सुंदरता : एक बोध कहानी | Best Moral Kahani

 सुंदरता : एक बोध कहानी | Best Moral Kahani 


कई सो साल पहले की ये कहानी है। एक राजकुमार को अपने सुंदर होने पर काफी गर्व था जो समय के साथ घमंड में बदलता जा रहा था।


सुंदरता : एक बोध कथा | Bodh katha


राजकुमार को अपनी प्रशंसा सुनना बहोत पसंद आता था..अक्सर वो अपने नोकरी,सिपाहियो और प्रधानों से अपनी सुन्दरता के बारें में पूछता और बदले में सब उसके सुंदरता की खूब बढ़ चढ़ के प्रशंसा किया करते।


एक बार राजकुमार ने दूसरे राज्य से उसके राज्य में आए प्रवासियों से पूछा की क्या उन्होंने किसी और राज्य में मुझसे ज्यादा सुंदर पुरुष कही देखा है?


यह प्रवासी इस बात को भलीभांति जानते थे कि राजकुमार को अपनी प्रशंसा सुनना कितना अच्छा लगता है। हालांकि राजकुमार सच में देखने में सुंदर थे लेकिन इन प्रवासियों ने उन्हें खुश करने के लिए उनकी कुछ ज्यादा ही प्रशंसा करदी। प्रवासियों ने कहा कि उन्होंने अपने राज्य में तो क्या किसी भी राज्य में उनके जितना ज्यादा सुंदर पुरुष कभी नहीं देखा! वह तो यहां तक कह गए कि शायद वह भगवान जितने सुंदर है!


राजकुमार अपनी इतनी ज्यादा प्रशंसा सुनकर खुश हो गया और अब वो हर प्रवासी से अपनी तारीफ सुनना चाहता था। एक बार उसके राज्य में एक साधु आया। राजकुमार ने उसे भी अपने दरबार में बुलाया और वही सवाल पूछा की क्या उन्होंने राजकुमार से ज्यादा सुंदर पुरुष कही देखा है?


साधु ने राजकुमार से कहा की हा उन्होंने सुबह उनसे भी ज्यादा सुंदर पुरष को देखा है! सभी साधु की बात सुनकर हैरान थे। राजकुमार ने साधु से पूछा ..कोन है वो पुरुष? साधु ने कहां सुबह मैंने आपको देखा था तब आप अब(वर्तमान) से ज्यादा सुंदर थे!


साधु की बात सुनकर सभी दंग थे। राजकुमार ने अपने सेवको से पूछा की क्या वो अभी सुबह से कम सुंदर नजर आ रहा है? सेवको ने कहां .. उन्हें तो वो उतने ही सुंदर दिख रहे है। राजकुमार ने साधु से पूछा.. जब सभी को कोई फर्क नजर नही आ रहा तो भला आप ऐसा क्यों कह रहे है?


साधु ने राजकुमार से कहा की ये सब आपकी नोकरी करते है इसलिए इन्हे आपमें कोई कमी नही दिखेगी और में ये साबित कर सकता हूं। साधुने एक कटोरे में पानी मंगवाया और राजकुमार के कुछ सेवको को दिखाया और उन्हें बाहर जाने के लिए कहा। फिर साधु ने उस पानी के कटोरे से एक चम्मच पानी निकला और फेंक दिया। उन सेवको को वापिस अंदर बुलाया गया और साधु ने उनसे पूछा की क्या उन्हे इस कटोरे में कोई कमी नजर आ रही है? सभी सेवको ने ठीक से निरीक्षण किया और बोले की उन्हे उस कटोरे में कोई कमी नजर नहीं आ रही!


इस प्रयोग ने राजकुमार की आंखे खोल दि। राजकुमार को ये समझ में आ गया कि वह उस वस्तु का आदि हो चुका है, उस वस्तु के नशे में फंस चुका है जो हर दिन कम होती जा रही है यानी कि नाशवंत है। उस दिन के बाद राजकुमार ने कभी आईना नहीं देखा और अविनाशी वस्तु की खोज में अपना जीवन बिताया।


कहानी की गहरी सिख


सुंदरता क्या होती है? 

हर किसी के लिए सुंदरता के मायने अलग अलग होते है। किसी के लिए बाहरी रूपरेखा सुंदर हो सकती है तो किसी के लिए अंदरूनी सद्भावना सुंदर हो सकता है। आजकल लोग अच्छे नाक नक्शे को सुंदरता का पैमाना मानते है जो बिलकुल गलता है...सुंदरता अच्छे स्वभाव,अच्छे विचार और अच्छे कर्मों से निर्धारित की जानी चाहिए।

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