कंजूस सेठ की मजेदार देसी कहानी | Majedaar Kahani
एक बहुत धनवान सेठ था। उस सेठ के पास जितना ज्यादा ध्यान था वह उतना ही ज्यादा कंजूस भी था। ₹1 खर्चा करने से पहले भी वह सेठ पहले यह सोचता था उसकी भरपाई कैसे होगी! कभी अगर थोड़े पैसे खर्च हो भी जाए तो उसे रात को नींद नहीं आती थी।
इस सेठ के रिश्तेदार और दोस्त हमेशा उससे दावत मांगते थे लेकिन किसी ना किसी बहाने से सेठ उन्हे टाल दिया करता था।
एक बार व्यापार में सेठ को बहुत बड़ा मुनाफा हुआ। सेठ के दोस्त और रिश्तेदार उसके पीछे पड़ गए कि अब तो उसे दावत देनी ही पड़ेगी। सेठ ने उन्हें काफी टालने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। आखिरकार बेमन से ही सही सेठ हो उन्हे दावत के लिए हां कहना पड़ा।
सेठ ने सभी को बेमन से हा तो कह दिया लेकिन अब वह पूरा समय यही सोचते रहा कि जो खर्चा होगा उसकी भरपाई कैसे की जाए? इसी चिंता में उसे रात को नींद भी नहीं आई!
लगातार सोचते रहने के कारण आखिरकार उसके दिमाग में एक युक्ति आई। सेठ ने तय किए दिन सभी को दावत पर बुलाया। हलवाई तरह-तरह के पकवान बनाने लगे। पकवान की खुशबू से अड़ोस पड़ोस महक उठा।
एक तरफ जहां सभी लोग पकवानों की खुशबू में खोए हुए थे दूसरी तरफ सेठ ने अपने नौकरों को बोलकर सभी के चप्पल और जूते बोरों में भरवा लिया और शहर में व्यापारी के पास गिरवी रखवाने के लिए बोल दिया।
सेठ ने नौकरों को व्यापारी से कहने के लिए कहा कि इन सभी जूते चप्पल के मालिक आ कर इन्हें छुड़वाएंग इनके बदले जो भी पैसे बनते हैं वह सेठ को दे भिजवा जाए। व्यापारी ने सेठ की बात मानते हुए सभी जूते चप्पलों को गिरवी रख लिया और उनके बदले में अच्छी रकम सेठ को भिजवा दी।
इस बात से अनजान सभी रिश्तेदार और दोस्त सेठ के घर स्वादिष्ट भोजन करने में मग्न थे। जब कोई भी खाने की तारीफ करता तो सेठ मुस्कुराकर कहता यह तो आपके ही चरणों का प्रसाद है!
खाना खत्म करके जब सभी मेहमान अपने-अपने घर जाने की तैयारी करने लगे तो सबने बाहर आकर देखा तो सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि किसी की भी चप्पल या जूते वहां पर नहीं थे। सभी सोच में पड़ गए की इतने सारे जूते चप्पल कहां जा सकते हैं?
सभी को परेशान देखकर सेठ ने सारा सच उन्हे बता दिया और बड़ी ढीटता से कहा जो भी अपने जूते या चप्पल वापस पाना चाहता है वो शहर में व्यापारी के पास जाकर उन्हें छुड़वा सकता है।
सभी दोस्त और रिश्तेदार उस समय को कोसने लगे जब उन्होंने सेठ से दावत की मांग की थी। सभी सेठ को भला बुरा कहते हुए वहां से वापस चले गए और सेठ अपनी बुद्धिमानी पर इतराते हुए मुस्कुराने लगा।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको इस कंजूस सेठ की मजेदार कहानी? क्या आप भी अपने आसपास या अपने दोस्तों में ऐसे किसी कंजूस शख्स को जानते हैं जो इस सेठ की तरह अपने पैसे बचाने के लिए कुछ भी कर सकता है? अगर आपका जवाब हां है तो उसके साथ यह कहानी जरूर शेयर कीजिएगा।
