूरब सब कुछ शांति से सुन रहा था और कुछ भी बोल नहीं पा रहा था...


विकी बोला काला रंग ऐसा रंग है जिसमें दुनिया का कोई भी रंग मिला दे वह कभी नहीं बदलता यानी कि किसी और रंग की संगत में वह अपना अस्तित्व कभी नहीं छोड़ता! इसी प्रकार प्रतिक्षा भी दिल से एकदम उस कलर के जैसी है! कभी भी रंगीन ना होने वाली लड़की है। वह अपने मर्जी से जिए यही मुझे लगता है। मैं उसे खुश देखना चाहता हूं। लोगों का क्या वह तो बैठे ही है बुरा भला बोलने के लिए। गोरी औरत रही तो छिपकली बोलते हैं। काली होती है तो चूहा या कौवा बोलते हैं। क्या क्या नहीं बोलते लोग? ताना मारने वाले मारते रहे, हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। वही मैं अब कर रहा हूं।


वो सुबह मुझे बोली मैं कैसी दिख रही हूं..? अच्छी लग रही हो तुम ऐसा बोलने पर उसके चेहरे पर वह कोलगेट स्माइल देख कर मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिली। घर से बाहर निकले तो सभी बोलने लगे कि अच्छी लग रही हो भाभी.... हम दोनों ने अच्छे मन से यह बात सोची। कोई ना कोई ताना मारने के लिए बोला ही होगा ना? उस वजह से जीने की दिशा क्यों बदले? 


पूरब को उसके घर का सुबह का माहौल याद आया। वह खुद पर ही चीड़ गया। उसे लगा वो सचमुच में गलत था। मैं ही रानी को दुख देता हूं उस वजह से सब उसे बोलते हैं अब मुझे ही अपनी भूल सुधार कर उससे माफी मांगने होगी। उसने हंसते हुए विक्की को अलविदा कहा.....


 अपना काम निपटा कर वह एक साड़ी की दुकान पर गया। रानी के लिए उसने काले रंग की साड़ी ली और घर गया,घर जाने के बाद रानी शांत बैठी थी। उसने रानी को आवाज दी और साड़ी उसके हाथों में दे दी। रानी को जरा अलग ही लगा! उसने प्रश्नार्थक नजरों से पूरब की ओर देखा, उसने बॉक्स खोल कर देखा तो  काले रंग की साड़ी थी! 


 रानी..... मैं लाया हूं तुम्हारे लिए यह साड़ी। आज पहन के दिखाओ कैसी दिखती हो तुम? अच्छी नहीं लगी तो बदल देंगे साड़ी को। देखने तो दो कैसी दिखती हो तुम इस रंग में? रानी को जरा अच्छा लगा,चलो तैयार हो जाओ जल्दी हम जरा बाहर जाकर आते हैं। एक क्लाइंट के पास जाना है उन्होंने बुलाया है जोड़ी में! पूरब का बोलना सुनकर रानी तैयार होने  गई।


 काली साड़ी उस पर हल्का सा मेकअप और लंबे बालों की चोटी..... पूरब भी क्या? पूरब की मां भी रानी को देखते ही रह गई! पूरब बोला रानी सॉरी..... हां! 


अरे लोगों की बातों में आकर मैं तुम्हें हमेशा बोलता रहा और खरा सौंदर्य किसमें है यह मैं भूल गया था। रंग दो ही है... यह जान कर फिर जीना छोड़ दे क्या? अपनी खुद की पसंद छोड़ दे क्या? तुम्हें काली रंग की साड़ी पहनना बहुत अच्छा लगता था ना? पर में हमेशा तुम्हें टोकता रहा। अब मुझे समझ में आया किसी भी रंग में रंगते वक्त मन साफ हो तो खूबसूरती निखरती है। तुम चाहती हो वैसे ही जियो। मैं कभी भी तुम्हें  नहीं बोलूंगा और हां सचमुच सुंदर दिखती हो तुम। तुम्हारे रंग पर अच्छा खिलता है यह काला रंग। रानी के चेहरे की लाली और भी ज्यादा बढ़ गई थी यह बात सुनकर। 


शर्मा कर वह पुरब को बोली, क्या आप भी? पूरब ने रानी का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखा और उसके बदले हुए विचारों से पूरब खुश हुआ। मन ही मन में पूरब ने विक्की को धन्यवाद किया क्योंकि यह परिवर्तन विकी के शब्दों द्वारा हुआ था।

  

  खूबसूरत दिखने के लिए खूबसूरत दिखना जरूरी नहीं है बल्कि खूबसूरत सोच होना जरूरी है। इंसान का अगर मन सुंदर है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस रंग का हो ।


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