कन्यादान : एक आंसुभरी कहानी | emotional kahaniyan
रामराव जी के दो बच्चे थे रूही और पवन। पवन बड़ा था और रूही छोटी थी। दोनो ही पढ़ाई में बहुत होशियार थे। रामराव और रूही की मां लता रूही को लेकर बहुत चिंतित थे क्योंकि रूही ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी अब उसके लिए एक बेहतर रिश्ता खोजना था।
एक दिन उनके करीबी रिश्तेदार का बेटा दीपक शादी में रूही का हाथ मांगने के लिए उनके घर आया। दीपक को सभी पसंद करते थे। वह दिखने में अच्छा था और एक अच्छी कंपनी में कार्यरत था। दीपक के परिवार को भी रूही पसंद थी।
फिर इन सब के बाद शादी की तारीख तय हो गई और पवन के भैया और रामराव शादी की सारी तैयारियां कर रहे थे। क्योंकि शादी नजदीक थी। सारी तैयारियां हो गई शादी का दिन भी आ गया। पवन रूही का हाथ पकड़कर मंडप में ले आया।
रूही सुंदर गुड़िया सी दिख रही थी। सुंदर नाक, आंखे, रंग गोरा,लंबी लंबी चोटी, रूही देखने में बेहद खूबसूरत थी। पवन रूही को मंडप में ले आया और पंडित ने रूही को कन्यादान के लिए हाथ आगे करने को कहा और उसका हाथ कांपने लगा। जिस पिता ने इस हाथ को पकड़ कर दुनिया में चलना सिखाया वही आज उसका हाथ किसी और पुरुष के हाथ में देने जा रहे थे। अपनी उस बेटी के बिना अपना बाकी का जीवन बिताना ये विचार ही उनके लिए काफी कष्टदायक था।
पिता ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके होने वाले पति ने नीचे से उसके हाथ को सहारा दिया। कन्यादान की रस्म शुरू हुई। हाथों से पानी की एक-एक बूंद गिरने के साथ पिता की आंखों से भी बूंद बूंद आंसू गिर रहे थे। अपने कलेजे का टुकड़ा दान करते समय क्या अवस्था होती है तब वह रामराव ने जाना। वह रस्म खत्म हुई, पंडित जी ने लता और रामराव के हाथ में दियो से भरा पर्दा दिया। उनके सामने बेटी और उसका पूरा ससुराल परिवार बैठाया। और पंडित जी ने कहा आज से आपकी बेटी उनकी हो गई! उनसे कहो कि उसका अच्छे से ध्यान रखें।
लता अपने मायकेवालो के लिए एकदम पराई हो गई। उसकी आंखों में आंसू भर आए। रूही को 2 दिन की ट्रिप पर भी भेजना मां के लिए कितना मुश्किल होता था और अब उसको हमेशा के लिए दूसरे के घर भेज दिया जाए और उसके अपने ही घर का मेहमान बना दिया जाए यह बात अब मां को समझ आ रही थी।
उस रस्म के बाद दूल्हा गेट पर आ गया। पंडित जी ने आवाज दी लड़की के मामा लड़की को लेकर आओ..... उस मामा का हाथ पकड़कर वह उस अंतर पाठ पर जा रही थी। सुबह उठकर एक साथ नाश्ता फिर मस्ती फिर मामी के हाथ का खाना और रात में मामा के गोद में सिर रखकर सोने वाली भांजी आज उस मामा को दूसरे के हाथ मै सौंपनी होंगी! यह सोचकर उसने अपने हाथ कस लिया और मंगलाष्टक प्रारंभ हो गए।
भाई दूज के दिन बिना कुछ मांगे मिलने वाला गिफ्ट,एक साथ फोड़े हुए पटाखे, टीवी कौन देखेगा इस पर झगड़ा और दादाजी गुजर जाने के बाद उन दोनों का गले लग कर रोना, दोनो भाई बेहेन आज एक दूसरे को देख रहे थे। उतनी ही देर में मंगलाष्टक समाप्त हो गए।
मंगलाष्टक समाप्त हो जाने के बाद रूही अपने आगे आने वाले नए जीवन को लेकर उत्साहित हो गई। रूही ने वर माला पहनाई और अपने पति दीपक के पास खड़ी हो गई।
रूही के सामने बहुत से लोग खड़े थे। कुछ आशीर्वाद दे रहे थे और कुछ पास होकर स्तुति कर रहे थे। फोटो के लिए उसकी सहेलियां आई। एक ने उसका हाथ पकड़ा, दूसरी ने उसका पल्लू अटका हुआ निकाला, तीसरी ने उसके आंसू पोछे। हम घर रहने के लिए आ रहे हैं...... आंटी को बोलना खाना खाने के लिए आएंगे। उसे उस एक कमरे की आवाज एक दूसरे के अधिकार और वह दिन याद आ गए, जब वे एक साथ रहती थी।
अचानक पति दीपक ने कहा कि तुम चारों की तस्वीरें ले लो। मैं साइड में खड़ा हो जाता हूं..... और वह चारों चेहरे हंसे..... खाने की कतार में आज रूही मां पापा से दूर दूसरे लोगों के साथ बैठी थी!
खाना खाने के बाद पंडित जी ने गौरी हार की पूजा करने के लिए बुलाया। रूहीने वहा मन से पूजा की। मां ने रूही की झोली भर दी और अनीता आंटी ने कहा कि आप पीछे मुड़ ना मत। रूही अचानक चौक गई। वह आगे बढ़ने लगी। इतने सालों से बच्चे की तरह पाले हुए उस चाचा का बांध टूट गया। स्कूल से घर वापस आने में देर हो जाने पर अस्वस्थ होने वाले वह चाचा जी......जन्मदिन पर 5-6 फ्रॉक उसके आगे लाकर रखने वाले चाचा जी...... मैं नहीं आने वाली आज घर में चाची के पास रहूंगी कहकर रोने वाली वह आज हमेशा के लिए दूर चली जाएगी। यह रूही के दूसरे मां पापा के रूप में चाचा चाची को भी यह बात सहन नहीं हो रही थी।
उसकी पहचान आज बदल चुकी थी। हाथों कि वह हरी चूड़ियां, पांव में बिछिया, और गले में मंगलसूत्र नए जीवन की राह दिखा रहे थे। सास का हाथ पकड़कर रूही उस फूलों से सजी गाड़ी में दीपक के साथ बैठी। उस गाड़ी में खुशी थी और उस गाड़ी के बाहर खड़े सभी लोग आंखों में आंसू लिए उसे अलविदा कर रहे थे।
रूही बोली मम्मी पापा आती हूं मैं। बहुत मुश्किल होता है अपना कलेजा अपना दिल अपने ही हाथों से बाहर निकालकर पराए हाथों में सौंपना! और वह अपने कलेजे को अपने दिल को खुद के दिल से लगाकर रखेगा? फिरभी हर माता-पिता इस मुश्किल कामका सपना देखते हैं लड़की के जन्म के बाद से ही!
