शादी का असली गहना : समाज को आइना दिखानेवाली कहानी | Kahani
मां तू क्यों चिंता करती हो? समय आने पर सब कुछ हो जाएगा और हां इतना कंजूस मत बनो! इतने गहने क्यों ले रही हो, मुझे नहीं पसंद है। मैं उन गेहेने को अपने पूरे शरीर पर लाद कर और चोर के डर से घूमना मुझे यह सब नहीं पसंद है।
तुम्हारा जमाना गया अब, अपनी आंखें खोलो और अपने सामने दुनिया को देखो। यह कितनी खूबसूरत है। मां मस्त रहो और अपना जीवन एंजॉय करो! मां पूरी दुनिया तुम्हें और पापा को घुमाऊगी। सारी खुशियां आपके चरणों में लाकर रखूंगी। उसके बाद ही मैं शादी करूंगी। मैं एक बेटी हूं तो क्या हुआ? मेरे भी जिम्मेदारियां है। अब मुझे सिर्फ अपने करियर पर ध्यान देने दीजिए। चिंता मत कीजिए समय आने पर सब कुछ हो जाएगा।
नव्या बेटी अपनी मां की मां बनकर, अपनी मां को समझा रही थी। लेकिन चेतन शांत था क्योंकि वह जानते थे कि नव्या खुद लाखों का गहना है । नव्या विवाह योग्य हो चुकी थी। नव्या की मां कादंबरी उसकी शादी के पीछे पड़ी थी। आखिर वह मां थी ना! आसपास के रिश्तेदार थे ही जोर देने के लिए।
लेकिन नव्या अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी।इसलिए वह शादी के बारे में नहीं सोच रही थी। इसलिए इस फालतू की चर्चा में उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी। कादंबरी सिर्फ एक वाक्य कहती थी ,पढ़ाई करना तो तुम शादी के बाद भी सीख सकती हो ना? हमारी चिंता करना कम करो। नव्या अपने अपने फैसले पर अड़ी हुई थी और कादंबरी हमेशा चिंतित रहती थी।
आसपास की लड़कियां शादी करके गृहस्ती संभाल रही थी। 8 दिन पहले नव्याकी सहेली की शादी हुई। वह धूमधाम से हुई शादी में उसके शरीर पर 1 किलो सोना पहनाया गया होगा! उसे हर रस्मों में 1 गहना उसकी मां अपनी बेटी के शरीर पर चढ़ा रही थी ।दिखावा बहुत था शादी में। हमारी तो कोई भी तैयारी नहीं नव्या के शादी के लिए। चेतन तो किसी बात की चिंता नहीं करते।
उसे याद आया नव्या जब इस दुनिया में आई। तब कादंबरी के ससुर चेतन को बोले ,चेतन लड़की हुई है रे बाबा! अब दहेज की तैयारी में लग जाओ! कादंबरी को बहुत बुरा लगा सुनकर। पिता बनने की बधाई देना तो दूर दहेज के बात करने लग गए। लेकिन चेतन इतने खुश थे कि मेरी संतान के रूप में पहली ही बेटी हुई। वह उसका लाड प्यार करने में म्ग्न रहता था। वह उत्सुकता से नई नई चीजें नव्या के लिए ले आता। मूलरूप से नव्या बहुत बुद्धिमान और तेजतर्रार थी। वह उत्सुकता से नई नई चीजें सीखने के लिए इच्छुक थी। नव्या धीरे-धीरे अच्छे संस्कारों में बढ़ती जा रही थी। शिक्षा के क्षेत्र में वह हमेशा अव्वल रही।
नव्याने मेरिट को कभी नहीं छोड़ा। शोकेस विभिन्न योग्यता प्रमाण पत्र और ट्रॉफीओ से भरा हुआ था ।चेतन बोलता था ,बस नव्या का सपना साकार करना है इसलिए फिर उसकी शादी के लिए बचत वगैरह वह करता नहीं था । चेतन कादंबरी को कहता था कि उसकी शानदार सफलता ही उसका सबसे कीमती गहना है। सब कुछ अच्छा होगा, चिंता मत करो। पर कादंबरी की एक ही रट लगाती...थोड़े पैसे बचाने चाहिए लड़की की शादी करनी है। तो फिर 4 गहने तो देने पड़ेंगे नव्या को। गले में से डिप्लोमा सर्टिफिकेट और ट्रॉफी ही लेकर खड़ी रहेगी मंडप?
ये कादंबरी शांत ,शांत, अपना ब्लड प्रेशर मत बढ़ाओ! मैं हूं ना ,फिर शांत हो जाओ। चेतन कादंबरी को समझा रहा था। चेतन की शांत धुन सुनकर कादंबरी की अंदर की मां जाग जाती थी। गुस्से में वह चेतन को बुरा भला बोल देती थी। चेतन तब भी शांति से सब कुछ सुनता था। कादंबरी बोली अब मुझे ही कुछ करना होगा, नव्या के पापा तो कुछ नहीं करेंगे। कल उम्र ज्यादा बढ़ गई तो शादी के बाजार में कोई शिक्षा को नहीं पूछेगा। रहा सवाल रहा गहनों का? एक भी छोटा बड़ा गहना बनाकर नहीं रखा। सोना सस्ता हो जाने पर बहुत बार बोलती थी, बनाकर रखो लेकिन इसके पिता ने तो मेरी एक ना सुनी। सेविंग भी नहीं है। हमेशा उसके शिक्षा पर खर्चा करते थे। क्या बोलते थे ,हमेशा शिक्षा एक अनमोल गहना है! और इसकी कीमत बाजार में बढ़ती रहेगी। कभी सस्ता नहीं होगा और रहा सवाल सोने के गहनों का तो वह जब शादी होगी तब देखेंगे।
चेतन का यह जवाब तय था। अंत में कादंबरी ने उसे अपने गहने देने का फैसला किया। मेरे पिता ने कन्यादान में मुझे दिए थे। टोकरी जितना भरा तो नहीं लेकिन कटोरी भर जरूर दिया है। मैं अब कहां पहनने वाली हूं वह गहने? ये चिंता जो उसने खुद को समझ आकर दूर की। जैसे जैसे दिन बीतते गए नव्याने अपने स्मार्टनेस से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया।
उसने पीएचडी करने का इरादा किया, और उतने में "सोने पर सुहागा" अचानक उसे माइक्रोसॉफ्ट द्वारा सिलेक्ट कर लिया गया जो पिछले साल के प्लेसमेंट के लिए आया था!
एक बड़ा पैकेज उसके हाथ में रखा गया और गुड पोस्ट द्वारा और कई सुविधाओं पोस्टिंग के साथ अमेरिका में पेश किया गया। चारों उंगलियां घी में "साथ में पीएचडी कर सकती थी क्योंकि कंपनी ने उसे बोनस दिया था।
नव्या appointment लेटर लेकर भाग कर घर पर आई। जब तक दरवाजा नहीं खुला तब तक नव्याने डोरबेल से अपना हाथ नहीं हटाया। दरवाजा खुलते ही उसने अपनी मां को गले से लगा लिया। माँ अब लग जाओ शादी की तैयारी में!पापा आप बस मदद करना हां यूएस जाना होगा ना मुझे और अपॉइंटमेंट लेटर नव्याने पापा के हाथ में रख दिया.एल। चेतन ने वह लेटर जोर से पड़ा। बाप रे नव्या सच में यह अनमोल गहना अब शादी के बाजार में चमक उठेगा। ऐसा बोलकर कादंबरी भगवान के सामने शक्कर रखी। कोटि-कोटि धन्यवाद आपका भगवान जी! ऐसा बोलकर भगवान को हाथ जोड़कर नमस्कार किया। अब यह बड़ा गहना और अन्य छोटे-बड़े सर्टिफिकेट के आभूषण नव्या के व्यक्तित्व पर अवश्य ही अच्छे लगेंगे। कादंबरी फिर बताओ सोना लेने कब जाना है चेतन ने उसे टोंट मारा!
इसमें कोई संदेह नहीं है कि, उसकी शादी में उसके गुणों के आधार पर अर्जित अमूल्य गहना निश्चित रूप से उसके सौंदर्य बढ़ाएगा, चेतनजी!और वह मेधावी पदक और बड़ी-बड़ी ट्रॉफी या अन्य पदमा भूषण दुल्हन की शोभा और बढ़ाएंगे। यह हीरा हमारे मानस के जीवन में बिल्कुल फिट बैठता है। चलेगा ना आपको? दरवाजे पर शर्मा फैमिली खड़ी थी ।अछा रिश्ता नव्या के लिए चलकर आया था।उनका मानस भी एक अनमोल रत्न था। सुंदर, सफल, प्रसिद्ध, अगर एक असली मोती को अपनी असली गुणवत्ता और तेज बनाए रखना है, तो संदूक में बंद रहकर समुद्र के तल में चुप कर रहना पड़ता है,तभी मोती की कीमत बढ़ती है। आया क्या समझ में चेतनजी !शर्मा जी ने चेतन की तरफ देखकर मानस की तरफ देखा।
कादंबरी अंदर खुद को चिकोटि काट रही थी। और सोच रही थी कि, आखिर कौनसे गेहेना का तराज़ू भारी है?आखिर शिक्षा एक अनमोल गहना है उसे चोर से डर नहीं लगता है। और उसे पहनने और तिजोरी में बंद करने की आवश्यकता नहीं है।
