बहू का बर्थडे : एक कटाक्ष कहानी | Hindi Kahaniya

 बहू का बर्थडे : एक कटाक्ष कहानी | Hindi Kahaniya


रीमा ने  आंखें खोली और बड़ी फुर्ती से उठी, बाप रे 8:00 बज गए! यह कैसे हो सकता है? मैं पिछले कई सालों से इतनी देर तक नहीं सोई हूं! फिर आज यह कैसे हो गया?


बहू का बर्थडे : एक कटाक्ष कहानी | Hindi Kahaniya



आज प्रीति की तो स्कूल गई, मोहित को अब ऑफिस के लिए देर हो जाएगी! फालतू में अब उनकी बातें सुननी पड़ेगी।


 वह सब तो ठीक है लेकिन मां जी....... वह दिन भर में कितनी बकबक करेंगी और मुझे इतनी देर कैसे सोने दिया उन्होंने?  अबतक तो उन्होंने घर सिर पर चढ़ा लिया होगा।  क्या हुआ होगा? 


रीमा जल्दी से उठने लगी। मोहित खुश चेहरे के साथ आया वह भी तैयार होकर गुड मॉर्निंग रीमा! रीमा क्यों उठी तुम? सो जाओ ना आराम से! मैं आज लंच कर लूंगा ऑफिस में, सच कहूं तो मुझे  जाने की इच्छा नहीं है लेकिन बहुत महत्वपूर्ण मीटिंग है ना मुझे इसलिए जाना ही पड़ेगा। पर मैं जल्दी आ जाऊंगा शाम को, बाहर जाएंगे घूमने बाय! 


 रीमा को बिना कुछ कहे मोहित ने उसे गले से लगा लिया और उसके माथे को चूम कर चला गया। रीमा झट से बाहर आई। किचन से कोई भी आवाज नहीं आ रही थी और जब वह बाहर आई तो पापा जी की थाली में इडली वडे दिखाई दे रहे थे! सांभर से बहुत अच्छी महक आ रही थी लेकिन वह पैकेट से सांभर  नहीं निकाल पाए। यह लोग कंटेनर में   ठीक से क्यों नहीं दे सकते अगली बार कंटेनर घर से ही दे देना और इस घर में मुझे एक चम्मच भी नहीं मिलता पापा जी बोले।


 रुकिए  जी आप जरा,  मैं निकाल देती हूं, नहीं तो आप सब सांभर नीचे फर्श पर गिरा दोगे। मेरा काम बड़ा दोगे और आपके सामने ही तो है चम्मच आपको तो कुछ कैसे नहीं मिलता क्या पता? एक काम करो आप यह प्लेट लेकर टेबल पर बैठो मैं देती हूं सांभर और चटनी निकालकर। 


और धीरे बोलो जरा बहू कभी नहीं सोती इतनी देर तक आज सोई है तो शांत रहें नहीं तो आपकी आवाज से उठ जाएगी वह! बहु जब उठेगी तब दूंगी गर्म करके उसे भी यह उसका मनपसंद नाश्ता है।


 रीमा आश्चर्य से यह सब देख रही थी। अरे बहू उठ गई तुम? क्यों उठी? चलो अच्छा हुआ उठ गई। तुम्हारे पापा जी तुम्हारे मनपसंद का वड़ा सांभर लाए है गरमा गरम खा लो। फिर बाद में चाय पिएंगे साथ में। माजी ने सुमन को टेबल पर बिठाया। 


प्रीति कहां है? दिखी नहीं सुमन ने पूछा। अरे बहू मैं उसे स्कूल बस में बैठा कर आया। गई वह स्कूल, होशियार हो गई है अब अपनी प्रीति। जल्दी-जल्दी करती है सब अपने काम। तकलीफ नहीं देती है वह अब। हां बैग बहुत भारी है पर उसकी! वे लोग यह नहीं समझते कि बच्चे पर इतना बोझ नहीं डालते हैं। मुझे क्या बोली वह पता है ? बोलि दादा जी मैं बिग गर्ल हो गई हूं अब और गुड गर्ल भी। अब मैं आ जाऊंगी अकेली घर पर आप मत आइए मुझे लेने के लिए। 


दादा जी पोती की प्रशंसा में मग्न थे। हां हां मेरी बेटी समझदार हो गई है। सिर्फ दूध पीने को नाटक करती है। लगातार बड़बड़ करती रहती है, बस खाना ही ठीक से नहीं खाती, अन्नपूर्णा उसके पेट में है इतनी ऊर्जा कहां से आती है क्या पता? 


अरे रीमा खाओ तुम वडा सांबर। ठंडा हो जाएगा और चिंता मत करो तुम मैंने प्रीति को पराठा करके दिया है। छोटा सा खाया उसने और टिफिन में भी ले गई। मां जी बोली। 


क्या  पापा जी मांजी? मुझे उठाना चाहिए था ना। आपने क्यों किया सब काम? जाने दो खाने में क्या बनाऊं रीमा ने अपराध बोध से कहा। रीमा तुम कुछ मत करो तुम्हारी बीसी है ना  आज तो मस्त मौज करो। हमारे पड़ोसी में वह चंदा आती है ना खाना बनाने के लिए उसे बोला है मैंने आज से रोटी बनाने के लिए बाकी का मैं कर लूंगी। तुम कितना काम करोगी? अकेली तुम्हारी क्लास, प्रीति का होमवर्क, बाहर के काम यह मोहित भी कुछ काम करके मदद नहीं करता।तुम्हें सब के पीछे पीछे दौड़ना पड़ता है। अब आराम किया करो तुम..... नहीं तो ऐसा करो ना तुम और मोहित 4 दिनों के लिए घूमने चले जाओ।बहुत दिन हो चुके वैसे भी तुम दोनों कहीं गए नहीं हो। प्रीति को यहां ही रहने दो, हम संभाल लेंगे उसे। आपको भी एक दूसरे के साथ वक्त बिताने की जरूरत है। मां जी बोली।


नाश्ते के बाद मां जी ने चाय बनाई और तीनों ने बातें की और चाय पी। रीमा का दिन अच्छा गया। बीसी की सहेलीयो के साथ मस्ती की। कल उसका खास दिन था लेकिन आज उसका जन्मदिन उसकी सहेलियों ने मनाया। उस वजह से  वह कुछ ज्यादा ही खुश थी। मोहित जल्दी घर आऊंगा ऐसे बोला था पर आया ही नहीं। दोस्त की आज पार्टी थी तो वह घर देर से आने वाला था। मां जी  और पापा जी भी सो गए।प्रीति को लेकर सुमन भी सो गई।


कुछ समय बाद रीमा को बहुत आवाज सुनाई देने लगी। वहां अचानक उठ गई प्रीति उसके बाजू में नहीं थी।..... वह डर गई और हॉल में आई, हर तरफ अंधेरा था और अचानक रोशनी आ गई। हैप्पी बर्थडे टू यू अचानक जोर से बोले। मां जी, पापा जी,मोहित सब हंसकर उसे विश कर रहे थे। प्रीति ने दादी की मदद से सुंदर केक बनाया था। रीमा ने केक काटा और सब को खिलाया। सभी  खुशी के मारे सो गए। फिर बाद में सुबह  रीमा उठकर देखती है तो पास में सुंदर सा ग्रीटिंग कार्ड था। उसकी बेटी प्रीति ने खुद के छोटे हाथों से बनाया था। वह कार्ड देखकर सुमन बहुत खुश हुई।


 उतने में एक बड़ा टेडी बियर चलते हुए उसके पास आया सरप्राइज....... मम्मा।यह मैंने तुम्हारे लिए स्पेशल लिया है। मेरे पिगी बैंक में से सेविंग करके। रीमा को गले लगाकर उसकी लाडली बेटी बोली। रीमा की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।अब मोहित की बारी थी उसने रीमा से कहा कि वह अपनी आंखें बंद कर ले। और उसके लिए लाया हुआ खूबसूरत हीरो का हार उसके गले में डाल दिया और उसे आईने के सामने खड़ा कर दिया। वाह! अब सच में वह हार कितना खूबसूरत लग रहा है। सुंदर लग रही है मेरी रानी। लगता है जैसे यह तुम्हारे लिए ही बना है। मोहित ने खुशी से रीमा को गले लगा लिया। तभी रीमा कुछ कहने ही वाली थी कि माजी पापा जी आ गए।


यह दुनिया की सबसे अच्छी बहु रानी के लिए मतलब हमारी बेटी के लिए है। माजी पापा जी ने कश्मीर का टिकट रीमा के हाथों में रखा और रीमा उनके पैरों पर आशीर्वाद लेने के लिए झुकी लेकिन मा जी ने उसे गले लगा लिया पापा जी ने सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया।


 यह क्या मां जी पापा जी इतना बड़ा सरप्राइस? वास्तव में इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी और हम सिर्फ हम दोनों ही क्यों जाएं? रीमा ने उत्साह से कहा। नहीं नहीं हम बूढ़े लोग क्या करेंगे वहां,वैसे भी आप दोनों को इसकी ज्यादा जरूरत है और हम प्रीति का भी अच्छे से ख्याल रखेंगे ताकि आप दोनों फुल इंजॉय कर सके,वह सेकंड हनीमून क्या बोलते हैं ना वो..... आप आ जाओगे तो हम चले जाएंगे पापा जी ने धीरे से मोहित को आंख मारी।


 रीमा और मोहित दोनों शर्मा गए। चलो पैकिंग  करो। आपको कल सुबह निकलना है और आज क्या-क्या खाना बनना है?  आज रीमा की पसंद का माजी ने फरमान किया...। दिन आनंद में गया। शाम को रीमा की आरती करके मां जी पापा जी ने उसे ढेर सारा आशीर्वाद दिया। रीमा इस प्यार से  पूरी तरह अभिभूत थी। पूरी तैयारी हो गई थी कल सुबह जल्दी जाना है इसलिए बैग भर के मोहित रीमा तैयार थे। कश्मीर के सपने देख कर रीमा को कब नींद आ गई वह उसे समझ में नहीं आया। दोनों कश्मीर पहुंच गए जैसे स्वर्ग ही हो ........ कितना खूबसूरत था सब कुछ।


 मोहित रीमा सब भूलकर एक दूसरे में खो गए थे। यह हसीं वादियां...... ये खुला आसमां...... मोहित गाना गा रहा था और रीमा जैसे नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही थी। एक दूसरे के ऊपर बर्फ के गोले फेंक कर छोटे बच्चों जैसे दोनों मस्ती कर रहे थे। दोनों आज आई स्केटिंग के लिए आए थे।बर्फ में ठीक से खड़े होने में असमर्थ सुमन एक दूसरे को ठीक करने के दौरान अपना संतुलन खो बैठी और वह जोर से गिर गई। आंखें खोल कर देखती है तो क्या? उसके बेड के ऊपर से वह गिर गई थी! बाजू में मोहित सोया हुआ था।


 मतलब वह सपना था........ इतने में बेल बजी...... दूध वाला आया होगा। वह बाहर आए उतने में उसकी सास उससे बोली अरे रीमा हर रोज कैसे देर से उठती हो तुम? 15 मिनट देर हो गई आज तुम्हें। जल्दी करो अब चाय बनाओ और नाश्ते में कुछ अच्छा नमकीन बनाओ और मेरी सहेली आने वाली है आज कुछ अच्छा खाना बना उनके लिए। और हां घर पर ही रहना आज कहीं बाहर मत जाना। मां जी की रोज की कटकट चालू हो गई और रीमा सचमुच सपने से हकीकत में आ गई हमेशा की तरह हर कोई उसका जन्मदिन भूल गए थे! 


 रोज रोज की भागदौड़,घर के कामकाज, सास के ताने, ससुर की फरमाइश, पति की धुन पर नाचने और बेटी की लीला देखने में वक्त उसका दिन कब खत्म होता था वह उसे भी समझ में नहीं आता था।  जिंदगी भर दिन खराब लगने लगी लेकिन कल उसने बहुत अच्छा दिन जिया लेकिन इस एक रात के मीठे सपने में उसने इतने खुशनुमा पल जी लिए थे जो उसके लिए क्या कम था! मन में उस कश्मीर  का सपना  साकार होने की प्रतीक्षा में वह काम करने लगी!!      


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